उद्धव ठाकरे बोले- राम मंदिर की पहली ईंट रखने को तैयार रहें शिवसैनिक, उचित कदम उठाए सरकार
By: Pinki Mon, 16 Sept 2019 4:06:58
अयोध्या (Ayodhya) में राम मंदिर (Ram Mandir) निमार्ण को लेकर शिवसेना (Shivsena) प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने कहा जिस तरह सरकार ने कश्मीर (Kashmir) से अनुच्छेद 370 (Article 370) हटाने का फैसला लिया उसी तरह आगे आकर पूरी हिम्मत के साथ राम मंदिर का निर्माण भी शुरू करवाए। पार्टी की बैठक में उद्धव ने कहा कि न्यायालय में रोज सुनवाई जारी है फैसला कभी भी आ सकता है इसलिए शिवसैनिक राम मंदिर की पहली ईंट रखने को तैयार रहें। मुंबई में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए ठाकरे ने कहा, 'हम पहले दिन से राम मंदिर के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। इस मामले पर अदालत में अंतिम सुनवाई चल रही है। उच्चतम न्यायालय सही फैसला लेगा लेकिन केंद्र सरकार को भी उचित कदम उठाने चाहिए।'
Shiv Sena Chief Uddhav Thackeray in Mumbai: Our Shivsainik's have been asked to prepare to lay the first brick for Ram Temple, our hopes have increased with all that the government is doing, it's not right to keep waiting anymore. pic.twitter.com/yeTi4yo1Wm
— ANI (@ANI) September 16, 2019
वहीं दूसरी ओर अयोध्या जमीन विवाद मामले में एक बार फिर नया मोड़ आता दिख रहा है। दरअसल, इस पूरे मामले में एक फिर से मध्यस्थता की मांग की गई है। यह मांग सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने की है। बोर्ड ने इसे लेकर मध्यस्थता पैनल के तीन जजों को चिट्ठी भी लिखी है। इस मांग को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर सकता है।
इससे पहले अयोध्या भूमि विवाद मामले की सुनवाई के दौरान कुछ दिन पहले ही मुस्लिम पक्षकारों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने अपनी कानूनी टीम के क्लर्क को धमकी की जानकारी कोर्ट को दी थी। धवन ने कोर्ट से कहा था कि ऐसे गैर-अनुकूल माहौल में बहस करना मुश्किल हो गया है। धवन ने कोर्ट को बताया था कि यूपी में एक मंत्री ने कहा है कि अयोध्या हिंदुओं की है, मंदिर उनका है और सुप्रीम कोर्ट भी उनका है। मैं अवमानना के बाद अवमानना दायर नहीं कर सकता।
वहीं न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक धवन ने कोर्ट को यह भी बताया कि बुधवार को शीर्ष अदालत के परिसर में कुछ लोगों ने उनके लिपिक की पिटाई कर दी थी। इस पर CJI रंजन गोगोई ने कहा था कि कोर्ट के बाहर इस तरह के व्यवहार की निंदा करते हैं। देश में ऐसा नहीं होना चाहिए। हम इस तरह के बयानों को रद्द करते हैं। दोनों पक्ष बिना किसी डर के अपनी दलीलें अदालत के समक्ष रखने के लिए स्वतंत्र हैं।