पीएम मोदी बने 'चैंपियंस ऑफ द अर्थ', प्रधानंमत्री ने कहा सबसे बड़ी सफलता हमें मिली है

By: Pinki Wed, 03 Oct 2018 1:14:12

पीएम मोदी बने 'चैंपियंस ऑफ द अर्थ', प्रधानंमत्री ने कहा सबसे बड़ी सफलता हमें मिली है

प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी PM Narendra Modi दिल्ली में बुधवार को एक विशेष समारोह में संयुक्त राष्ट्र United Nations का सर्वोच्च पर्यावरण पुरस्कार 'चैंपियंस ऑफ अर्थ अवार्ड' ग्रहण किया। इससे पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अपने संबोधन में कहा कि आज भारत के लिए बहुत ही गौरव का दिन है, आज संयुक्त राष्ट्र द्वारा भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को 'Champions of the Earth' का अवार्ड दिया गया। इससे पहले अपने संबोधन में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा हम Earth को Planet नहीं मानते है, पृथ्वी हमारे लिए ग्रह नहीं है, पृथ्वी हमारे लिए मां है। भारत में जब भवन बनाए जाते हैं तो भूमि-पूजन किया जाता है। वहीं, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटरेस ने कहा कि पीएम मोदी ने (पर्यावरण के क्षेत्र में) जिस नेतृत्व का प्रदर्शन किया है, दुनिया में उसकी कमी है। ग्रीन इकोनॉमी का आने वाले दशक में बड़ा योगदान होगा।

- पीएम मोदी ने कहा कि इन सारे प्रयासों के बीच, अगर सबसे बड़ी सफलता हमें मिली है, तो वो है लोगों के बिहेवियर, लोगों के सोचने की प्रक्रिया में बदलाव। पर्यावरण के प्रति लगाव हमारी आस्था के साथ-साथ अब आचरण में भी और मजबूत हो रहा है।

- पीएम मोदी ने कहा कि आज भारत में घरों से लेकर गलियों तक, दफ्तरों से लेकर सड़कों तक, पोर्ट्स से लेकर और एयरपोर्ट्स तक, Water और Energy Conservation की मुहिम चल रही है। LED बल्ब से लेकर Rain Water Harvesting तक, हर स्तर पर टेक्नॉलॉजी को promote किया जा रहा है।

- पीएम मोदी ने कहा कि देश के नेशनल हाईवे, एक्सप्रेसवे को इको फ्रेंडली बनाया जा रहा है, उनके साथ-साथ ग्रीन कोरिडोर विकसित किया जा रहा है। मेट्रो जैसे सिटी ट्रांसपोर्ट नेटवर्क को भी सोलर एनर्जी से जोड़ा जा रहा है। वहीं रेलवे की Fossil Fuel पर निर्भरता को हम तेज़ी से कम कर रहे हैं।

- पीएम मोदी ने कहा कि आज भारत दुनिया के उन देशों में है जहां सबसे तेज़ गति से शहरीकरण हो रहा है। ऐसे में अपने शहरी जीवन को समार्ट और सस्टेनेबल बनाने पर भी बल दिया जा रहा है। इन्फ्रास्ट्रक्चर को सस्टेनेबल इनवॉयरमेंट और इन्क्लूसिव ग्रोथ के लक्ष्य क साथ बनाया जा रहा है।

- पीएम मोदी ने कहा कि आबादी को पर्यावरण पर, प्रकृति पर अतिरिक्त दबाव डाले बिना, विकास के अवसरों से जोड़ने के लिए सहारे की आवश्यकता है, हाथ थामने की ज़रूरत है। इसलिए मैं क्लाइमेट जस्टिस की बात करता हूं। क्लाइमेट चेंज की चुनौती से क्लाइमेट जस्टिस सुनिश्चित किए बिना निपटा नहीं जा सकता।

-उन्होंने कहा कि ये संवेदना है जो हमारे जीवन का हिस्सा है। पेड़-पौधों की पूजा करना, मौसम, ऋतुओं को व्रत और त्योहार के रूप में मनाना, लोरियों-लोकगाथाओं में प्रकृति से रिश्ते की बात करना, हमने प्रकृति को हमेशा सजीव माना है, सहजीव माना है।

-पीएम मोदी ने कहा कि Climate और Calamity का Culture से सीधा रिश्ता है। Climate की चिंता जब तक Culture का हिस्सा नहीं होती तब तक Calamity से बच पाना मुश्किल है। पर्यावरण के प्रति भारत की संवेदना को आज विश्व स्वीकार कर रहा है, लेकिन ये हज़ारों वर्षों से हमारी जीवन शैली का हिस्सा रहा है।

-पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि ये भारत की उस महान नारी का सम्मान है, जिसके लिए सदियों से Reuse और Recycle रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा रहा है। जो पौधे में भी परमात्मा का रूप देखती है। जो तुलसी की पत्तियां भी तोड़ती है, तो गिनकर। जो चींटी को भी अन्न देना पुण्य मानती है।

- भारत में यह कार्यक्रम होना सम्मान की बात। पीएम मोदी ने कहा कि चैंपियन्स ऑफ द अर्थ अवॉर्ड भारत की पुरानी परंपरा का सम्मान है, जिसने प्रकृति में परमात्मा को देखा है, जिसने सृष्टि के मूल में पंचतत्व को देखा और जिसके अधिष्ठान का आह्वान किया। यह भारत के जंगल में बसे उन आदिवासी भाई बहनों का सम्मान है, जो जंगलों से प्यार करते हैं। यह भारत के मछुआरे का सम्मान है, जो समुंदर से उतना ही लेते हैं, जितना जिविकोपार्जन के लिए आवश्यकत होता है।
चैंपियंस ऑफ द अर्थ निम्न श्रेणियों में विजेताओं को दिया जाता है-

लाइफटाइम अचीवमेंट, पॉलिसी लीडरशिप, कार्य और प्रेरणा, उद्यमी दृष्टि, विज्ञान और नवाचार।

इस साल संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से ये सम्मान विभिन्न श्रेणियों में 6 लोगों और संस्थाओं को दिया गया है। जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, इमैनुअल मैक्रों, जोआन कार्लिंग, चीन का जिनजिआंग ग्रीन रूरल प्रोग्राम, कोच्चि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा और बियोंड मीट एवं इंपोसिबल फूड्स के नाम शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र की ओर से कहा गया है कि ये लोग बेहतर भविष्य के लिए आज को बदल रहे हैं।

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