अयोध्या विवाद पर मध्यस्थता हो या नहीं? SC आज सुनाएगा फैसला

By: Pinki Fri, 08 Mar 2019 08:52:36

अयोध्या विवाद पर मध्यस्थता हो या नहीं? SC आज सुनाएगा फैसला

राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद का समाधान मध्यस्थता के जरिए हो या नहीं आज इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाएगा। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने बुधवार को इस मुद्दे पर विभिन्न पक्षों को सुना था। पीठ ने कहा था कि इस भूमि विवाद को मध्यस्थता के लिये सौंपने या नहीं सौंपने के बारे में बाद में आदेश दिया जायेगा। दरअसल, कोर्ट चाहता है कि 70 साल से भी अधिक समय से जारी अयोध्या विवाद का मध्यस्थता के जरिए सर्वमान्य समाधान निकाला जाए। अब पीठ अगर मामले को मध्यस्थता के जरिए समाधान करने के लिए भेजती है तो इसे साहसिक निर्णय माना जाएगा क्योंकि हिंदू पक्ष इस कदम का विरोध कर रहे हैं और उन्होंने इसे समय की बर्बादी करार दिया है। आपको बता दें कि इस पीठ में CJI के अलावा जस्टिस एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड, अशोक भूषण और एस अब्दुल नजीर शामिल हैं।

इस प्रकरण में निर्मोही अखाड़ा के अलावा अन्य हिन्दू संगठनों ने विवाद को मध्यस्थता के लिये भेजने के शीर्ष अदालत के सुझाव का विरोध किया था, जबकि मुस्लिम संगठनों ने इस विचार का समर्थन किया था। हालांकि मुस्लिम पक्षकारों के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया था कि निर्मोही अखाड़ा मध्यस्थता के लिए तैयार है।

HC के फैसले के खिलाफ 14 अपीलों पर सुनवाई

शीर्ष अदालत ने विवादास्पद 2.77 एकड़ भूमि तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर-बराबर बांटने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपील पर सुनवाई के दौरान मध्यस्थता के माध्यम से विवाद सुलझाने की संभावना तलाशने का सुझाव दिया था।

मध्यस्थ के तौर पर ये नाम आए

निर्मोही अखाड़ा जैसे हिंदू संगठनों ने सेवानिवृत्त न्यायाधीशों - न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ, न्यायमूर्ति ए के पटनायक और न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी के नाम मध्यस्थ के तौर पर सुझाए जबकि स्वामी चक्रपाणी धड़े के हिंदू महासभा ने पूर्व प्रधान न्यायाधीशों - न्यायमूर्ति जे एस खेहर और न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) ए के पटनायक का नाम प्रस्तावित किया।

बाबर के नाम का जिक्र

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को मध्यस्थता के लिये भेजा जाए या नहीं इस पर आदेश देगा। साथ ही इस बात को रेखांकित किया कि मुगल शासक बाबर ने जो किया उसपर उसका कोई नियंत्रण नहीं और उसका सरोकार सिर्फ मौजूदा स्थिति को सुलझाने से है। शीर्ष अदालत ने कहा था कि उसका मानना है कि मामला मूल रूप से तकरीबन 1,500 वर्ग फुट भूमि भर से संबंधित नहीं है बल्कि धार्मिक भावनाओं से जुड़ा हुआ है। वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि न्यायालय को यह मामला उसी स्थिति में मध्यस्थता के लिये भेजना चाहिए जब इसके समाधान की कोई संभावना हो। उन्होंने कहा कि इस विवाद के स्वरूप को देखते हुये मध्यस्थता का मार्ग चुनना उचित नहीं होगा।

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