राष्ट्रपति का देश के नाम संदेश, गांधीजी हमारे नैतिक पथ-प्रदर्शक थे और सदैव रहेंगे : कोविंद
By: Priyanka Maheshwari Tue, 14 Aug 2018 10:36:09
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को यहां कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी देश के नैतिक पथ-प्रदर्शक रहे हैं, आज भी हैं, और आगे भी रहेंगे। उन्होंने कहा कि स्वाधीनता दिवस का हमेशा ही विशेष महत्व होता है, लेकिन इस बार एक खास बात यह है कि कुछ ही सप्ताह बाद दो अक्टूबर से महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के समारोह शुरू हो जाएंगे। कोविंद ने कहा, "गांधीजी ने केवल हमारे स्वाधीनता संग्राम का नेतृत्व ही नहीं किया, बल्कि वह हमारे नैतिक पथ-प्रदर्शक भी थे और सदैव रहेंगे। भारत के राष्ट्रपति के रूप में मुझे अफ्रीका के देशों की यात्रा करने का सुअवसर प्राप्त हुआ। विश्व में, हर जगह, जहां-जहां पर मैं गया, सम्पूर्ण मानवता के आदर्श के रूप में गांधीजी को सम्मान के साथ स्मरण किया जाता है।" मंगलवार को आजादी की पूर्व संध्या पर देश के नाम अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने सेना और पुलिस बलों के कामों की तारीफ करते हुए कहा बिना इनके देश में शांति और व्यवस्था नहीं रह सकती है। राष्ट्रपति ने कहा कि देश में हिंसा का कोई स्थान नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि आज देश एक निर्णायक दौर से गुजर रहा है। ऐसे में हमें ध्यान भटकाने वाले मुद्दों में उलझने की जरूरत नहीं है और ना ही निरर्थक विवादों में पड़कर अपने लक्ष्यों से हटने की जरूरत। आजादी को बंधी-बधाई प्रयास से इतर बताते हुए राष्ट्रपति ने देशवासियों से स्वाधीनता सेनानी के सपनों का भारत बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि देश को अभी गरीबी और असामनता से मुक्त करने के लिए अहम काम करने हैं।
देश की आजादी के 71 वर्ष पूरे होने के अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा, 'हम भाग्यशाली हैं कि हमें महान देशभक्तों की विरासत मिली है। स्वाधीनता सेनानियों ने हमें एक आजाद भारत सौंपा है। साथ ही उन्होंने कुछ ऐसे काम भी सौंपे हैं जिन्हें हम सब मिलकर पूरा करेंगे। देश की आजादी को शक्ति प्रदान करने में किसानों का भी अहम योगदान है।'
किसानों को मिले सुविधाएं
राष्ट्रपति ने कहा, 'हमारे किसान उन करोड़ों देशवासियों के लिए अन्न पैदा करते हैं जिनसे वे कभी आमने-सामने मिले भी नहीं होते। वे देश के लिए खाद्य सुरक्षा और पौष्टिक आहार उपलब्ध कराके हमारी आजादी को शक्ति प्रदान करते हैं। जब हम उनके खेतों की पैदावार और उनकी आमदनी बढ़ाने के लिए आधुनिक टेक्नॉलॉजी और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं, तब हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाते हैं।'
सुरक्षाबल देश की आन-बान और शान
कोविंद ने कहा, 'हमारे सैनिक, सरहदों पर, बर्फीले पहाड़ों पर, चिलचिलाती धूप में, सागर और आसमान में, पूरी बहादुरी और चौकसी के साथ, देश की सुरक्षा में समर्पित रहते हैं। वे बाहरी खतरों से सुरक्षा करके हमारी स्वाधीनता सुनिश्चित करते हैं। जब हम सैनिकों के लिए बेहतर हथियार उपलब्ध कराते हैं, स्वदेश में ही रक्षा उपकरणों के लिए सप्लाई-चेन विकसित करते हैं, और सैनिकों को कल्याणकारी सुविधाएं प्रदान करते हैं, तब हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाते हैं।' हमारी पुलिस और अर्धसैनिक बल अनेक प्रकार की चुनौतियों का सामना करते हैं। वे आतंकवाद का मुक़ाबला करते हैं तथा अपराधों की रोकथाम और कानून-व्यवस्था की रक्षा करते हैं।'
महिलाओं का सशक्तीकरण जरूरी
राष्ट्रपति ने कहा कि महिलाओं की हमारे समाज में एक विशेष भूमिका है। कई मायनों में महिलाओं की आज़ादी को व्यापक बनाने में ही देश की आज़ादी की सार्थकता है। उन्होंने कहा, 'यह सार्थकता, घरों में माताओं, बहनों और बेटियों के रूप में, तथा घर से बाहर अपने निर्णयों के अनुसार जीवन जीने की उनकी स्वतन्त्रता में देखी जा सकती है। उन्हें अपने ढंग से जीने का, तथा अपनी क्षमताओं का पूरा उपयोग करने का सुरक्षित वातावरण तथा अवसर मिलना ही चाहिए। महिलाएं अपनी क्षमता का उपयोग चाहे घर की प्रगति में करें, या फिर उच्च शिक्षा-संस्थानों में महत्वपूर्ण योगदान देकर करें, उन्हें अपने विकल्प चुनने की पूरी आजादी होनी चाहिए।' उन्होंने कहा, 'एक राष्ट्र और समाज के रूप में हमें यह सुनिश्चित करना है कि महिलाओं को जीवन में आगे बढ़ने के सभी अधिकार और क्षमताएं सुलभ हों। जब हम महिलाओं द्वारा चलाए जा रहे उद्यमों या स्टार्ट-अप के लिए आर्थिक संसाधन उपलब्ध कराते हैं, करोड़ों घरों में एल.पी.जी. कनेक्शन पहुंचाते हैं, और इस प्रकार महिलाओं का सशक्तीकरण करते हैं, तब हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाते हैं।'
नौजवान देश की आकांक्षा
राष्ट्रपति ने कहा, 'हमारे नौजवान भारत की आशाओं और आकांक्षाओं की बुनियाद हैं। हमारे स्वाधीनता संग्राम में युवाओं और वरिष्ठ-जनों सभी की सक्रिय भागीदारी थी। लेकिन उस संग्राम में जोश भरने का काम विशेष रूप से युवा वर्ग ने किया था। हम अपने युवाओं का कौशल-विकास करते हैं, उन्हें टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग और उद्यमिता के लिए, तथा कला और शिल्प के लिए प्रेरित करते हैं। जब हम अपने युवाओं की असीम प्रतिभा को उभरने का अवसर प्रदान करते हैं तभी देश आगे बढ़ता है।
स्वच्छता मिशन पर भी जोर
कोविंद ने कहा, 'आज हम अपने इतिहास के एक ऐसे मोड़ पर खड़े हैं जो अपने आप में बहुत अलग है। आज हम कई ऐसे लक्ष्यों के काफी क़रीब हैं, जिनके लिए हम वर्षों से प्रयास करते आ रहे हैं। सबके लिए बिजली, खुले में शौच से मुक्ति, सभी बेघरों को घर और अति-निर्धनता को दूर करने के लक्ष्य अब हमारी पहुंच में हैं।'
मेरे प्यारे देशवासियो,
कल हमारी आज़ादी के इकहत्तर वर्ष पूरे हो रहे हैं। कल हम अपनी स्वाधीनता की वर्षगांठ मनाएंगे। राष्ट्र-गौरव के इस अवसर पर, मैं आप सभी देशवासियों को बधाई देता हूँ। 15 अगस्त का दिन, प्रत्येक भारतीय के लिए पवित्र होता है, चाहे वह देश में हो, या विदेश में। इस दिन, हम सब अपना ‘राष्ट्र-ध्वज’ अपने-अपने घरों, विद्यालयों, कार्यालयों, नगर और ग्राम पंचायतों, सरकारी और निजी भवनों पर उत्साह से फहराते हैं। हमारा ‘तिरंगा’ हमारे देश की अस्मिता का प्रतीक है। इस दिन, हम देश की संप्रभुता का उत्सव मनाते हैं, और अपने उन पूर्वजों के योगदान को कृतज्ञता से याद करते हैं, जिनके प्रयासों से हमने बहुत कुछ हासिल किया है। यह दिन, राष्ट्र-निर्माण में, उन बाकी बचे कार्यों को पूरा करने के संकल्प का भी दिन है, जिन्हें हमारे प्रतिभाशाली युवा अवश्य ही पूरा करेंगे।
सन 1947 में, 14 और 15 अगस्त की मध्य-रात्रि के समय, हमारा देश आज़ाद हुआ था। यह आज़ादी हमारे पूर्वजों और सम्मानित स्वाधीनता सेनानियों के वर्षों के त्याग और वीरता का परिणाम थी। स्वाधीनता संग्राम में संघर्ष करने वाले सभी वीर और वीरांगनाएं, असाधारण रूप से साहसी, और दूर-द्रष्टा थे। इस संग्राम में, देश के सभी क्षेत्रों, समाज के सभी वर्गों और समुदायों के लोग शामिल थे। वे चाहते, तो सुविधापूर्ण जीवन जी सकते थे। लेकिन देश के प्रति अपनी अटूट निष्ठा के कारण, उन्होंने ऐसा नहीं किया। वे एक ऐसा स्वाधीन और प्रभुता-सम्पन्न भारत बनाना चाहते थे, जहां समाज में बराबरी और भाई-चारा हो। हम उनके योगदान को हमेशा याद करते हैं। अभी 9 अगस्त को ही, ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की 76वीं वर्षगांठ पर, स्वाधीनता सेनानियों को, राष्ट्रपति भवन में सम्मानित किया गया।
हम भाग्यशाली हैं कि हमें ऐसे महान देशभक्तों की विरासत मिली है। उन्होंने हमें एक आज़ाद भारत सौंपा है। साथ ही, उन्होंने कुछ ऐसे काम भी सौंपे हैं, जिन्हें हम सब मिलकर पूरा करेंगे। देश का विकास करने, तथा ग़रीबी और असमानता से मुक्ति प्राप्त करने के, ये महत्वपूर्ण काम हम सबको करने हैं। इन कार्यों को पूरा करने की दिशा में, हमारे राष्ट्रीय जीवन का हर प्रयास, उन स्वाधीनता सेनानियों के प्रति हमारी श्रद्धांजलि है।
यदि हम स्वाधीनता का केवल राजनैतिक अर्थ लेते हैं तो लगेगा कि 15 अगस्त, 1947 के दिन हमारा लक्ष्य पूरा हो चुका था। उस दिन राजसत्ता के खिलाफ संघर्ष में हमें सफलता प्राप्त हुई और हम स्वाधीन हो गए। लेकिन, स्वाधीनता की हमारी अवधारणा बहुत व्यापक है। इसकी कोई बंधी-बंधाई और सीमित परिभाषा नहीं है। स्वाधीनता के दायरे को बढ़ाते रहना, एक निरन्तर प्रयास है। 1947 में राजनैतिक आज़ादी मिलने के, इतने दशक बाद भी, प्रत्येक भारतीय, एक स्वाधीनता सेनानी की तरह ही देश के प्रति अपना योगदान दे सकता है। हमें स्वाधीनता को नए आयाम देने हैं, और ऐसे प्रयास करते रहना है, जिनसे हमारे देश और देशवासियों को विकास के नए-नए अवसर प्राप्त हो सकें।
हमारे किसान, उन करोड़ों देशवासियों के लिए अन्न पैदा करते हैं, जिनसे वे कभी आमने-सामने मिले भी नहीं होते। वे, देश के लिए खाद्य सुरक्षा और पौष्टिक आहार उपलब्ध कराके, हमारी आज़ादी को शक्ति प्रदान करते हैं। जब हम उनके खेतों की पैदावार और उनकी आमदनी बढ़ाने के लिए आधुनिक टेक्नॉलॉजी और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं, तब हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाते हैं।
हमारे सैनिक, सरहदों पर, बर्फीले पहाड़ों पर, चिलचिलाती धूप में, सागर और आसमान में, पूरी बहादुरी और चौकसी के साथ, देश की सुरक्षा में समर्पित रहते हैं। वे बाहरी खतरों से सुरक्षा करके हमारी स्वाधीनता सुनिश्चित करते हैं। जब हम उनके लिए बेहतर हथियार उपलब्ध कराते हैं, स्वदेश में ही रक्षा उपकरणों के लिए सप्लाई-चेन विकसित करते हैं, और सैनिकों को कल्याणकारी सुविधाएं प्रदान करते हैं, तब हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाते हैं।
हमारी पुलिस और अर्धसैनिक बल अनेक प्रकार की चुनौतियों का सामना करते हैं। वे आतंकवाद का मुक़ाबला करते हैं, तथा अपराधों की रोकथाम और कानून-व्यवस्था की रक्षा करते हैं। साथ ही साथ, प्राकृतिक आपदाओं के समय, वे हम सबको सहारा देते हैं। जब हम उनके काम-काज और व्यक्तिगत जीवन में सुधार लाते हैं, तब हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाते हैं।
महिलाओं की, हमारे समाज में, एक विशेष भूमिका है। कई मायनों में, महिलाओं की आज़ादी को व्यापक बनाने में ही देश की आज़ादी की सार्थकता है। यह सार्थकता, घरों में माताओं, बहनों और बेटियों के रूप में, तथा घर से बाहर अपने निर्णयों के अनुसार जीवन जीने की उनकी स्वतन्त्रता में देखी जा सकती है। उन्हें अपने ढंग से जीने का, तथा अपनी क्षमताओं का पूरा उपयोग करने का सुरक्षित वातावरण तथा अवसर मिलना ही चाहिए। वे अपनी क्षमता का उपयोग चाहे घर की प्रगति में करें, या फिर हमारे work force या उच्च शिक्षा-संस्थानों में महत्वपूर्ण योगदान देकर करें, उन्हें अपने विकल्प चुनने की पूरी आज़ादी होनी चाहिए। एक राष्ट्र और समाज के रूप में हमें यह सुनिश्चित करना है कि महिलाओं को, जीवन में आगे बढ़ने के सभी अधिकार और क्षमताएं सुलभ हों।
जब हम, महिलाओं द्वारा चलाए जा रहे उद्यमों या स्टार्ट-अप के लिए आर्थिक संसाधन उपलब्ध कराते हैं, करोड़ों घरों में एल.पी.जी. कनेक्शन पहुंचाते हैं, और इस प्रकार, महिलाओं का सशक्तीकरण करते हैं, तब हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाते हैं।
हमारे नौजवान, भारत की आशाओं और आकांक्षाओं की बुनियाद हैं। हमारे स्वाधीनता संग्राम में युवाओं और वरिष्ठ-जनों, सभी की सक्रिय भागीदारी थी। लेकिन, उस संग्राम में जोश भरने का काम विशेष रूप से युवा वर्ग ने किया था। स्वाधीनता की चाहत में, भले ही उन्होंने अलग-अलग रास्ते चुने हों, लेकिन वे सभी आज़ाद भारत, बेहतर भारत, तथा समरस भारत के अपने आदर्शों और संकल्पों पर अडिग रहे।
हम अपने युवाओं का कौशल-विकास करते हैं, उन्हें टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग और उद्यमिता के लिए, तथा कला और शिल्प के लिए प्रेरित करते हैं। उन्हें संगीत का सृजन करने से लेकर मोबाइल एप्स बनाने के लिए और खेल प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए प्रोत्साहित करते हैं। इस प्रकार, जब हम अपने युवाओं की असीम प्रतिभा को उभरने का अवसर प्रदान करते हैं, तब हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाते हैं।
मैंने राष्ट्र-निर्माण के कुछ ही उदाहरण दिए हैं। ऐसे अनेक उदाहरण दिए जा सकते हैं। वास्तव में, वह प्रत्येक भारतीय जो अपना काम निष्ठा व लगन से करता है, जो समाज को नैतिकतापूर्ण योगदान देता है - चाहे वह डॉक्टर हो, नर्स हो, शिक्षक हो, लोक सेवक हो, फैक्ट्री वर्कर हो, व्यापारी हो, बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल करने वाली संतान हो – ये सभी, अपने-अपने ढंग से स्वाधीनता के आदर्शों का पालन करते हैं। ये सभी नागरिक, जो अपने कर्तव्यों और दायित्वों का निर्वाह करते हैं, और अपना वचन निभाते हैं, वे भी स्वाधीनता संग्राम के आदर्शों का पालन करते हैं। मैं कहना चाहूँगा कि हमारे जो देशवासी क़तार में खड़े रहकर अपनी बारी का इंतजार करते हैं, और अपने से आगे खड़े लोगों के अधिकारों का सम्मान करते हैं, वे भी हमारे स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाते हैं। यह एक बहुत छोटा सा प्रयास है। आइए, कोशिश करें, इसे हम सब अपने जीवन का हिस्सा बनाएँ।