जैसे ही शिशु इस दुनिया में आता है, उसकी सेहत को लेकर कई महत्वपूर्ण बातें सामने आती हैं। नवजात के स्वास्थ्य का शुरुआती मूल्यांकन बेहद जरूरी होता है, ताकि किसी भी छुपी हुई या गंभीर बीमारी का समय रहते पता लगाया जा सके। अक्सर कुछ समस्याएं जन्म के समय दिखाई नहीं देतीं, लेकिन आगे चलकर गंभीर रूप ले सकती हैं। ऐसे में शुरुआती जांच न केवल शिशु के वर्तमान स्वास्थ्य को समझने में मदद करती है, बल्कि भविष्य में होने वाली जटिलताओं को भी रोका जा सकता है। तो आइए जानते हैं कि शिशु के जन्म के तुरंत बाद कौन-कौन से जरूरी टेस्ट कराना चाहिए ताकि उसकी सेहत बनी रहे और माता-पिता निश्चिंत रह सकें।
एपीगार स्कोर (APGAR Test) – नवजात के पहले पल की सेहत का आकलनशिशु के जन्म के तुरंत बाद उसकी सेहत का पहला आकलन एपीगार स्कोर के ज़रिए किया जाता है। यह टेस्ट बच्चे के जीवन के पहले एक और पांच मिनट पर किया जाता है। इसमें शिशु की सांस लेने की क्षमता, हृदय गति, मांसपेशियों की ताकत, रिफ्लेक्स रिस्पॉन्स और त्वचा के रंग (स्किन टोन) की जांच की जाती है। यह स्कोर यह बताता है कि नवजात कितनी अच्छी अवस्था में पैदा हुआ है और उसे तुरंत किसी मेडिकल सहायता की ज़रूरत है या नहीं।
न्यूबॉर्न स्क्रीनिंग टेस्ट – गंभीर बीमारियों से बचाव की पहली कड़ीजन्म के तुरंत बाद किया जाने वाला न्यूबॉर्न स्क्रीनिंग टेस्ट शिशु के भविष्य की सेहत के लिए बेहद जरूरी होता है। इस ब्लड टेस्ट में शिशु की एड़ी से कुछ बूंद खून लेकर लैब में जांच की जाती है। इस टेस्ट के ज़रिए थायरॉइड, फिनाइलकेटोनूरिया (PKU), सिकल सेल एनीमिया, गैलैक्टोसीमिया और 50 से अधिक अनुवांशिक व हार्मोनल बीमारियों की जांच की जाती है। समय रहते इन बीमारियों का पता चल जाए तो इलाज आसान और असरदार होता है।
हियरिंग टेस्ट – सुनने की क्षमता का शुरुआती मूल्यांकनशिशु के जन्म के तुरंत बाद हियरिंग टेस्ट यानी सुनने की क्षमता की जांच की जाती है। यह टेस्ट यह पता लगाने के लिए जरूरी होता है कि बच्चा ठीक से सुन पा रहा है या नहीं। अगर समय रहते सुनने की कमजोरी का पता चल जाए, तो इलाज और स्पीच थेरेपी जल्द शुरू की जा सकती है, जिससे बच्चे के बोलने और समझने की क्षमता बेहतर बनी रहती है।
जौंडिस टेस्ट (बिलिरुबिन टेस्ट) – नवजात पीलिया की जांचनवजात शिशुओं में पीलिया (Jaundice) होना एक आम बात है, लेकिन अगर बिलिरुबिन का स्तर अधिक हो जाए तो यह खतरनाक हो सकता है। इसलिए जन्म के तुरंत बाद बिलिरुबिन टेस्ट कराना जरूरी होता है, ताकि यह पता चल सके कि शिशु को इलाज की जरूरत है या नहीं। समय पर इलाज से गंभीर जटिलताओं से बचा जा सकता है।
पल्स ऑक्सीमेट्री टेस्ट – शरीर में ऑक्सीजन स्तर की जांचपल्स ऑक्सीमेट्री टेस्ट के जरिए यह पता लगाया जाता है कि शिशु के शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा सामान्य है या नहीं। यह टेस्ट खासतौर पर जन्मजात हृदय रोगों को पहचानने में मदद करता है, जो शुरुआती समय में लक्षण नहीं दिखाते। समय पर जांच से गंभीर समस्याओं को टाला जा सकता है।
नवजात शिशु के लिए ये टेस्ट क्यों जरूरी हैं?जन्म के बाद अगर किसी जन्मजात बीमारी का जल्दी पता चल जाए, तो इलाज तुरंत शुरू किया जा सकता है। इससे बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास में किसी भी तरह की रुकावट से बचा जा सकता है, और वह एक स्वस्थ जीवन की ओर बढ़ सकता है।
डिस्क्लेमर: उपरोक्त जानकारी कुछ मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। किसी भी सलाह या उपचार को अपनाने से पहले चिकित्सकीय परामर्श अवश्य लें।