निर्भया के गुनहगारों को मिला और वक्त, 22 को नहीं होगी फांसी!

By: Pinki Wed, 15 Jan 2020 1:42:12

 निर्भया के गुनहगारों को मिला और वक्त, 22 को नहीं होगी फांसी!

निर्भया गैंगरेप के दोषी मुकेश कुमार की ट्रायल कोर्ट के डेथ वॉरंट को रद्द करने वाली अर्जी पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। मुकेश ने कहा है कि उसकी दया याचिका अभी राष्ट्रपति के पास लंबित है, इसलिए डेथ वारंट को रद्द कर दिया जाए। उसकी याचिका पर बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस मनमोहन और जस्टिस संगीता धींगरा की बेंच सुनवाई कर रही है। दोषी मुकेश ने कोर्ट से कहा है कि उसकी दया याचिका दिल्ली के उपराज्यपाल और राष्ट्रपति के पास लंबित है। इस पर फैसले के लिए फांसी से पहले उसे 14 दिन का वक्त दिया जाए।

मुकेश की ओर से वरिष्ठ वकील रिबाका जॉन मुकदमा लड़ रही हैं। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने मुकेश की क्यूरेटिव याचिका खारिज कर दी थी। 18 दिसंबर को तिहाड़ जेल अथॉरिटी ने सभी दोषियों को नोटिस जारी किया है। नोटिस में कहा गया कि आप चाहें 7 दिन के अंदर दया याचिका दाखिल कर सकते हैं। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान दो दोषियों की ओर से कहा गया कि उनके केस को सही पैरवी नहीं मिली है, इसलिए इस पर भी गौर किया जाना चाहिए।

दिल्ली हाई कोर्ट में जारी सुनवाई में सरकारी वकीलों का कहना है कि दया याचिका खारिज होने के बाद भी 14 दिन का समय मिलता है। दोषी मुकेश ने क्यूरेटिव पिटिशन खारिज होने के बाद राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल की है। सरकारी वकीलों ने यह भी तर्क दिया कि अगर राष्ट्रपति दया याचिका खारिज भी कर देते हैं उसके बाद भी 14 दिन का वक्त मिलेगा।

मुकेश की वकील रिबाका जॉन ने कहा कि 7 जनवरी को ट्रायल कोर्ट की ओर से पारित आदेश अभी तक तामिल नहीं हो सका है। अगर हम 18 दिसंबर के आदेश पर दया याचिका दायर करने के लिए 7 दिन का नोटिस देते तो 25 दिसंबर को यह समाप्त हो जाता। लेकिन एमिकस को दोषी से मिलने की अनुमति 30 तारीख को दी गई और दोषी ने तुरंत बताया कि वह एक क्यूरेटिव फाइल करने का इरादा रखता है।

सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री से कागजात मिलने के बाद 2 दिन के अंदर क्यूरेटिव याचिका दाखिल की गई। क्यूरेटिव याचिका खारिज होने के बाद दया याचिका दायर करने के लिए हमने एक दिन भी इंतजार नहीं किया। मैं राष्ट्रपति से आवेदन पर विचार करने के लिए कह रही हूं। दया याचिका राष्ट्रपति का संवैधानिक कर्तव्य है और यह कोई अनुग्रह का काम नहीं है।

इस पर हाईकोर्ट ने कहा, आपकी अपील अप्रैल 2017 में खारिज कर दी गई थी। तब भी आपने ढाई साल तक इंतजार किया। एक समीक्षा याचिका तक दर्ज नहीं की, कोई क्यूरेटिव भी फ़ाइल नहीं किया। आपको ये दाखिल करने से क्या रोका गया? कोर्ट ने कहा कि कोई डेथ वारंट जारी होने तक दया याचिका दायर करने का इंतजार क्यों करेगा। दोषी को कोर्ट जाने के लिए मुकम्मल वक्त दिया गया है।

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