छठ पूजा में सूर्य की उपासना की जाती है। आज छठ पूजा का तीसरा दिन है। आज शाम को डूबते हुए सूर्यदेव को पहला अर्घ्य दिया जाएगा। इसे संध्या अर्घ्य कहा जाता है। इसके पश्चात विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है। अगले दिन यानी कि 21 नवंबर शनिवार को उगते सूर्य शुरू को प्रात:कालीन अर्घ्य (Morning Arghya) देने के साथ छठ पर्व का समापन होगा। छठ पर्व में छठी मां को लगने वाले भोग का विशेष महत्व होता है। इन प्रसाद के बिना छठ की पूजा पूरी नहीं होती है। छठी मैया को चढ़ने वाले ये प्रसाद हमारी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। इस प्रसाद (Chhath Prasad) में डाभ नींबू का होना बहुत जरूरी है। डाभ नींबू को चकोतरा भी कहते हैं।
डाभ नींबू बाहर से पीला और अंदर से लाल होता है। प्रसाद के तौर पर छठी मां को डाभ नींबू का अर्पण किया जाता है। बदलते मौसम में डाभ नींबू किसी वरदान से कम नहीं है।
डाभ नींबू विटामिन C से भरपूर होता है और हड्डियों को नुकसान से बचाता है। विटामिन C में पाया जाने वाला एंटीऑक्सीडेंट शरीर में इम्यूनिटी और कैल्शियम के अवशोषण को बढ़ाता है।
चकोतरा विटामिन A और विटामिन C से भरपूर होता है और इसमें पानी की मात्रा भी अधिक होती है। इसमें कैलोरी बहुत कम होती है इसलिए ये वेट लॉस के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है।
डाभ नींबू गठिया जैसी समस्याओं के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। इसमें भरपूर मात्रा में कैल्शियम होता है जो हड्डियों को मजबूत बनाता है और गठिया रोग को दूर करता है।
गुलाबी और लाल चकोतरा में बीटा कैरोटीन होता है जो आंखों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। हर दिन एक चकोतरा खाने से आंखों की समस्या दूर होती है। ये आंखों की रोशनी भी बढ़ाने का काम करता है।
डाभ नींबू पाचन क्रिया को भी तंदरुस्त रखता है। ये खाने में आसानी से पच जाता है और पेट को हल्का और ठीक रखता है। इसे खाने से पेट में गैस की समस्या भी दूर होती है।
डाभ नींबू दिल की बीमारियों को भी कम करता है। इसमें मौजूद फ्लेवोनोइड्स हृदय रोगों पर सकारात्मक प्रभाव दिखाते हैं। हालांकि जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत रहती है उन्हें ये फल खाने से बचना चाहिए।
डाभ नींबू का जूस पीने से शरीर को तुरंत ऊर्जा मिल जाती है और सारी थकावट दूर हो जाती है। इसके अलावा ये पेट की गर्मी और जलन की समस्या को भी दूर करता है।