ये लक्षण दिखते ही हो जाएं सतर्क, डिमेंशिया की ओर करते हैं इशारा

आमतौर पर बढ़ती उम्र के साथ कई बीमारीयां भी आने लगती हैं जिनमें से कुछ दिमागी भी होती हैं। इन्हीं बीमारियों में से एक हैं डिमेंशिया जिसका प्रभाव व्यक्ति की याददाश्त पर पड़ता है। डिमेंशिया पुरुष और महिलाएं दोनों को समान रूप से प्रभावित करता है। यह समस्या आमतौर पर बढ़ती उम्र के साथ बूढ़े या ज्यादा उम्र वाले लोगों में देखने को मिलती है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति कम उम्र में इसे जूझने लगता हैं तो चिंता का विषय हैं। अक्सर डिमेंशिया को समझना मुश्किल हो जाता क्योंकि हर व्यक्ति में इससे जुड़े शुरूआती लक्षण काफी अलग होते हैं। ऐसे में आज हम आपको कुछ ऐसे लक्षणों के बारे में बताने जा रहे हैं जो डिमेंशिया की ओर इशारा करते हैं। इन्हें जानकर सतर्क होने की जरूरत हैं। आइये जानते हैं इन लक्षणों के बारे में...

बोलने में कठिनाई होती है

यह समस्या पुरुष और महिलाओं दोनों के साथ देखने को मिल सकती है। कि वे बोलते समय शब्दों का सही चयन नहीं कर पाते हैं और भाषा के साथ कठिनाई महसूस करते हैं। वे अपने विचारों को स्पष्ट कर पाने में कठिनाई महसूस करते हैं। वे सरल और साधारण शब्दों को भूल जाते हैं या उन्हें किस जगह प्रयोग करना था उन्हें ध्यान नहीं रहता।

भूलने की आदत

डिमेंशिया के शुरूआती लक्षणों में भूलने की आदत भी शामिल है। महिलाएं अक्सर रोजमर्रा के कामों के बीच चीजों या बातों को भूलने लगती हैं। या फिर उन्हें याद रखने में मुश्किल होती है। भूलने की ये आदत डिमेंशिया का प्रमुख लक्षण है।

मूड स्विंग

मूड स्विंग होना महिलाओं और पुरुषों में आम बात है। लेकिन उम्र बढ़ने के साथ ये समस्या बढ़ जाती है तो डिमेंशिया के लक्षण हो सकते हैं। अचानक से बिना वजह के रोना आना और फिर शांत हो जाना, गुस्सा होना या बिना बात के चिड़चिड़ाना भी डिमेंशिया के लक्षण हो सकते हैं।

कम नींद आना

अक्सर देखा गया है कि उम्र के एक पड़ाव पर नींद कम आने की समस्या आने लगती है। लेकिन बहुत कम नींद आना भी दिमागी बीमारी डिमेंशिया का लक्षण हो सकता है। इसलिए इस समस्या को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

फिर से याद करने में परेशानी

याददाश्त कमजोर होना डिमेंशिया के प्रमुख लक्षणों में से एक है। महिलाएं हाल की घटनाओं को भूल सकती हैं, साथ ही कई बार घर के आसपास की चीजों, जैसे फोन, चाबियों आदि को भूल सकता है और जब वे फिर से याद करने की कोशिश करती हैं, तो उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ता है।

डिप्रेशन

डिप्रेशन या एंजाइटी लोगों में आम समस्या बनती जा रही है। ऐसे में डिप्रेशन का शिकार व्यक्ति जल्द ही डिमेंशिया की चपेट में आ जाता है। क्योंकि डिप्रेशन में हमारे ब्रेन में कई बदलाव होते हैं और इन बदलाव के कारण डिमेंशिया की संभावना ज्यादा होती है।

निर्णय लेने की क्षमता में कमी

डिमेंशिया में व्यक्ति की निर्णय लेने की क्षमता कम होने लगती है और भ्रम की स्थिति बनी रहती है। वे पैसों की बात हो या कहीं यात्रा प्लान करने की, वे निर्णय लेने में परेशानी महसूस करते हैं। साथ ही उनका हल ढूंढने में भी संघर्ष करते हैं।

बार-बार गिरना

कुछ शोध में निष्कर्ष निकाला गया है कि जो लोग बार-बार ठोकर खाने या गिरने जैसे लक्षणों का अनुभव करते हैं, उनमें डिमेंशिया की अधिक संभावना होती है।