मांसपेशियों की कमजोरी दूर करता है शलभासन, जाने और फायदे

रोजमर्रा की जिंदगी में काम करते-करते कब शरीर कमजोर हो जाता है इसका पता ही नहीं चलता हैं। तंत्रिका तंत्र और मांसपेशियों में कमजोरी होने लगती हैं। इसके लिए अगर शुरू से योग पर ध्यान दिया जाए तो यह बेहद फायदेमंद रहता अहिं। योग में कई तरह के आसन होते हैं और इस कड़ी में आज हम आपको जिस आसन की विधि और फायदे बताने जा रहे हैं वो हैं शलभासन। तो चलिए जानते हैं शलभासन की विधि और फायदे के बारे में।

* शलभासन करने की विधि

पेट के बाल लेट जायें। दोनो पैर एक साथ रखें, और दोनो पंजे भी। पैरों के तलवे उपर की ओर रखें। हाथों को जांघों के नीचे दबा लें, हथेलियन खुली और नीचे के ओर रखें। ठोड़ी को तोड़ा आगे लायें और ज़मीन पर टीका लें। आसन के पूरे अभ्यास में थोड़ी ठोड़ी को नीचे ही लगा कर रखें। आँखें बंद कर लें और शरीर को शिथिल करने की कोशिश करें। यह आरंभिक स्थिति है। धीरे-धीरे टाँगों को जितना ऊंचा हो उतना ऊंचा उठाने की कोशिश करें। टाँगों को सीधा और साथ रखें। टाँगों को ऊपर उठना आसान बनाने के लिए दोनो हाथों से ज़मीन पर दबाव डालें, और पीठ के निचले हिस्से की मासपेशियों को संकुचित कर लें। पैर जब और ऊपर ना जेया सकें, वह आपकी अंतिम स्थिति है। बिना किसी तनाव के इस मुद्रा में 30-60 सेकेंड या कम देर (अपनी क्षमता के अनुसार) के लिए रुकें। आसन से बाहर आने के लिए धीरे से पैरों को ज़मीन पर ले आयें।

* शलभासन करने के फायदे

- यह पीठ के निचले हिस्से और श्रोणि अंगों को मजबूत करता है, और सूक्ष्म तंत्रिकाओं को मजबूत करता है, जो कि पीठ दर्द, हल्के कटिस्नायुशूल (साएटिका) और स्लिप-डिस्क से पीड़ित लोगों को राहत प्रदान करती है। लेकिन अगर परेशानी गंभीर हो तो पहले डॉक्टर से सलाह ज़रूर करें।

- यह यकृत (लिवर) और अन्य पेट के अंगों के कामकाज को संतुलित करता है और पेट और आंत के रोगों को कम करता है।

- शलभासन भूख को विनियमित करता है।

- पीठ के निचले हिस्से और गर्दन की मांसपेशियों में रक्त की आपूर्ति में सुधार लाता है, और शरीर के इन भागों में कठोरता से राहत दिलाता है।