SP-BSP गठबंधन 'टूटने' पर बोले बोले अखिलेश यादव- मैं इंजीनियरिंग का छात्र हूं और यह एक प्रयोग था जो फेल हुआ

By: Pinki Wed, 05 June 2019 3:56:41

SP-BSP गठबंधन 'टूटने' पर बोले बोले अखिलेश यादव- मैं इंजीनियरिंग का छात्र हूं और यह एक प्रयोग था जो फेल हुआ

12 जनवरी को समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) अध्यक्ष मायावती सारे गिले शिकवे भुलाकर गठबंधन का एलान करने एक मंच पर आये लेकिन लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजों के बाद इस गठबंधन में दरार आ गई है। इस वजह से बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने अखिलेश यादव (Akhilesh yadav) से दूरी बना ली और गठबंधन तोड़ने का ऐलान कर दिया। अब अखिलेश ने इस मामले में बयान दिया है।

मैं इंजीनियरिंग का छात्र हूं, प्रयोग किया था, जरूरी नहीं कि वह सफल हो

अखिलेश ने लोकसभा चुनावों के लिए किए गए इस गठबंधन को एक प्रयोग बताया। साथ ही कहा कि मैं इंजीनियरिंग का छात्र हूं, प्रयोग किया था, जरूरी नहीं कि वह सफल हो। अखिलेश ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि और जैसा मैंने पहले भी कहा था कि मायावती जी के लिए जो सम्‍मान होगा, वह मेरा सम्‍मान होगा, मैं उस बात पर अभी भी कायम हूं। मैं आज भी यही बात कहता हूं।

यूपी उप चुनावों में दोनों दलों द्वारा अलग-अलग लड़े जाने की घोषणा के बाद उन्‍होंने कहा कि जहां तक गठबंधन की बात है, अब दोनों दलों के लिए रास्‍ता खुला है। हम उप चुनाव अलग लड़ रहे हैं। इसके बारे में हम अपने नेताओं के साथ सलाह-मशविरा करेंगे।

अपने बलबूते पर लड़ेंगे विधानसभा चुनाव

उल्‍लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव से पहले बने सपा बसपा गठबंधन के फिलहाल खत्म होने के संकेत देते हुये दोनों दलों ने उत्तर प्रदेश में विधानसभा की कुछ सीटों पर होने वाले संभावित उपचुनाव को अपने बलबूते लड़ने की मंगलवार को घोषणा कर दी।

बसपा प्रमुख ने हालांकि भविष्य में सपा के साथ फिर से गठबंधन के विकल्प को खुला रखते हुये कहा, ‘‘अभी हमारा कोई ‘ब्रेकअप’ नहीं हुआ है।’’ वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी अपनी राह अलग करने का संकेत देते हुए कहा कि अगर रास्ते अलग-अलग हैं तो उसका स्वागत है और उनकी पार्टी भी उत्तर प्रदेश की 11 विधानसभा सीटों पर अकेले उपचुनाव लड़ेगी।

अखिलेश ने कहा, 'जहां तक ​​गठबंधन का सवाल है, अगर हमें उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में अकेले लड़ना है, तो मैं अपनी पार्टी के नेताओं से भविष्य की रणनीति के लिए सलाह लूंगा।' बता दें कि उत्तर प्रदेश में 11 विधानसभा सीटों पर होने वाले उप चुनाव को लेकर सपा-बसपा गठबंधन टूट गया है। लोकसभा चुनाव में बड़े जोर-शोर से बने इस गठबंधन में आरएलडी भी शामिल थी। जिस दिन गठबंधन हुआ था उस दिन ऐसा लग रहा था कि अब यह महागठबंधन उत्तर प्रदेश की राजनीति ही नहीं पूर देश में असर डालेगा और बीएसपी सुप्रीमो मायावती औरसपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की बातों से ऐसा लग रहा था कि दोनों के बीच अच्छा समन्वय है और लोकसभा चुनाव में दोनों मिलकर पीएम मोदी के विजय रथ को रोक देंगे।

दरअसल यह आत्मविश्वास गोरखपुर, फूलपुर और कैराना उपचुनाव में हुई जीत के बाद का था। यहां तक मायावती ने कांग्रेस को भी इस गठबंधन में शामिल नहीं होने दिया। उनका कहना था कि उत्तर प्रदेश कांग्रेस का कोई वजूद नहीं है और बीएसपी को हर बार कांग्रेस के साथ गठबंधन की वजह से नुकसान झेलना पड़ जाता है। जबकि अखिलेश यादव कांग्रेस को शामिल करने के पक्ष में थे। लेकिन बीएसपी सुप्रीमो के एक भी न चली। महागठबंधन वोट प्रतिशत के मामले में कागजों पर बीजेपी से मजबूत जरूर था लेकिन जमीन पर बीजेपी बहुत ज्यादा मजबूत थी और उसके कार्यकर्ताओं ने पूरी ताकत लगा रखी जिसका नतीजा सबके सामने है। लेकिन सवाल इस बात का है कि क्या महागठबंधन की नींव इतनी कमजोर थी कि एक हार भी बर्दाश्त नहीं कर पाया और धड़ाम से गिरता नजर आ रहा है।

एक्सपायरी डेट 23 मई को पक्की है : नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एसपी-बीएसपी गठबंधन को केर-बेर का संबंध बताया था और कहा था कि इनकी एक्सपायरी डेट 23 मई को पक्की है। नतीजे आएंगे तो दोनों एक-दूसरे के कपड़े फाड़ेंगे। 30 अप्रैल को पीएम मोदी ने एसपी-बीएसपी गठबंधन लोकसभा चुनाव के बाद टूटने की भविष्यवाणी की थी। उन्होंने कहा था, ''एसपी-बीएसपी ने एक दूसरे के खिलाफ राजनीति की है आज सूपड़ा साफ होने के डर से भले ही साथ आ गये हों लेकिन ये स्वार्थ का साथ है। इनकी एक्सपायरी डेट 23 को पक्की है। नतीजे आएंगे दोनों एक-दूसरे के कपड़े फाड़ेंगे।''

मायावती को 80 में 60 से ज्यादा सीटों की थी उम्मीद

12 जनवरी को मायावती ने लखनऊ के ताज होटल में अखिलेश यादव की मौजूदगी में कहा था कि आज गुरु चेले (पीएम मोदी और अमित शाह) की नींद उड़ाने वाली प्रेस कांफ्रेंस हो रही है। शायद मायावती को 80 में 60 से ज्यादा सीटें जीतने की उम्मीद थी। लेकिन जब 23 मई को चुनाव नतीजे आए तो परिणाम बिल्कुल उलट थे।

गठबंधन को मात्र 15 सीटें (एसपी-5 और बीएसपी-10) मिली। राजनीतिक विश्लेषकों ने कहा कि दोनों ही पार्टी एक दूसरे का वोट ट्रांसफर करने में असफल रहे और इसका फायदा बीजेपी को मिला। 2014 के चुनाव में समाजवादी पार्टी को पांच सीटें मिली थी और बीएसपी खाता खोलने में भी नाकामयाब रही थी।

अब मायावती ने हार का ठीकरा अखिलेश यादव की पार्टी समाजवादी पार्टी पर फोड़ा है। उन्होंने सोमवार को दिल्ली में अपने घर पर बीएसपी नेताओं की बैठक के बाद साफ-साफ कहा कि यादव वोट नहीं मिलने की वजह से हार हुई है। अगर यादव वोट करते तो अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव और चचरे भाई अक्षय और धर्मेंद्र नहीं हारते। उनके इसी बयान के बाद साफ था कि वे अब आगे गठबंधन फिलहाल तो नहीं करेंगी।

यूपी की इन सीटों पर होना है उपचुनाव

हाल ही में कई विधायकों ने लोकसभा का चुनाव लड़ा था। इसके बाद राज्य में कई सीटें खाली हुई हैं। अब कुछ ही समय के बाद राज्य की कुल 11 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। जिन सीटों पर उपचुनाव होना है उसमें गोविंदनगर, लखनऊ कैंट, जैदपुर, मानिकपुर और जलालपुर जैसी सीटें शामिल हैं। बसपा कम ही उपचुनाव लड़ती है, लेकिन इस बार उसने भी कह दिया है कि वह अकेले ही किस्मत आजमाएगी।

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