चंद्रयान-2 : इतिहास रचने जा रहा हिंदुस्तान, इस ऐतिहासिक पल के लिए प्रसून जोशी ने लिखी ये कविता

By: Pinki Fri, 06 Sept 2019 10:40:25

चंद्रयान-2 : इतिहास रचने जा रहा हिंदुस्तान, इस ऐतिहासिक पल के लिए प्रसून जोशी ने लिखी ये कविता

भारत के महत्वाकांक्षी चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2) मिशन की शनिवार को तड़के चांद की सतह पर होने वाली सॉफ्ट लैंडिंग को लेकर नासा सहित अमेरिकी अंतरिक्ष वैज्ञानिक उत्साहित हैं और सांस रोक कर इस पल का इंतजार कर रहे हैं। लैंडर विक्रम से रोवर प्रज्ञान के अलग होते ही और चांद पर प्रज्ञान के पहुंचते ही चांद को लेकर कई रहस्यों और मिथ्याओं से पर्दा उठ जाएगा। विक्रम की सफलता के साथ ही भारत चंद्रमा पर अपने रोवर की सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले रूस, अमेरिका और चीन ने ही यह मुकाम हासिल किया है, लेकिन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपना लैंडर उतारने वाले भारत पहला देश होगा। अमेरिकी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का मानना है कि इस ऐतिहासिक मिशन से चंद्रमा की बनावट को समझने में और मदद मिलेगी।

ISRO ने प्रज्ञान के चांद पर लैंड करने और उसके काम करने के पूरे अंदाज को एक वीडियो से शेयर किया गया है। इस ऐतिहासिक पल के लिए सेंसर बोर्ड के चीफ और मशहूर गीतकार प्रसून जोशी ने एक कविता इस प्रोजेक्ट को डेडिकेट की है।

चन्द्रयान की टीम ने देखो

कैसा अद्भुत काम किया

युगों युगों से सूत कातती

अम्मा को आराम दिया

यही चाँद माँगा करता था

मोटा एक झिंगोला

इसी चाँद का मुँह टेढ़ा था

यही था वो अलबेला

अब मय्या से ज़िद ना करेंगे

बाल कृष्ण मुसकाएँगे

चन्द खिलौना हाथ में ले कर

लीला नयी रचाएँगे

और हम भी अब पास से जा कर

देखेंगे बस घूर के

और ना कहेंगे चन्दा को हम

चन्दा मामा दूर के

साल 2017 में सीबीएफसी के अध्‍यक्ष पद से पहलाज निहलानी को हटाकर प्रसून जोशी को नया अध्‍यक्ष बनाया गया था। वे पीएम मोदी के साथ अपने इंटरव्यू को लेकर भी काफी चर्चा में आए थे। वे हाल ही में सीबीएफसी के नए लोगो के लॉन्च होने पर भी काफी उत्साहित दिखे थे।

चांद पर पहुंच कर सबसे पहले ये काम करेंगे 'विक्रम' और 'प्रज्ञान'

बता दे, 7 सितंबर की रात करीब 1:38 बजे चंद्रयान-2 चांद के ऊपर 35 किमी की ऊंचाई से सतह की तरफ जाना शुरू करेगा। करीब 10 मिनट बाद 7।4 किमी की ऊंचाई से इस पर ब्रेक लगाया जाएगा। ये ब्रेक उसके इंजन को विपरीत दिशा में स्टार्ट कर किया जाएगा। करीब दो मिनट बाद 1:50 बजे विक्रम लैंडर चांद की सतह की मैपिंग शुरू करेगा। इसके ठीक दो मिनट बाद यानी 1:52 बजे विक्रम लैंडर चांद की सतह की सबसे नजदीकी तस्वीर पृथ्वी पर इसरो सेंटर को भेजेगा। इस तस्वीर को भेजने के बाद करीब एक मिनट बाद यानी 1:53 बजे के आसपास वह चांद की सतह पर उतरेगा। इसके दो घंटे बाद यानी 3:53 बजे विक्रम लैंडर, रोवर के बाहर आने के लिए अपने दरवाजों को खोलकर रैंप बाहर निकालेगा। आधे घंटे बाद 4 बजकर 23 मिनट पर प्रज्ञान ऑन होगा।

सुबह 5:03 बजे प्रज्ञान रोवर का सोलर पैनल एक्टीवेट होगा। इसके करीब 16 मिनट बाद 5:19 बजे प्रज्ञान रोवर विक्रम लैंडर से रैंप के सहारे बाहर निकलेगा। उसे चांद की सतह पर उतरने में करीब दस मिनट लगेंगे। यानी 5:29 मिनट पर प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर उतरेगा। इसके बाद 5:45 बजे प्रज्ञान रोवर अपने यान यानी विक्रम लैंडर की सेल्फी लेकर पृथ्वी पर भेजेगा।

लैंडिंग के बाद 6 पहियों वाला प्रज्ञान रोवर विक्रम लैंडर से अलग हो जाएगा। इस प्रक्रिया में 4 घंटे का समय लगेगा। यह 1 सेमी प्रति सेकंड की गति से बाहर आएगा। 27 किलोग्राम का रोवर 6 पहिए वाला एक रोबॉट वाहन है। इसका नाम संस्कृत से लिया गया है, जिसका मतलब 'ज्ञान' होता है। रोवर प्रज्ञान चांद पर 500 मीटर (आधा किलोमीटर) तक घूम सकता है। इसमें दो प्लेलोड्स लगाए गए हैं। इसका डाइमेंशन 0.9x0.75x0.85 है। इसके बारे में सबसे महत्वपूर्ण जानकारी ये है कि इसकी मिशन लाइफ एक लूनर डे है। एक लूनर डे यानी चांद का एक दिन जो कि धरती के करीब 14 दिनों के बराबर है। यह सौर ऊर्जा की मदद से काम करता है। रोवर सिर्फ लैंडर के साथ संवाद कर सकता है। वहीं इसके दोनों हिस्सों में एक-एक कैमरा लगा है। ये दोनों ही नैविगेशन कैमरे हैं जो रोवर को रास्ता बताएंगे।

वहीं विक्रम लैंडर अपने बॉक्सनुमा आकार के बीचोंबीच से ठीक वैसे ही प्रज्ञान को बाहर उतारेगा, जैसे कोई हवाई जहाज लैंडिंग के बाद अपनी सीढ़ियां नीचे गिराकर सवारियों या सामान को उतारते हैं। ये सीढियां नहीं, बल्कि एक समतल आकार की प्लेट होगी। यहां से जैसे ही प्रज्ञान नीचे उतरेगा, उसके सोलर पैनल खुल जाएंगे और वो पूरी तरह चार्ज होगा। यहां से वो चंद्रमा की सतह पर पैर रखते ही मिशन से जुड़े सभी संदेश धरती पर भेजने लगेगा।

चांद की सतह पर पहुंचने के बाद लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) 14 दिनों तक ऐक्टिव रहेंगे। चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद ऑर्बिटर एक साल तक काम करेगा। इसका मुख्य उद्देश्य पृथ्वी और लैंडर के बीच कम्युनिकेशन करना है। ऑर्बिटर चांद की सतह का नक्शा तैयार करेगा, ताकि चांद के अस्तित्व और विकास का पता लगाया जा सके। लैंडर यह जांचेगा कि चांद पर भूकंप आते हैं या नहीं। जबकि, रोवर चांद की सतह पर खनिज तत्वों की मौजूदगी का पता लगाएगा। इसकी कुल लाइफ 1 ल्यूनर डे की है जिसका मतलब पृथ्वी के लगभग 14 दिन होता है।

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