इंडोनेशिया : अनोखा गांव जहां माएं नहीं रहतीं, पिता संभालते हैं बच्चे
By: Priyanka Maheshwari Wed, 15 May 2019 08:47:07
पूर्वी इंडोनेशिया में एक ऐसा गांव है जिसे लोग बिना मां वाला गांव कहते हैं। दरहसल इस गांव में माएं नहीं रहतीं। यहां की लगभग सभी माएं दूसरे देशों में नौकरी के लिए जा चुकी हैं। मां के गांव छोड़ने पर बच्चों को संभालने की जिम्मेदारी पिता की होती है। ज्यादातर घरों में यही स्थिति होने के कारण पड़ोसी एक-दूसरे के बच्चे की देखभाल में भी मदद करते हैं। ज्यादातर मांओं के विदेश में नौकरी करने का मकसद बच्चों को बेहतर परवरिश और जीवन देना है। यहां के बच्चों के लिए मां को जाते देखना बेहद इमोशनल पल होता है। यहां कुछ बच्चे ऐसे भी हैं जिनके माता-पिता दोनों ही विदेश में रहते हैं। उन्हें ऐसे स्कूल में रखा गया है जहां वे रहते हैं और पढ़ाई भी करते हैं। ऐसे स्कूलों को यहां की स्थानीय महिलाओं और माइग्रेंट राइट समूहों द्वारा चलाया जा रहा है। यहां के ज्यादातर मर्द किसानी और मजदूरी करके घर का खर्चा उठाते हैं, वहीं महिलाएं विदेशों में घरेलू नौकर या नैनी बनकर काम कर रही हैं। पूर्वी इंडोनेशिया से महिलाओं के विदेश जाने का सिलसिला 1980 के दशक में शुरू हुआ था।
विदेश में दुर्व्यवहार किया जाता है
विदेश में नौकरी करने वाली कुछ महिलाएं वतन लौट आती हैं, क्योंकि कानूनी नियम न होने के कारण उनके साथ विदेश में दुर्व्यवहार किया जाता है। कुछ माएं अपने वतन कफन में लिपटकर आती हैं। वहीं कुछ ऐसी हैं जिनको काम पर रखने वाले लोग बुरी तरह पीटते हैं।
शारीरिक सम्बंध भी बनाए जाते हैं
कुछ महिलाओं को बिना पैसा दिए वापस भेज दिया जाता है। जबरदस्ती शारीरिक सम्बंध भी बनाए जाते हैं। यही कारण है कि यहां के गांव में बच्चों की शक्ल-सूरत में भी विभिन्नता है। 18 साल की फातिमा यहां के दूसरे टीनएजर्स से अलग हैं। लोग उन्हें आश्चर्यचकित होकर देखते हैं। वे कहती हैं कुछ लोग कहते हैं तुम बेहद सुंदर हो क्योंकि अरब से हो। लेकिन गांव के लोगों की तरह न दिखने के कारण स्कूल में चिढ़ाया जाता है। फातिमा कहती हैं उन्होंने अपने सउदी अरब में रहने वाले पिता को कभी नहीं देखा, लेकिन वे मुझे पैसे भेजते थे। कुछ समय पहले उनकी मौत हो गई, इससे हमारा जीवन बेहद कठिन हो गया। मां ने सउदी अरब में ही दूसरी नौकरी तलाश ली है।
एली सुसियावटी कहती हैं जब मैं 11 साल की थी तभी मेरी मां मुझे दादी के सहारे छोड़ गई थीं। माता-पिता अलग होने के कारण मुझे मेरी मां को सौंपा गया था। मां मार्शिया सउदी अरब में हेल्पर की नौकरी करती हैं। एली स्कूल की अंतिम वर्ष की छात्र हैं और बताती हैं मां के जाने के बाद सब कुछ बेहद परेशान करने वाला था। एली वानासाबा नाम के गांव में रहती हैं।
करीमतुल अदिबिया की उम्र 13 साल है। मां उसे 1 साल की उम्र में ही छोड़कर चली गई थीं। उसे मां के साथ बिताया गया एक पल भी याद नहीं है। करीमतुल की देखभाल उनकी आंटी कर रही हैं। वे बताती हैं- मुझे याद है फोन पर एक बार मेरी मां आन्टी से लड़ रही थीं कि मेरी बेटी मुझे क्यों नहीं जानती। आन्टी ने कहा था, उनकी मेरे साथ कोई तस्वीर नहीं है। मैं उन्हें याद करती हूं और गुस्सा भी आता है क्योंकि वह बेहद कम उम्र में मुझे छोड़कर चली गई थीं। करीमतुल अपनी मां से वीडियो कॉल पर बात करती है। दोनों एक-दूसरे को मैसेज भेजते हैं, लेकिन संबंध उतने मधुर नहीं है जो मां-बेटी के बीच होने चाहिए। करीमतुल कहती हैं अब जब भी मेरी मां यहां आती हैं तब मैं आन्टी के साथ ही रहती हूं। करीमतुल की आन्टी नौ बच्चों की और देखभाल करती हैं। जिनमें से एक बच्चा उनका भी है। इनमें से ज्यादातर ऐसे बच्चे हैं जिनकी माएं विदेश में काम करने गई हैं।
(इनपुट दैनिक भास्कर के साथ)