जल संकट: स्थानीय लोग की अपील इन गर्मियों में शिमला न आएं...
By: Priyanka Maheshwari Thu, 31 May 2018 07:14:01
खूबसूरत हिल स्टेशन शिमला इन दिनों ऐतिहासिक जलसंकट का सामना कर रहा है। जिसके चलते लोग लोग सडको पर उतर आये है। दरअसल, शहर को 25,000 हजार लोगों के हिसाब से बसाया गया था जिसकी आबादी 2.20 लाख पहुंच गई है। इससे अलग 15 से 20 हजार पर्यटक दबाव बढ़ाते हैं। आबादी बढ़ने के बाद भी प्रशासन ने लोगों को पानी मुहैया कराने के लिए कोई तरीका नहीं निकाला है। लोग रैलियां निकालकर, सड़कें जामकर विरोध कर रहे हैं और अधिकारी बढ़ती गर्मी को वजह बता रहे हैं। उधर कांग्रेस ने भी पानी की समस्या को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। प्रमुख इलाकों में टैंकर से पानी भेजा जा रहा है। इन टैंकरों के आसपास लंबी-लंबी लाइन लग रही है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि रोस्टर के हिसाब से भी पानी नहीं बंट रहा। जिन इलाकों में मंगलवार को पानी की आपूर्ति की जानी थी, वहां से भी पानी की आपूर्ति नहीं की गई। पानी की कालाबाजारी और नगर निगम की लापरवाही से भी जनता में रोष है।
कहां से आता है पानी-
- 1875 में पहली बार शहर में पानी सप्लाई की व्यवस्था शुरू हुई थी, जब इसकी आबादी 20,000 थी।
- अब आबादी 2.20 लाख पहुंच गई है।
- 15 किलोमीटर दूर गुम्मा और 7 किमी दूर अश्विनी खंड से पानी आता है।
- गुम्मा वॉटर स्कीम के तहत जहां 21 मिलियन लीटर पानी प्रतिदिन आना चाहिए, वहीं यह केवल 10.60 मिलियन लीटर पानी देता है।
- 10 गुना से ज्यादा बढ़ गई आबादी पर पानी का इंतजाम पांच गुना भी नहीं बढ़ा।
- 15 से 20 हजार पर्यटक भी हर रोज आते हैं शिमला में, होटलों के पास भी पानी की कमी है।
30 रेस्टोरेंट बंद हुए
- पानी की कमी के कारण शिमला शहर के 30 रेस्टोरेंट बंद कर दिए गए हैं।
- इससे सैलानियों को खाने पीने में काफी परेशानी हो रही है।
- वहीं स्थानीय लोग सोशल मीडिया पर सैलानियों से अपील कर रहे हैं कि इन गर्मियों में शिमला न आएं।
- शिमला के होटल एसोशिएशन के मुताबिक महंगी दर पर भी टैंकर नहीं मिल पा रहा है।
अस्पतालों पर भी असर
- शिमला के अस्पतालों में भी पानी की कमी हो गई है, जिसकी वजह से मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
- शिमला के आयुर्वेदिक अस्पताल में पानी नहीं है जिसकी वजह से पंचकर्म एवं अन्य जरूरी इलाज ठप पड़ गए हैं। अन्य सरकारी अस्पतालों में भी पानी की किल्लत कर कारण मरीज भी परेशान हैं।
डेप्युटी मेयर टिकेंदर पनवार का कहना है
- शिमला के पूर्व डेप्युटी मेयर टिकेंदर पनवार का कहना है कि छोटे-चोटे कदमों से कुछ नहीं होगा। साल भर के पानी का इंतजाम करने वाले तरीके निकालने होंगे।
- उन्होंने जलवायु परिवर्तन के करण हो रहे नुकसान पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि कम बर्फ और ज्यादा बारिश की वजह से पानी रुक नहीं पाता।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने स्थिति का जायजा लिया
- मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पेयजल संकट हल होने तक प्रदेश का दौरा करने के बावजूद रात को हमेशा शिमला में ही रहेंगे और पानी पर अधिकारियों की बैठक लेंगे। वे बुधवार को चंबा जाने से पहले रात को शिमला आए और सुबह हालात का जायजा लिया।
- उन्होंने बताया कि पिछले साल कम बर्फ और बारिश के कारण पानी की समस्या हुई है। उन्होंने बताया कि 2016 में शिमला को 35 मिलियन लीटर पानी प्रतिदिन मिलता था, जबकि मई में 34 मिलियन लीटर पानी प्रतिदिन मिलता था। इस महीने लोगों को 22 मिलियन लीटर पानी प्रतिदिन मिल रहा है।
- उन्होंने बताया कि भविष्य के लिए 700 करोड़ रुपयों के प्रॉजेक्ट को वर्ल्ड बैंक फंड करेगा। यह प्रॉजेक्ट 2023 तक पूरा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इससे पहले शिमला में पानी के नए स्रोत बनाने के लिए कदम उठाएंगे।
शिमला में जल संकट पर जन आक्रोश बड़ता ही जा रहा है हर जगह चक्का जाम और प्रदर्शन। बीजेपी सरकार के प्रबंध अधूरे।#WaterCrisisInShimla pic.twitter.com/AycFiZelWG
— Himachal Congress (@INCHimachal) May 30, 2018