एंग्जायटी के दौरान करें इन आहार से परहेज, बढ़ सकती हैं बेचैनी और घबराहट

हर कोई अपनी सेहत को लेकर फिक्रमंद रहता हैं फिर चाहे वह शारीरिक हो या मानसिक। लेकिन वर्तमान समय की भागदौड़ भरी लाइफस्टाइल में लोग शारीरिक रूप से तो फिट रह जाते हैं लेकिन मानसिक तनाव आने लगता हैं। कई लोग इस दौरान किसी खास तरह की समस्या जैसे एंग्जाइटी या डिप्रेशन आदि का शिकार भी हो जाते हैं। ऐसे समय में आपको सबसे ज्यादा ध्यान अपने आहार पर देना होता हैं। हेल्दी फूड न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है। आप जो भी खाते हैं, उसका सीधा असर हमारे मन-मस्तिष्क पर भी पड़ता है। ऐसे में आज हम आपको कुछ ऐसे आहार के बारे में बताने जा रहे हैं जिनसे एंग्जायटी के दौरान परहेज करना चाहिए। इन आहार से नर्वस सिस्टम पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। आइये जानें इन आहार के बारे में...

अल्कोहल

अगर आप डिप्रेशन या एंग्जाइटी की समस्या से जूझ रहे हैं, तो आपको अल्कोहल का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। दरअसल, ऐसे व्यक्तियों के लिए यह बेहद आवश्यक होता है कि उनका सेंट्रल नर्वस सिस्टम सही तरह से काम करें, लेकिन जब आप अल्कोहल का सेवन करते हैं, तो इससे आपका नर्वस सिस्टम भ्रमित होता है। जिससे उसे सही तरह से काम करने में समस्या होती है। यह भी देखा जाता है कि डिप्रेशन में व्यक्ति अल्कोहल का बहुत अधिक सेवन करते हैं, जिससे उन्हें समस्या होती है। यहां आपको यह भी जानना चाहिए कि सेंट्रल नर्वस सिस्टम आपके इमोशन्स को रेग्युलेट करने में भी मददगार होता है। लेकिन अल्कोहल के सेवन से जब आपका सेंट्रल नर्वस सिस्टम सही काम नहीं करता है, तो इससे आपकी डिप्रेशन की समस्या और भी अधिक बढ़ जाती है।

प्रोसेस्ड फूड

अगर आपको हर बार किसी न किसी बात को लेकर चिंता महसूस होती है, तो प्रोसेस्ड फूड खाने से बचें। ऐसे खाद्य पदार्थ पेट में सूजन और अपच की समस्या पैदा करते हैं, जो आगे चलकर चिंता का कारण बन सकते हैं । चूंकि इसमें फाइबर बहुत कम मात्रा में होता है, इसलिए आंत प्रणाली कमजोर हो जाती है। इसी वजह से शरीर के काम करने की क्षमता पर भी असर पड़ता है।

हाई सोडियम फूड

चिप्स, केक, पेस्ट्री, बेक्ड आइटम व पैक्ड फूड आदि का अधिक सेवन आपके लिए परेशानी भरा हो सकता है। सोडियम की अधिकता हार्ट रिस्क को बढ़ाता है। साथ ही, यह आपके साइकोलॉजिकल हेल्थ के लिए भी अच्छा नहीं है। इतना ही नहीं, डिप्रेशन व एंग्जाइटी के रोगी कुछ दवाईयों का सेवन करते हैं, जो वजन बढ़ाती हैं। ऐसे में अगर वह हाई सोडियम फूड का सेवन करते हैं, तो इससे बॉडी में वाटर रिटेंशन काफी बढ़ जाता है। जिससे आप और भी अधिक मोटे नजर आने लगते हैं। ऐसे में आपकी एंग्जाइटी व डिप्रेशन की समस्या और भी अधिक बढ़ने की संभावना हो जाती है।

कैफीनयुक्त ड्रिंक्स

ज्यादातर लोग ऊर्जा को बढ़ाने के लिए कॉफी और अन्य कैफीन युक्त पेय पदार्थ पीते हैं। लेकिन उनका यही उपाय चिंता बढ़ाने का एक कारण है। दरअसल, कैफीन का सेवन करने से सेरोटोनिन लेवल कम हो जाता है , जिससे व्यक्ति उदास और चिड़चिड़ा महसूस करता है। एक शोध के अनुसार, कॉफी, चाय और एनर्जी ड्रिंक जैसे कैफीन युक्त पेय पदार्थों को प्राथमिकता देने वाले लोगों में चिंता बहुत ज्यादा देखी गई है। कैफीन सेंट्रल नर्वस सिस्टम और एडेनोसाइन रिसेप्टर्स को एक्टिवेट करता है, जो लोगों में चिंता बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है।

प्रोटीन रहित स्मूदी

वैसे तो स्मूदी पोषण और ऊर्जा का बेहतरीन स्त्रोत है। लेकिन जब इसमें प्रोटीन वाले फलों और सब्जियों की कमी होती है, तो ब्लड शुगर लेवल बढ़ या कम हो सकता है। इससे चिंता और घबराहट की भावनाओं को विकसित करने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

रिफाइंड शुगर

डिप्रेशन के रोगियो को रिफाइंड प्रोडक्ट्स जैसे मैदा, व्हाइट ब्रेड, बर्गर, पिज्जा, चाऊमीन व शुगरी फूड जैसे चॉकलेट, कोल्ड ड्रिंक्स आदि को भी कम से कम खाना चाहिए। यह ऐसे प्रोडक्ट्स होते हैं, जो आपको एकदम से एनर्जी प्रदान करते हैं और फिर उसे एकदम से एनर्जी को ड्रॉप कर देते हैं। यह प्रक्रिया डिप्रेशन रोगियों के लिए अच्छी नहीं मानी जाती। एंग्जाइटी व डिप्रेशन के मरीजों के लिए जरूरी है कि उनका माइंड शांत रहे और इस तरह एनर्जी का उतार-चढ़ाव उन्हें परेशान कर सकता है। वहीं, इससे उनके वजन बढ़ने की समस्या भी काफी बढ़ जाती है।

स्वीट ड्रिंक्स

सिर्फ मीठे खाद्य पदार्थ से ही नहीं, बल्कि मीठे पेय के सेवन से भी ब्लड शुगर में उतार-चढ़ाव होता है। जिससे चिंता बढ़ सकती है। दरअसल, कई फलों के रस में फाइबर के बिना भी बहुत ज्यादा मात्रा में चीनी पाई जाती है, जो नुकसानदायक है। बता दें कि कम फाइबर वाले आहार से अपच की समस्या और ब्लड शुगर लेवल बढ़ने की शिकायत रहती है।