भारत-पाक तनाव के दौर में भी फ्रेंचाइज़ी फिल्मों का जलवा बरकरार, जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ

भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते राजनीतिक तनाव का असर अब मनोरंजन जगत पर भी दिखाई देने लगा है। हाल ही में फिल्म 'भूल चुक माफ' ने पहले सिनेमाघरों में रिलीज़ का ऐलान करने के बाद सीधे ओटीटी पर आने का फैसला किया, जिससे यह सवाल उठने लगा है — क्या यह नई सामान्य स्थिति है? और अगर हां, तो इसका असर बॉलीवुड के भविष्य और उसकी कमाई पर क्या होगा?

इस जटिल दौर में फिल्म व्यापार के विशेषज्ञों ने अपनी राय व्यक्त की है, जिससे यह समझा जा सके कि मौजूदा परिदृश्य में हिंदी फिल्म उद्योग किस दिशा में बढ़ रहा है।

विश्लेषण और विशेषज्ञों की राय

प्रसिद्ध ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श ने बताया, “सीज़फायर के बाद वीकेंड बॉक्स ऑफिस कलेक्शन में सुधार साफ तौर पर देखा गया है। यह एक सकारात्मक संकेत है कि दर्शक फिर से थिएटर की ओर लौट रहे हैं। हाल ही में सनी देओल की 'जाट' ने अच्छा प्रदर्शन किया है, चाहे वह सिंगल स्क्रीन हो या मल्टीप्लेक्स। इसके बाद 'रेड 2' और 'केसरी: चैप्टर 2' ने भी ज़बर्दस्त कमाई की है। एक महीने में तीन हिट फिल्में आना निश्चित रूप से एक अच्छा संकेत है।”

तरण ने आगे कहा, “आगामी हॉलीवुड फिल्मों के लिए भी एडवांस बुकिंग काफी उत्साहजनक है। 'मिशन: इम्पॉसिबल – द फाइनल रेकनिंग' के लिए 24 घंटे में ही 11,000 से अधिक टिकट बुक हो चुके हैं। उम्मीद है कि यह रफ्तार बनी रहेगी।”

थियेटर मालिकों की राय

थियेटर मालिक और फिल्म विशेषज्ञ विशाल चौहान ने कहा, “पिछली तिमाही में 'रेड 2', 'केसरी चैप्टर 2' और 'छावा' जैसी फिल्मों ने अच्छा प्रदर्शन किया। लेकिन आने वाली तिमाही और भी आशाजनक दिख रही है। 'हाउसफुल 5' जैसे बड़े फ्रेंचाइज़ी की रिलीज़ जून से शुरू हो रही है। इसका हालिया गाना भी लोगों को बेहद पसंद आया है, जो फिल्म के लिए अच्छा माहौल बना रहा है।”

उन्होंने आगे कहा, “जून में आमिर खान की सितारे ज़मीन पर भी रिलीज़ होने वाली है, और स्वतंत्रता दिवस पर वार 2 जैसी बड़ी फिल्में लाइन में हैं। इससे स्पष्ट है कि अगली तिमाही में बड़ी फ्रेंचाइज़ी फिल्में बाजार को मजबूत करेंगी।”

ओटीटी रिलीज़ को लेकर चिंता

हालांकि, फिल्मों के सीधे डिजिटल रिलीज़ की प्रवृत्ति को लेकर चिंताएं भी हैं। तरण आदर्श ने इस पर कहा, “भूल चुक माफ को छोड़ दें तो अन्य किसी फिल्म ने अपना रुख ओटीटी की ओर नहीं मोड़ा है। रेड 2 की सफलता ने यह साबित कर दिया है कि दर्शक अब भी सिनेमाघरों का अनुभव पसंद करते हैं। 16 मई के बाद से सभी निर्धारित रिलीज़ अपने तय कार्यक्रम पर ही रहेंगी।”

विशाल चौहान ने भी माना कि “मैडॉक फिल्म्स की स्थिति थोड़ी असामान्य थी, खासकर एक दिन पहले फिल्म रद्द करना। लेकिन यह निर्णय शायद कंपनी के व्यापक हित को देखते हुए लिया गया था। एक प्रोडक्शन हाउस जो लगातार दर्शकों की नब्ज समझता रहा है, अगर कोई फिल्म टालता है, तो उसके पीछे व्यावसायिक सोच जरूर होगी।”

भविष्य की रणनीति और उद्योग की दिशा

क्या मौजूदा सीमा तनाव बॉलीवुड की दृश्यता पर असर डालेगा? इस पर विशाल ने कहा, “अभी भी कई फिल्में खिसकाई जा रही हैं या फिर अंतिम समय में थियेटर से हटाई जा रही हैं। जब तक दर्शकों की पसंद को लेकर स्थिरता नहीं आती, तब तक ऐसी स्थिति बनी रहेगी। इस वक्त ब्रांडेड एंटरटेनमेंट और स्टार-ड्रिवन फ्रेंचाइज़ी सबसे सुरक्षित दांव हैं। 'केसरी 2' जैसी फिल्म पहले ही 70–80 करोड़ का कारोबार कर चुकी है।”

उन्होंने अंत में जोड़ा, “हम अभी भी एक संक्रमण काल से गुजर रहे हैं। कोविड से पहले जैसी स्थिरता पाने में समय लगेगा। लेकिन बॉलीवुड को अपना संतुलन दोबारा मिल जाएगा — बस थोड़ा धैर्य और समझदारी की ज़रूरत है।”

सीमा पार तनाव के बावजूद, मनोरंजन उद्योग न केवल लचीलापन दिखा रहा है, बल्कि बदलते हालातों के अनुरूप खुद को ढालने की कोशिश भी कर रहा है। यह न केवल व्यवसायिक बुद्धिमत्ता है, बल्कि शायद समय की भी मांग है।