कारोना के इस नए टेस्ट से सिर्फ 90 मिनट में आएंगे मरीजों के परिणाम

कोरोना का बढ़ता कहर जगजाहिर है जिसमें संक्रमितों के आंकड़े में लगातार इजाफा हो रहा हैं। हांलाकि अभी भी कोरोना टेस्टिंग के परिणामों को लेकर देरी हो रही हैं जिसके चलते ज्यादा टेस्टिंग कर पाने में परेशानी आ रही हैं। जी हां, टेस्टिंग के बाद परिणाम आने में काफी समय लग रहा हैं। ब्रिटेन में करीब 75 फीसदी टेस्ट के नतीजे 24 घंटे में आते हैं जबकि बाकी 25 फीसदी टेस्ट के नतीजे आने में दो दिन लग जाते हैं। ऐसे में इस समस्या को देखते हुए अब ब्रिटेन में कोरोना वायरस और फ्लू के लिए एक नए तरह का टेस्ट किया जाएगा। इस टेस्ट के नतीजे सिर्फ 90 मिनट में आ सकेंगे।

सरकार ने केयर होम के स्टाफ और वहां रहने वाले लोगों के रेगुलर कोरोना टेस्ट जुलाई से शुरू करने की योजना बनाई थी, लेकिन टेस्ट किट की कमी के कारण ऐसा नहीं हो सका। लेकिन अब स्पॉट पर ही स्वैब और डीएनए टेस्ट किया जाएगा, जिससे कोविड-19 और दूसरे मौसमी बीमारियों में फर्क करने में मदद होगी। ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इससे आने वाले जाडे़ के मौसम में काफी फायदा होगा। सबसे पहले केयर होम और लैब में इसका इस्तेमाल होगा।

इस नए रैपिड स्वैब टेस्ट को लैमपोर कहा जाता है और अगले हफ्ते से केयर होम और लैब में करीब पांच लाख टेस्ट किए जा सकेंगे और साल के आखिर तक ऐसे लाखों और टेस्ट किए जाएंगे। इसके अलावा सितंबर से ब्रिटेन के सभी एनएचएस अस्पतालों में हजारों डीएनए टेस्ट मशीन लगाई जाएंगी, जिनसे नाक का स्वैब सैंपल लिया जा सकेगा। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, पांच हजार मशीनों से 58 लाख टेस्ट किए जा सकेंगे।

ये नया टेस्ट कितना सटीक और प्रमाणिक है इस बारे में अभी तक कोई सार्वजनिक डेटा मौजूद नहीं है, लेकिन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में मेडिसिन के प्रोफेसर सर जॉन बेल, जो कि कोरोना टेस्ट के मामले में सरकार के सलाहकार हैं, का कहना है कि अभी जो लैब आधारित टेस्ट किए जा रहे हैं, लैमपोर टेस्ट भी उतना ही संवेदनशील है।

स्वास्थ्य मंत्री मैट हैनकॉक ने इस नए कोरोना टेस्ट को जान बचाने वाला करार दिया है। उनका कहना था, 'लाखों ऑन द स्पॉट टेस्ट के नतीजे हमें 90 मिनट के अंदर मिल जाएंगे, जिससे हमें कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने में मदद मिलेगी।'

व्यापार मंत्री नदीम जहावी ने कहा कि स्कूल समेत दूसरी जगहों पर भी ये टेस्ट किए जाएंगे, क्योंकि इसमें मेडिकल विशेषज्ञ की जरूरत नहीं पड़ती है। यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन में संक्रमण रोग के विशेषज्ञ प्रोफेसर डेम एन जॉनसनक कहती हैं कि रैपिड टेस्ट बहुत उपयोगी है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है कि लोग अगर बीमार पड़ें तो सेल्फ आइसोलेशन में रहें।