NPR पर मोदी कैबिनेट की मंजूरी के बाद जाने अब आगे क्या होगा?

By: Pinki Tue, 24 Dec 2019 5:11:27

NPR  पर मोदी कैबिनेट की मंजूरी के बाद जाने अब आगे क्या होगा?

राष्ट्रीय नागरिकता कानून के खिलाफ देशव्यापी विरोध के बीच आज मंगलवार को मोदी कैबिनेट ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को मंजूरी दे दी है। करीब 2 घंटे चली बैठक में NPR को हरी झंडी दे दी। सूत्रों के मुताबिक, कैबिनेट ने NPR को अपडेट करने के लिए 8500 करोड़ रुपये के बजट को भी मंजूरी दे दी है और 1 अप्रैल 2020 से इस पर काम शुरू कर दिया जाएगा। न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, NPR में देश के 'सामान्य नागरिकों' की गणना की जाती है। 'सामान्य नागरिकों' से मतलब उस व्यक्ति से है, जो किसी स्थानीय क्षेत्र में पिछले छह महीने या उससे अधिक समय से रह रहा हो या अगले छह महीने या उससे अधिक समय तक उस क्षेत्र में रहने की उसकी योजना हो। हर नागरिक के लिए रजिस्टर में नाम दर्ज कराना अनिवार्य होगा। अधिकारियों ने बताया कि NPR के संबंध में डेटाबेस को अपडेट करने का काम 2015 में घर घर सर्वे के जरिये हुआ था। अपडेट किए गए डेटाबेस के डिजिटलाइजेशन का काम पूरा हो गया है। अब यह फैसला किया गया है कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर का काम जनगणना 2021 के साथ असम को छोड़कर सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में किया जाएगा।

क्या है पूरी प्रक्रिया?

नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर में हर नागरिक की जानकारी रखी जाएगी। ये नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों के तहत स्थानीय, उप-जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाता है। पॉपुलेशन रजिस्टर में तीन प्रक्रियाएं होगी। पहले चरण यानी अगले साल एक अप्रैल 2020 लेकर से 30 सितंबर के बीच केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी घर-घर जाकर आंकड़े जुटाएंगे। वहीं दूसरे चरण में 9 फरवरी से 28 फरवरी 2021 के बीच पूरा होगा। तीसरे चरण में संशोधन की प्रक्रिया 1 मार्च से 5 मार्च के बीच होगी।

क्या है NPR?

सिटीजनशि‍प (रजिस्ट्रेशन ऑफ सिटीजन्स ऐंड इश्यू ऑफ नेशनल आइडेंटिटी कार्ड्स) रूल्स 2003 में जनसंख्या रजिस्टर को इस तरह से परिभाषि‍त किया गया है: 'जनसंख्या रजिस्टर का मतलब यह है इसमें किसी गांव या ग्रामीण इलाके या कस्बे या वार्ड या किसी वार्ड या शहरी क्षेत्र के सीमांकित इलाके में रहने वाले लोगों का विवरण शामिल होगा।'

नैशनल पॉप्युलेशन रजिस्टर (NPR) के तहत 1 अप्रैल, 2020 से 30 सितंबर, 2020 तक नागरिकों का डेटाबेस तैयार करने के लिए देशभर में घर-घर जाकर जनगणना की तैयारी है। देश के सामान्य निवासियों की व्यापक पहचान का डेटाबेस बनाना NPR का मुख्य लक्ष्य है। इस डेटा में जनसांख्यिकी के साथ बायोमीट्रिक जानकारी भी होगी। इसमें व्यक्ति का नाम, पता, शिक्षा, पेशा जैसी सूचनाएं दर्ज होंगी। NPR में दर्ज जानकारी लोगों द्वारा खुद दी गई सूचना पर आधारित होगी और यह नागरिकता का प्रमाण नहीं होगा। बाहरी व्यक्ति भी अगर देश के किसी हिस्से में छह महीने से रह रहा है तो उसे भी एनपीआर में दर्ज होना है।

NPR और NRC में अंतर

एनआरसी के पीछे जहां देश में अवैध नागरिकों की पहचान का मकसद छुपा है, वहीं इसमें छह महीने या उससे अधिक समय से स्थानीय क्षेत्र में रहने वाले किसी भी निवासी को NPR में आवश्यक रूप से पंजीकरण करना होता है।

बाहरी व्यक्ति भी अगर देश के किसी हिस्से में छह महीने से रह रहा है तो उसे भी एनपीआर में दर्ज होना है। एनपीआर के जरिए लोगों का बायोमेट्रिक डेटा तैयार कर सरकारी योजनाओं की पहुंच असली लाभार्थियों तक पहुंचाने का भी मकसद है।

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