जन्मदिन विशेष: मुख्यमंत्री के रूप में दूसरा चरण भी रहा मुश्किलों से भरा, ख़ास बातें
By: Priyanka Maheshwari Sun, 16 Sept 2018 9:32:48
चार बार गुजरात के मुख्यमंत्री रह चुके नरेन्द्र मोदी आज हमारे देश के प्रधानमन्त्री हैं। प्रधानमन्त्री रहते हुए नरेन्द्र मोदी ने देश के विकास और अच्छे के लिए कई अहम् फैसले लिए हैं। हांलाकि नरेन्द्र मोदी के मुख्यमंत्री पद का सफ़र भी कोई आसन नहीं रहा हैं। मुख्यमंत्री के रूप में मोदीजी का दूसरा चरण 2002 से 2007 तक रहा था और इस चरण में भी उन्हें उनके फैसलों की वजह से कई समस्याओं का सामना करना पड़ा था। आज उनके जन्मदिन के ख़ास मौके पर हम आपको उनके मुख्यमंत्री के रूप में दूसरे चरण से जुडी ख़ास बातें बताने जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री के रूप में अपने दुसरे कार्यकाल में मोदी ने गुजरात के आर्थिक विकास पर ध्यान दिया जिसके कारण गुजरात राज्य देश में बड़े उद्यमियों के लिए इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन बन गया।
मोदी ने राज्य के तकनीक और वित्तीय पार्क स्थापित किए। 2007 में हुए वाइब्रेंट गुजरात समिट में 6600 बिलियन की रियल एस्टेट इन्वेटमेंट डील साइन की गयी।
जुलाई 2007 में मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में लगातार 2063 दिन पूरे कर लिए, जो कि गुजरात के मुख्य मंत्री पद पर बने रहने का किसी भी मुख्यमंत्री के लिए सबसे लम्बा रिकॉर्ड था।
मोदी का मुश्किल समय तब शुरू हो गया जब उन्हें गांधीनगर के 200 अवैध मंदिरों को ध्वस्त करने का निर्णय लिया, इससे विश्व हिन्दू परिषद से उनके विवाद हुआ। मोदी, मनमोहन सिंह के एंटी-टेरर कानून पर असहमत होने पर भी बोले थे। उन्होंने 2006 में मुंबई में हुए ब्लास्ट पर कठोर कानून बनाने को कहा, लेकिन केंद्र पर प्रभाव ना देखते हुए कुछ समय बाद उन्होंने फिर से केंद्र की सरकार के कानून और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल लगाये।
गुजरात के दंगे बने थे नरेन्द्र मोदी के लिए सबसे बड़ी समस्या
2002 में हुए गुजरात के दंगे मोदी के राजनैतिक जीवन के लिए भी समस्या बन गए थे। आइये आज हम बताते हैं आपको क्या था यह पूरा मसला।
27 फरवरी 2002 से गुजरात में साम्प्रदायिक हिंसा भडक गयी, जिसमे गोधरा के पास ट्रेन में तीर्थ-यात्रा को जा रहे, ज्यादातर हिन्दू यात्री जिनकी संख्या लगभग 58 थी, वो मारे गए। जिसके कारण राज्य में एंटी-मुस्लिम हिंसा शुरू हो गई और ये हिंसा गोधरा से शुरू होकर पूरे राज्य में फ़ैल गई। इसके कारण लगभग 900 से 2000 तक लोग मारे गए। नरेंद्र मोदी की गुजरात सरकार ने हिंसा पर काबू पाने के लिए कई शहरों में कर्फ्यू लगा दिया।
मानव अधिकार आयोग,मीडिया और विपक्षी पार्टियों ने मोदी सरकार के खिलाफ घेराबंदी शुरू कर दी। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2009 में एक विशेष इन्वेस्टीगेशन टीम (SIT) भी बनाई गई। SIT ने 2010 में ये रिपोर्ट पेश की कि मोदी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले हैं। हालांकि जुलाई 2013 में SIT पर सबूत छुपाने के आरोप भी लगे।
उन दिनों बीजेपी पर लगातार मोदी को हटाने या उनके इस्तीफे की मांग का दबाव बनता रहा, लेकिन अगले चुनावों में बीजेपी को 182 में से मिली 127 सीट्स की जीत से मोदी के सभी आलोचकों का मुंह बंद हो गया, और ये भी तय हो गया कि मोदी जनता में अब भी उतने ही प्रिय हैं,और गुजरात की जनता विकास को ही चुनती हैं।