बेरहम अपराधियों का कैदखाना बना पर्यटकों के लिए जन्नत

By: Ankur Tue, 11 Feb 2020 09:38:12

बेरहम अपराधियों का कैदखाना बना पर्यटकों के लिए जन्नत

आज के समय में ऐसी कई जगहें हैं जो पर्यटन के लिहाज से किसी जन्नत से कम नहीं हैं और उनका इतिहास बेहद ही रोचल रहा हो। आज हम भी आपको एक ऐसी ही जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जो कभी बेरहम अपराधियों का कैदखाना हुआ करता था लेकिन आज पर्यटकों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं हैं। हम बात कर रहे हैं ब्राजील के फर्नांडो डी नोरोन्हा द्वीप समूह के बारे में। यहां रोजाना सिर्फ 420 मेहमानों को ही फर्नांडो डी नोरोन्हा आने की इजाजत मिलती है। ब्राजील के उत्तर-पूर्वी तट से साढ़े तीन सौ किलोमीटर दूर स्थित इन 21 खूबसूरत द्वीपों के तीन चौथाई हिस्से को 1988 में संरक्षित राष्ट्रीय समुद्री वन एवं अभयारण्य घोषित किया गया था।

मुख्य द्वीप 28.5 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। इसका निर्माण ज्वालामुखीय चट्टानों से हुआ है। इसके आसपास 20 छोटे द्वीप हैं। ये द्वीप हमेशा ऐसे नहीं थे। 16वीं सदी में इसे सबसे पहले पुर्तगाल के समुद्री यात्री फर्नांडो डी नोरोन्हा ने खोजा था। डच और पुर्तगाल दोनों देशों की सेनाएं इसका इस्तेमाल करती थीं। लेकिन 1700 ईस्वी के आसपास इसे जेल में बदल दिया गया था।

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20वीं सदी के मध्य तक यहां के मुख्य द्वीप का इस्तेमाल कैदखाने की तरह होता था जहां ब्राजील के सबसे खतरनाक अपराधियों को रखा जाता था। कातिलों, चोरों, बलात्कारियों और राजनीतिक कैदियों को सजा काटने के लिए इस द्वीप पर भेजा जाता था।

फर्नांडो डी नोरोन्हा को अब भी एकांत की जगह माना जाता है, हालांकि अब यह उतना अलग-थलग नहीं है जितना पहले कभी हुआ करता था। जन्नत जैसी खूबसूरती के लिए मशहूर इस द्वीप को ब्राजील के लेखक गैस्टाओ पेनाल्वा ने "फोरा डो मुंडो" कहा था जिसका मतलब है इस दुनिया से बाहर। फर्नांडो डी नोरोन्हा को यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किया है। ब्राजील तट से दूर यह एकमात्र द्वीप है जहां आबादी रहती है।

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आज की तकनीक और इंटरनेट होने के बावजूद यह एक दूर की जगह है। अलग-थलग होने के कारण ही 18वीं सदी से लेकर 20वीं सदी तक इसका इस्तेमाल कैदखाने की तरह होता रहा। अच्छे चाल-चलन वाले कैदी अपने परिवार वालों को भी यहां भेजने की गुजारिश कर सकते थे। वे आम कैदियों के सेल से अलग रहते थे।

यहां की जेल 1957 में बंद कर दी गई, लेकिन कुछ पूर्व कैदी यहां से कभी वापस नहीं गए। उन्होंने इस द्वीप को ही घर बना लिया जहां आज भी उनके वंशज रहते हैं। फर्नांडो डी नोरोन्हा आने वाले मेहमान आज भी उस कैदखाने के खंडहरों को देख सकते हैं, जिन पर अब हरी बेलों ने कब्जा जमा लिया है।

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