NRC मुद्दे पर संसद में प्रदर्शन, गृहमंत्री बोले- 'रोहिंग्या शरणार्थियों को राज्य सरकारें देश से बाहर कर सकती हैं'

By: Pinki Tue, 31 July 2018 1:20:20

NRC मुद्दे पर संसद में प्रदर्शन, गृहमंत्री बोले- 'रोहिंग्या शरणार्थियों को राज्य सरकारें देश से बाहर कर सकती हैं'

असम के सिटीजन रजिस्टर का ड्राफ़्ट आने के बाद सरकार और विपक्ष आमने-सामने है। वैध और अवैध नागरिकों की पहचान के लिए NRC ड्राफ़्ट पर घमासान जारी है। राज्यसभा में इस मुद्दे पर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। लोकसभा में एक सवाल के जवाब में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि 'रोहिंग्या शरणार्थियों को राज्य सरकारें देश से बाहर कर सकती हैं'।

उन्होंने कहा, ' म्यांमार भेजने पर सरकार प्रक्रिया शुरू करेगी। रोहिंग्या पर सरकार ने दिशा-निर्देश जारी की हैं। सीमा सुरक्षा बल और आसाम राइफल्स को रोहिंग्या घुसपैठ रोकने के लिए तैनात किया गया है। राज्यों को एडवाइजरी जारी की गई है। उन्हें भारत आ चुके रोहिंग्या पर नजर बनाए रखने और मॉनिटर करने के साथ ही एक जगह पर रखने के लिए कहा गया है। उनसे कहा गया है कि वह उन्हें फैलने ना दें।' वहीं ममता बनर्जी आज गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मिलने वाली हैं। ममता का कहना है कि हर राज्य में बाहर से आए लोग रहते हैं। ये एक चुनावी राजनीति है।

टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने आरोप लगाया कि सरकार बांग्लादेश में रह रहे रोहिंग्याओं के लिए ऑपरेशन इंसानियत चला रही है, भारत में रहनेवालों के लिए नहीं। विपक्षी पार्टियों के सरकार के भेदभाव के आरोप पर राजनाथ सिंह ने कहा, 'राज्य सरकारों से आग्रह किया है कि वे राज्य में रोहिंग्याओं की संख्या आदि के बारे में गृह मंत्रालय को सूचना दें। इसी के आधार पर जानकारी विदेश मंत्रालय को दी जाएगी और विदेश मंत्रालय म्यांमार के साथ इनको डिपोर्ट करने पर बातचीत करेगा।

इससे पहले कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी और टीएमसी के सौगत रॉय ने लोकसभा में एनआरसी ड्राफ्ट को लेकर स्थगन प्रस्ताव दिया। वहीं संसद की कार्यवाही से पहले भाजपा संसदीय दल बोर्ड की बैठक हुई जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और धर्मेंद्र प्रधान सहित कई मंत्री मौजूद रहे।

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बता दें कि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन का दूसरा ड्राफ्ट सोमवार को आया था। जिसकी वजह से विपक्षी पार्टियों ने सरकार को आड़े हाथ लिया था। कांग्रेस ने सोमवार को ही कहा था कि वह इस मसले को संसद में उठाएंगे। कांग्रेस सांसद ने इस मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सदन में आकर इसपर बात रखने के लिए कहा था। वहीं ममता बनर्जी ने आरोप लगाया था कि कुछ लोगों का नाम सूची से उनके सरनेम के आधार पर हटाया गया था।

दूसरी तरफ एनआरसी मामले को लेकर संसद भवन के परिसर में तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी विरोध प्रदर्शन कर रही हैं। लोकसभा में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद सुगत बोस के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा है कि भारत संभवतः एकमात्र देश है, जिसने शरणार्थियों के प्रति नरम रुख अपनाया है। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री के मुताबिक, सरकार ने म्यांमार को भी आश्वस्त किया है कि भारत उन रोहिंग्याओं को सुविधाएं उपलब्ध कराने में म्यांमार की सहायता करने के लिए तैयार है, जब वे लौटकर म्यांमार आएंगे। इससे पहले TMC सांसद सुगत बोस ने लोकसभा में कहा था, "विदेश मंत्रालय बांग्लादेश में रोहिंग्याओं के लिए 'ऑपरेशन इंसानियत' चला रहा है। भारत में भी 40,000 रोहिंग्या हैं, लेकिन क्या हम इंसानियत सिर्फ उनके लिए दिखाएंगे, जो बांग्लादेश में रहते हैं।?"

विपक्ष के सरकार पर धार्मिक आधार पर बंटवारे की राजनीति के आरोपों पर भी गृह मंत्री ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि मैं पूरे सदन को इस पूरी प्रक्रिया में सरकार के हाथ होने की बात साबित करने की चुनौती देता हूं। सभी जानते हैं कि इसमें केंद्र की कोई भूमिका नहीं है। सारा कुछ सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और निगरानी में हो रहा है। ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए।

त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने एनआरसी को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, 'त्रिपुरा में एनआरसी को लेकर कोई मांग नहीं है। त्रिपुरा में हर चीज सुव्यवस्थित है। मुझे लगता है कि यह आसाम के लिए भी कोई बड़ा कारण नहीं है, सर्वानंद सोनोवाल जी इसे व्यवस्थित करने में सक्षम हैं। कुछ लोग डर फैलाकर माहौल को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं।'

राज्यसभा में कांग्रेस के सांसद गुलाम नबी आजाद ने कहा, 'असली भारतीयों को देश से बाहर नहीं भेजा जाएगा। एनआरसी का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए और वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल नहीं होने चाहिए। यह मानवाधिकार का मसला है ना कि हिंदू-मुसलमान का।'

बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायवती ने कहा, 'भाजपा शासित आसाम में एनआरसी ड्राफ्ट के जरिए लगभग 40 लाख अल्पसंख्यकों की नागरिकता को अवैध करार दे दिया गया है। यदि लोग आसाम में लंबे समय से रह रहे हैं और वह अपनी नागरिकता का सबूत देने में सक्षम नहीं है तो इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें देश से बाहर फेंक दिया जाए।'

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