कोरोना वायरस को लेकर कई तरह की खबरे सामने आ रही है उनमे से एक है कि जिन लोगों ने कोरोना से निजात पा लिया है उनको दोबारा कोरोना संक्रमण होगा की नहीं। अब तक काफी लोग ये समझ रहे थे कि कोरोना से पीड़ित होने के बाद दोबारा बीमार पड़ने का खतरा कम है। लेकिन WHO ने कहा है कि इस विचार को लेकर ठोस सबूत नहीं हैं। डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, WHO ने उन देशों को चेतावनी दी है जो एंटीबॉडीज टेस्ट पर काफी पैसे खर्च करने की प्लानिंग कर रहे हैं। WHO ने कहा है कि कोरोना संक्रमित मरीजों की इम्यूनिटी की कोई गारंटी नहीं है।
इससे पहले कई मेडिकल एक्सपर्ट की ओर से ये कहा जाता रहा है कि एक बार संक्रमित होने के बाद ज्यादातर लोगों में इम्यूनिटी डेवलप हो जाएगी। हालांकि, दक्षिण कोरिया में 100 से अधिक मरीजों के दोबारा संक्रमित होने की खबर आ चुकी है। कोरिया ने इस मामले की जांच के आदेश दिए थे। हालांकि, कुछ मेडिकल जानकारों ने कहा था कि हो सकता है कि पहली बार गलती से ऐसे मरीजों के टेस्ट निगेटिव आ गए होंगे।
ब्रिटिश सरकार 3 करोड़ 50 लाख एंटीबॉडीज टेस्ट किट चीन से खरीदने की योजना बनाई थी। इसके जरिए ये पता लगाना था कि कोई व्यक्ति पहले कोरोना से संक्रमित हो चुका है या नहीं। लेकिन जब मालूम चला कि चीनी कंपनी की ओर से बनाए गए किट बिल्कुल सही परिणाम नहीं देते तो सरकार अब अपना पैसा वापस लेने की कोशिश कर रही है।
हालांकि, अब भी कई देशों की सरकार बड़े पैमाने पर एंटीबॉडी टेस्टिंग की योजना बना रही है ताकि ये पता चले कि कौन लोग कोरोना से संक्रमित होकर अब ठीक हो चुके हैं। ऐसे लोगों को दोबारा काम पर भेजने की बात भी कही जा रही है।
लेकिन WHO के इमरजेंसीज प्रोग्राम के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर माइक रयान का कहना है कि इसको लेकर सीमित सबूत हैं कि कोरोना से लड़ चुके लोग भविष्य में बीमारी से इम्यून हो जाएंगे। उन्होंने कहा- किसी भी व्यक्ति को ये पता नहीं है कि जिन लोगों के शरीर में एंटीबॉडीज हैं वे पूरी तरह बीमारी से सुरक्षित हैं। साथ ही कई टेस्ट में सेन्सिटिविटी इश्यू भी देखा गया है। उनमें गलत परिणाम मिल सकता है।
डॉ रयान ने कहा कि एंटीबॉडी टेस्ट पर नैतिकता के सवाल भी हैं। हमें सावधानी से इस पर काम करना होगा। हमें यह भी देखना होगा कि एंटीबॉडी कितने वक्त तक हमें सुरक्षा दे सकता है।
WHO के ही अधिकारी डॉ मारिया वैन केरखोव ने कहा कि कई देश Serological Test के इस्तेमाल की बात कर रहे हैं। लेकिन इस बात के सबूत नहीं हैं कि ये टेस्ट बता पाएं कि कोई व्यक्ति कोरोना से इम्यून हो चुका है या नहीं।