रिव्यू कुबेर: लाजवाब कथानक, उम्मीदों से बढ़कर अभिनय, दमदार निर्देशन, 'कुबेर' ने छुआ दर्शकों का दिल

तमिल सुपरस्टार धनुष की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘कुबेर’ ने न केवल तेलुगु सिनेमा में उनकी वापसी को यादगार बना दिया है, बल्कि एक संवेदनशील और जटिल कथा के माध्यम से दर्शकों को भी भावुक कर दिया है। निर्देशक शेखर कम्मुला की यह फिल्म शुक्रवार को सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई और कुछ ही घंटों में सोशल मीडिया पर दर्शकों की प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। जहां एक ओर फिल्म की लंबाई को लेकर हल्की आलोचना सुनने को मिली, वहीं दूसरी ओर धनुष के अभिनय को उनके करियर का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन बताया गया।

धनुष: एक असामान्य किरदार में बेजोड़ अभिनय

फिल्म में धनुष ने एक ऐसे किरदार को निभाया है जो अब तक उनके लिए असामान्य रहा है — एक बेसहारा, हाशिए पर खड़ा व्यक्ति जिसे समाज एक भिखारी के रूप में देखता है। इस भूमिका के माध्यम से उन्होंने पारंपरिक नायक की परिभाषा को चुनौती दी है। उनके अभिनय में मौजूद मासूमियत, आंतरिक द्वंद्व और मानवीय संवेदना ने दर्शकों को गहराई से छुआ। कई दर्शकों ने सोशल मीडिया पर उनकी मासूम आंखों और भाव-भंगिमाओं की सराहना की जो शब्दों से कहीं अधिक प्रभावशाली रही।

शेखर कम्मुला की सोच और निर्देशन

निर्देशक शेखर कम्मुला की यह फिल्म न केवल भावनात्मक रूप से समृद्ध है, बल्कि इसके कथानक में सामाजिक यथार्थ की भी तीव्र मौजूदगी है। ‘कुबेर’ उस अंधेरे पक्ष की पड़ताल करती है जिसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है — वित्तीय अपराध, संस्थागत भ्रष्टाचार और सामाजिक सत्ता-संरचनाएं।

फिल्म अपने दर्शकों को एक ऐसा संसार दिखाती है जहां अच्छाई और बुराई की रेखाएं धुंधली हैं और हर किरदार अपने-अपने तरीके से जीवन की विडंबनाओं से जूझ रहा है। कम्मुला ने इस कथा को जटिल बनाए बिना एक सहज गति में दर्शाया है, हालांकि प्री-क्लाइमेक्स में कुछ दर्शकों को फिल्म थोड़ी खिंची हुई लगी।

नागार्जुन, रश्मिका और जिम सार्भ की सशक्त उपस्थिति

फिल्म की स्टारकास्ट बहुआयामी और प्रभावशाली है। अनुभवी अभिनेता नागार्जुन ने एक कानून प्रवर्तन अधिकारी की भूमिका निभाई है, जो वित्तीय अपराधों की गहराई तक पहुंचने की कोशिश करता है। उनकी उपस्थिति फिल्म में एक गंभीरता और गहराई जोड़ती है।

रश्मिका मंदाना केंद्रीय महिला किरदार में हैं और उन्होंने नायक के साथ एक भावनात्मक संतुलन बनाने का काम बखूबी किया है। वहीं, जिम सार्भ एक अरबपति के किरदार में दिखाई देते हैं, जिनका जीवन और मूल्य प्रणाली धनुष के किरदार के पूर्णतः विरोध में है। यह टकराव प्रतीकात्मक रूप से फिल्म की केंद्रीय थीम — अमीरी बनाम गरीबी — को मजबूती देता है।

51वीं फिल्म में धनुष की नई परिभाषा

‘कुबेर’ धनुष की 51वीं फिल्म है और यह संख्या केवल संख्यात्मक उपलब्धि नहीं है, बल्कि उनके अभिनय कौशल की परिपक्वता का प्रमाण भी है। फिल्म ने यह दिखाया है कि धनुष अपने करियर में अब ऐसी भूमिकाओं को चुन रहे हैं जो केवल अभिनय नहीं बल्कि समाज से संवाद भी करती हैं।

‘वाथी’ के बाद यह उनकी तेलुगु सिनेमा में दूसरी कोशिश है, और इसे अखिल भारतीय दर्शकों तक पहुंचाने के लिए फिल्म को तमिल, तेलुगु और हिंदी में रिलीज़ किया गया है।

फिल्म की लंबाई: एकमात्र कमजोरी

हालांकि, कई दर्शकों ने फिल्म की लंबाई को लेकर नाराजगी जताई है, खासकर प्री-क्लाइमेक्स से पहले की धीमी गति को लेकर। फिल्म की स्क्रिप्ट को थोड़ा कसावट भरा बनाया जा सकता था, जिससे इसकी पकड़ और भी मजबूत होती। लेकिन भावनात्मक जुड़ाव और किरदारों की गहराई इसकी थोड़ी-बहुत कमियों को छिपा देती है।

तकनीकी पक्ष और संगीत

फिल्म की सिनेमैटोग्राफी साधारण है लेकिन कई दृश्य, विशेष रूप से बास्केटबॉल ट्रेनिंग और मानसून के बीच बच्चों के मस्ती भरे पल, प्रभावशाली हैं। बैकग्राउंड स्कोर फिल्म की भावनात्मक लय को बनाए रखता है। गानों की बात करें तो कोई विशेष चार्टबस्टर नहीं है, लेकिन हर गाना फिल्म के प्रवाह में मेल खाता है।

दर्शकों की प्रतिक्रियाएं: सोशल मीडिया में सराहना की लहर


नेटिज़न्स ने फिल्म को लेकर जो उत्साह दिखाया, वह कई मायनों में खास रहा। एक दर्शक ने कहा, “यह किरदार निभाना आसान नहीं था, लेकिन धनुष ने इसे जीवंत कर दिया। बड़े पर्दे पर यह प्रदर्शन याद रखने लायक है।”

दूसरे ने लिखा, “धनुष और रश्मिका की केमिस्ट्री शानदार है। शेखर कम्मुला की कहानी बेहतरीन है लेकिन फिल्म की गति कुछ जगह धीमी हो जाती है, खासकर क्लाइमेक्स से पहले।”

कई दर्शकों ने इसे धनुष का अब तक का “सर्वश्रेष्ठ अभिनय” बताया और कहा कि फिल्म में कई ऐसे दृश्य हैं जो लंबे समय तक याद रहेंगे।

संवेदना, सामाजिक यथार्थ और सिनेमा का सुंदर संगम

‘कुबेर’ सिर्फ एक क्राइम-ड्रामा नहीं है, यह एक ऐसी कहानी है जो हमें समाज की परतों के नीचे झांकने के लिए प्रेरित करती है। यह फिल्म नायकों की चमकदार दुनिया से हटकर उन चेहरों की कहानी कहती है जो अक्सर अंधेरे में खो जाते हैं।

‘कुबेर’ एक ईमानदार और भावनात्मक फिल्म है जो दर्शकों को सोचने पर मजबूर करती है। यह फिल्म मनोरंजन से परे जाकर समाज के प्रति संवेदनशीलता और समावेशिता का संदेश देती है। धनुष का किरदार इस बात का प्रतीक बन जाता है कि एक आम आदमी भी असामान्य हालातों में कैसे नायक बन सकता है।

धनुष का अभिनय, शेखर कम्मुला की सधी हुई दृष्टि और एक सामयिक विषयवस्तु — इन सबने मिलकर ‘कुबेर’ को एक ऐसी फिल्म बना दिया है जो लंबे समय तक स्मृति में बनी रहेगी।

यदि आप गंभीर विषयों पर बनी, भावनात्मक लेकिन संवेदनशील कहानी देखना चाहते हैं, तो 'कुबेर' एक अच्छा विकल्प है। यह फिल्म लंबे समय तक आपके मन में बनी रह सकती है।