Corona side effects: कोरोना से ठीक होने के बाद लिंग में हो रहा था गंभीर दर्द, पेल्विक हिस्से की एक नस में मिला ब्लड क्लॉट

कोरोना वायरस के ओमीक्रोन वैरिएंट के चलते पूरी दुनिया में एक बार फिर कोरोना मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिल रही हैं। कोरोना वायरस कई तरीके से सामान्य जीवन को प्रभावित कर रहा है। संक्रमण से ठीक होने के बाद भी लोग दोबारा कोरोना संक्रमित हो रहे हैं। कोरोना के लक्षण ठीक होने के बाद भी लोगों का पीछा नहीं छोड़ रहे हैं। पिछले दो सालों में कोरोना की वजह से खून के थक्के जमने के बहुत से मामले देखे गए हैं। खून के थक्के जमने का एक बेहद ही चौकाने वाला मामला ईरान से सामने आया है। डॉक्टरों ने एक अध्ययन रिपोर्ट में कहा कि ईरान के एक 41 वर्षीय व्यक्ति को कोविड-19 के कारण लिंग में खून का थक्का यानी ब्लड क्लॉटिंग (Blood Clotting) का सामना करना पड़ा। इस दुर्लभ दुष्प्रभाव के कारण उसे लिंग में तेज दर्द का सामना करना पड़ा। इस विवाहित व्यक्ति को यौन संबंध के दौरान इरेक्शन के बाद तीन दिनों तक पेनाइल पेन (penile pain) में भयंकर दर्द रहा। पेनाइल पेन पेल्विक हिस्से में होता है। यह रिपोर्ट मेडिकल जर्नल क्लिनिकल में प्रकाशित हुई है। यह मामला सामने आने के बाद मेडिकल एक्सपर्ट्स की चिंता को और बढ़ा दिया है।

लिंग में मिला खून का थक्का

रिपोर्ट के अनुसार, जब इस व्यक्ति का दर्द हद से ज्यादा बढ़ने लगा, तो उसने ईरान में एक मूत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श किया। डॉक्टर ने उसे कुछ टेस्ट कराने की सलाह दी। टेस्ट की रिपोर्ट में ईरानी टीम ने बताया कि वायरस के कारण उसके लिंग वाले हिस्से में खून का थक्का जम गया था। किए गए परीक्षणों से पता चला कि उस आदमी के पेल्विक हिस्से की एक नस में रक्त का थक्का था। प्रभावित नस लिंग की पूरी लंबाई के साथ चलती है और अंग को ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करती है। लिंग के आधे रास्ते में एक थक्का जमने के कारण अल्ट्रासाउंड ने नस में रक्त का प्रवाह होता नहीं दिखा।

ईरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज के एक्सपर्ट्स और रेडियोलॉजिस्ट सैयद मुर्तजा बघेरिक ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि वो व्यक्ति तीन हफ्ते पहले कोरोना पॉजिटिव था और उसमें हलके लक्षण थे। डॉक्टरों ने कहा कि उसने कोरोना के इलाज के लिए कोई दवा नहीं ली।

इलाज के बाद मिली राहत

डॉक्टरों ने उसे रक्त को पतला करने वाली दवा रिवरोक्सैबन देना शुरू कर दिया। उपचार शुरू होने के करीब दो महीनों बाद रोगी को पूरी तरह से आराम मिल गया। उसे इरेक्शन के दौरान कोई दर्द नहीं था। हालांकि रक्त के थक्के के पास वाली जगह में थोड़ा दर्द का अनुभव हो रहा था।

जरुरी बात: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। इसमें बताई गई दवाई का इस्तेमाल डॉक्टर से सलाह के बाद ही करें।