Monkeypox: इन 5 में से एक भी लक्षण दिखे तो हो जाए सावधान, जानें क्या-क्या हो सकती हैं परेशानियां? जरुरी बातें

दुनियाभर के 75 देशों में 18 हजार से ज्यादा मंकीपॉक्स के मरीज अब तक मिल चुके है। संक्रमण बढ़ने के बाद WHO ने ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी भी घोषित कर दी है। WHO के मुताबिक, मंकीपॉक्स की बीमारी जानवरों से इंसानों में आई है। इससे संक्रमित होने पर चेचक जैसे लक्षण दिखते हैं। मंकीपॉक्स कम मामलों में ही घातक साबित होता है। भारत में अब तक मंकीपॉक्स के चार मरीज मिल चुके हैं। भारत में मंकीपॉक्स का पहला केस 14 जुलाई को केरल में मिला था। केरल में अब तक तीन मरीज मिल चुके हैं। तीनों ही विदेश से लौटकर आए थे। वहीं, राजधानी दिल्ली में 24 जुलाई को भी एक मरीज में संक्रमण की पुष्टि हुई थी। चिंता की बात ये है कि इस मरीज की कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं रही है।

मंकीपॉक्स के लक्षण

- बुखार आना।
- त्वचा पर चकत्ते पड़ना। ये चेहरे से शुरू होकर हाथ, पैर, हथेलियों और तलवों तक हो सकते हैं।
- सूजे हुए लिम्फ नोड यानी शरीर में गांठ होना।
- सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द या थकावट।
- गले में खराश और खांसी आना।

अगर कोई व्यक्ति पिछले 21 दिन में किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आया हो, जो मंकीपॉक्स से संक्रमित हो और उसमें इनमें से कोई भी एक लक्षण दिख रहा हो तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

मंकीपॉक्स से क्या-क्या परेशानियां हो सकतीं हैं?

- आंखों में दर्द या धुंधलापन।
- सांस लेने में कठिनाई।
- सीने में दर्द होना।
- बार-बार बेहोश होना या दौरे पड़ना।
- पेशाब में कमी।

अगर इनमें से कोई भी परेशानी हो रही हो तो भी तुरंत डॉक्टर की सलाह लेने की जरूरत है।

लक्षण दिख रहा है तो टेस्ट कहां करवाएं?

- मंकीपॉक्स का संक्रमण बढ़ने के बाद केंद्र से लेकर राज्य सरकारें तक अलर्ट पर हैं। राज्य सरकारों ने अपने यहां सरकारी अस्पताल में कुछ बेड मंकीपॉक्स के संदिग्ध मरीजों और संक्रमितों के इलाज के लिए रिजर्व रखे हैं।

- अगर आप दिल्ली में हैं तो राजधानी में लोक नायक जय प्रकाश (LNJP) अस्पताल में टेस्ट करवा सकते हैं। हालांकि, इन सैम्पल की जांच पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में ही की जा रही है। यहां से जांच रिपोर्ट आने के बाद ही पुष्टि होगी कि आप संक्रमित हैं या नहीं।

- इन सबके अलावा विदेश से यात्रा कर आने वालों की एयरपोर्ट और बंदरगाहों पर स्क्रीनिंग की जा रही है। केंद्र सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक, अगर किसी भी यात्री में कोई भी लक्षण दिखता है, तो उसे तुरंत आइसोलेट किया जाए।

कैसे फैलता है मंकीपॉक्स?

- WHO के मुताबिक, मंकीपॉक्स वायरस से किसी इंसान के संक्रमित होने का पहला मामला 1970 में आया था। उस समय कॉन्गो में एक 9 महीने का बच्चा इससे संक्रमित हुआ था। बाद में उसकी मौत भी हो गई थी। इसके बाद मंकीपॉक्स का ह्यूमन टू ह्यूमन ट्रांसमिशन कॉमन हो गया है।

- WHO का कहना है कि ये बीमारी जानवरों से इंसानों में आई है। 1958 में डेनमार्क के कोपेनहेगन में रिसर्च के लिए रखे गए बंदरों में ये वायरस फैला था। इसलिए इसका नाम मंकीपॉक्स रखा गया है। ये बीमारी अफ्रीकी देशों से बाकी देशों में फैली है।

- अगर कोई व्यक्ति संक्रमित है तो वो दूसरों को भी संक्रमित कर सकता है। अगर आप किसी संक्रमित व्यक्ति से सीधे संपर्क में आते हैं, उससे यौन संबंध बनाते हैं, तो आपके संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा अगर आप उसके कपड़ों या उसकी चीजों का इस्तेमाल करते हैं तो भी संक्रमित हो सकते हैं।

क्या कोरोना जैसा ही है ये भी?

- एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना ज्यादा संक्रामक है और अगर आप किसी संक्रमित के पास खड़े हैं तो उसके खांसने या छींकने से भी वायरस फैल सकता है। उसी तरह मंकीपॉक्स भी संक्रामक है, लेकिन अगर सही दूरी बनाकर रख रहे हैं और मास्क पहन रहे हैं तो संक्रमित होने से बचा जा सकता है।

सेक्स करने से भी फैल सकता है वायरस?

- मंकीपॉक्स यौन संबंध बनाने से भी फैल सकता है। CDC के मुताबिक, अगर आप किसी मंकीपॉक्स (Monkeypox) संक्रमित से यौन संबंध बनाते हैं, तो आपको भी संक्रमण हो सकता है। संक्रमित के गले लगना, किस करना और यहां तक कि फेस-टू-फेस कॉन्टैक्ट बनाने से भी संक्रमण फैलने का खतरा रहता है। समलैंगिक और बायसेक्शुअल लोगों को इससे संक्रमित होने का खतरा अधिक रहता है।

- WHO के मुताबिक, पिछले कुछ समय से जिन देशों में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं, उनमें से कइयों में संक्रमण यौन संबंध बनाने से फैला है।

दोस्त या करीबी संक्रमित हो जाए तो क्या करें?


अगर आपका कोई दोस्त, करीबी या रिश्तेदार मंकीपॉक्स से संक्रमित हो जाए तो कई सारी सावधानियां बरतने की जरूरत है, ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।

- संक्रमित व्यक्ति को आइसोलेट कर दें और मरीज से बाकी लोग भी दूरी बनाकर रखें।
- संक्रमित व्यक्ति के नाक और मुंह को मास्क से ढंकना चाहिए और उसके घाव को चादर से ढंक देना चाहिए।
- संक्रमण की पुष्टि के लिए जांच करवाएं। इसके लिए नजदीकी अस्पताल को सूचित करें।
- संक्रमित की इस्तेमाल की गई चादर, कपड़े या तौलिये जैसी दूषित सामग्री के संपर्क में आने से आपको भी बचना चाहिए।
- साबुन, पानी या एल्कोहल बेस्ड सैनेटाइजर से हाथों की बार-बार सफाई करते रहें।

क्या है इसका इलाज?

WHO की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, अभी मंकीपॉक्स का कोई ठोस इलाज मौजूद नहीं है। हालांकि, चेचक की वैक्सीन मंकीपॉक्स के संक्रमण के खिलाफ 85% तक असरदार साबित हुई है।

- लेकिन अभी चेचक की वैक्सीन भी आम लोगों के लिए उपलब्ध नहीं है। 2019 में चेचक और मंकीपॉक्स को रोकने के लिए एक वैक्सीन को मंजूरी दी गई थी, लेकिन वो भी अभी पूरी तरह से उपलब्ध नहीं है।