गर्भावस्था हर स्त्री के लिए सबसे अहम समय माना जाता हैं। इस समय में स्त्रियों को खुद की सेहत का बहुत अच्छे से ख्याल रखना पड़ता है, ताकि ताकत और पोषण की कमी शरीर में बिल्कुल भी ना रहें और जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ रहें। इसमें अहम ध्यान रखने वाली बात आती हैं भोजन की। गर्भवती महिला को अपना भोजन पोषण से भरपूर लेना चाहिए। क्योंकि वो जो भी भोजन ग्रहण करती हैं उसी से होने वाले बच्चे को भी पोषण मिलता हैं। इसलिए आपके भोजन की उचित डाइट के लिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे आहार जो एक गर्भवती महिला के लिए अमृत से कम नहीं। तो आइये जानते हैं इन आहार के बारे में।
* प्रोटीन : गर्भावस्था के दौरान बच्चे और प्लेसेंटा के विकास के लिए प्रोटीन युक्त आहार जरूर लेना चाहिए। यह जी मिचलाने और थकान से भी लड़ने में मददगार है। महिला को कितना प्रोटीन लेना चाहिए, यह महिला के वजन पर निर्भर करता है। सी फूड, लीन मीट, दाल, अंडा, दूध, बीन्स, अनसाल्टेड नट और सीड्स इसका अच्छा स्रोत है। 90 प्रतिशत गर्भवती भारतीय महिलाओं में प्रोटीन की कमी है। प्रोटीन की मात्रा या कमी से संबंधित जानकारी के लिए पोषण विशेषज्ञ से संपर्क करें। चिकित्सक भी प्रोटान से संबंधित खुराक के बारे में बता सकते हैं।
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कैल्शियम फ़ॉस्फोरस : गर्भावस्था के चौथे माह में गर्भस्थ शिशु के दांत बनने की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाती है। इसलिए शिशु के दांतों और हड्डियों के निर्माण के लिए गर्भवती को अतिरिक्त कैल्शियम और फ़ॉस्फोरस की भोजन में आवश्यकता होती है क्योंकि इनकी कमी होने पर शिशु इसे गर्भवती के शरीर में जमा कैल्शियम और फ़ॉस्फोरस से लेने लगता है जिसका प्रभाव गर्भवती के शरीर पर पड़ता है। अतिरिक्त कैल्शियम और फ़ॉस्फोरस का उपभोग करने के लिए जरुरी है कि भोजन में दूध, पनीर, दही, छाछ, खीर, दूध से बने भोज्य – पदार्थ सम्मिलित हो। इसके अलावा सेम, शलजम, बंदगोभी, हरी पत्तेदार सब्जियां , अंडा , धनिया , पत्तागोभी , फूलगोभी आदि भी भोजन में शामिल करना चाहिए।
* आयरन : आयरन खून की कमी और संक्रमण से बचाता है। यह बच्चे और उसके दिमाग के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पूरे गर्भावस्था के दौरान और अतिरिक्त रूप से 760 मिलीग्राम आयरन की जरूरत होती है। लीन मीट, स्किनलेश चिकन, मछली अच्छी तरह से पके अंडे, दाल, हरे पत्तीदार सब्जियां, फलियां, मेवा और अनाज आदि आयरन के अच्छे स्रोत हैं। शरीर में अच्छी तरह से आयरन की आपूर्ति के लिए विटामिन सी युक्त फलों का भोजन के साथ या भोजन करने के फौरन बाद सेवन करें। चाय पीने के एक घंटे बाद या एक घंटे पहले आयरन से समृद्ध आहार लेने से बचें।
* विटामिन : गर्भवती महिला में विटामिन की कमी के कारण रोग के कीटाणुओं से लड़ने की क्षमता लगभग नष्ट हो जाती है। इसलिए माँ और शिशु को रोगों से बचाने के लिए व शरीर की विभिन्न क्रियाओं को संपन्न करने के लिए अतिरिक्त विटामिन्स की आवश्यकता होती है।
* कैल्शियम : मां के खून में कैल्शियम की आपूर्ति होने से बच्चे के शरीर की हड्डियां अच्छी तरह से विकसित होती है। बच्चे के दिल, नसों और मांसपेशियों का विकास कैल्शियम पर निर्भर करता है, अगर मां कैल्शियम को पर्याप्त मात्रा में नहीं ले रही है तो फिर उसकी हड्डियों के भी कमजोर होने की संभावना बढ़ जाती है। गर्भावस्था के दौरान रोजाना 200 मिलीग्राम कैल्शियम युक्त आहार लेना चाहिए। कम वसा वाले डेयरी उत्पाद (स्किम्ड मिल्क, पनीर, दही), खाने लायक हड्डियां युक्त मछलियां जैसे सार्डिन, टोफू, नाश्ते में अंकुरित अनाज, ब्रेड, रोटी, साबूत बादाम, संतरे, सूखे मेवे जैसे अखरोट और हरी पत्तेदार सब्जियां कैल्शियम के अच्छे स्रोत हैं। कैल्शियम सबसे जरूरी खुराक है। यह गर्भावस्था के दौरान मां की पोषण की जरूरतों को पूरा करता है। पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी लेने से भी शरीर में कैल्शियम की आपूर्ति होती है।
* जल एवं तरल पदार्थ : पौष्टिक आहार के साथ – साथ प्रेगनेंसी में तरल पदार्थों की भी आवश्यकता होती है। दिन – भर में कम से कम 7 – 8 गिलास पानी पीना चाहिए। यदि गर्मी का मौसम हो तो जल की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए। जल के अलावा फलों के रस सब्जियों के सूप, शर्बत, छाछ, आदि को भी अपने दैनिक आहार में सम्मिलित करना चाहिए।