जिंदगी की जंग हार गया 2 साल का फतेहवीर, 109 घंटे के बाद बोरवेल से निकाला गया था बाहर

By: Pinki Tue, 11 June 2019 09:33:40

जिंदगी की जंग हार गया 2 साल का फतेहवीर, 109 घंटे के बाद बोरवेल से निकाला गया था बाहर

पंजाब के संगरूर में एनडीआरएफ और पुलिस द्वारा पिछले 109 घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद जिस 2 साल के फतेहवीर को 125 फीट गहरे बोरवेल से निकाला था। उसने दम तोड़ दिया है। फतेहवीर को सुबह करीब 5:12 बजे बोरवेल में से निकाला गया था, जिसके बाद उसे बठिंडा अस्पताल पहुंचाया गया। लेकिन वहां पर उसने दम तोड़ दिया और ज़िंदगी की जंग हार गया।

जब उसे अस्पताल पहुंचाया गया था तब बच्चे के शरीर पर सूजन बताई जा रही थी। बच्चे को बचाने के लिए एनडीआरएफ, पुलिस द्वारा पिछले 109 घंटे लंबा रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया था।

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6 जून को खेलते खेलते बोरवेल में गिरा था मासूम

फतेहवीर संगरूर जिले के भगवानपुरा गांव में अपने घर के पास सूखे पड़े बोरवेल में 6 जून शाम करीब 4 बजे खेलते वक्त 9 इंच चौड़े और 145 फीट गहरे बोरवेल में गिर गया था और नीचे जाकर करीब 125 फीट पर फंसा हुआ था। बोरवेल के अंदर ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति प्रदान की गई थी और बच्चे पर नजर रखने के लिए एक कैमरा भी लगाया गया था। घटनास्थल पर चौबीसों घंटे डॉक्टरों की टीम और एंबुलेंस तैनात थे। घटना के लगभग 40 घंटे बाद शनिवार सुबह पांच बजे उसके शरीर में हलचल देखी गई। बच्चा 10 जून को दो साल का हो गया था।

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गलत दिशा में सुरंग खुद गई

रेस्क्यू ऑपरेशन में प्रशासन की टीम के साथ, वाॅलंटियर्स, एनडीआरएफ और आर्मी की 119 असॉल्ट इंजीनियरिंग टीम ने काम किया। इस बोरवेल के ठीक बगल में 41 इंच की एक टनल तैयार की गई। मशीनों से काम करना मुश्किल होने पर हाथों से खुदाई की गई। बाल्टियों और तसलों की मदद से खोदी गई मिट्‌टी को बाहर निकाला गया। पैरलल टनल और बच्चे वाले बोरवेल को जोड़ने के लिए की गई खुदाई थोड़ी गलत दिशा में चली गई। रेस्क्यू ऑपरेशन में दिक्कत आई। हालांकि, रेस्क्यू टीम बोरवेल तक पहुंची। पाइप को काटा भी गया, लेकिन इसमें नीचे रेत भरी मिली। इसके बाद दिनभर फतेहवीर का यह पता नहीं चला कि टनल में से उस तक कैसे पहुंचा जाए। फिर सोमवार रात करीब 8 बजे आखिर लोकेशन मिली।

रेत गिरने से परेशानी आई

डीसी घनश्याम थोरी ने कहा, ‘‘सबसे नीचे डाले गए लोहे के पाइप से खिड़की खोल कर फतेहवीर की तरफ सुरंग बनाने का प्रयास किया गया, लेकिन बार-बार रेत गिरने से सुरंग भर रही थी,जिस कारण देरी हुई।"

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फतेहवीर सिंह के माता और परिवार के सदस्यों ने ख्वाजा पीर के दर पर माथा टेका था और उसके सुरक्षित बाहर आने की दुआ मांगी थी। आसपास के इलाके के हजारों लोग और प्रशासन फतेहवीर की जान को बचाने में पूरी ताकत से जुटे थे। भीषण गर्मी भी इन लोगों का हौसला नहीं डिगा सकी।

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