सपा से गठबंधन हमारी बड़ी भूल थी, हार के बाद अखिलेश ने फोन तक नहीं किया : मायावती

By: Pinki Sun, 23 June 2019 11:30:58

सपा से गठबंधन हमारी बड़ी भूल थी, हार के बाद अखिलेश ने फोन तक नहीं किया : मायावती

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद मायावती ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रविवार को पहली बड़ी बैठक की। इस बैठक में पार्टी को लेकर कई बड़े बदलाव किए गए। मायावती ने बसपा में बड़े संगठनात्मक बदलाव करते हुए एक बार फिर भाई और भतीजे पर अपना भरोसा जताया है। बसपा सुप्रीमो मायावती के भाई आनंद कुमार को एक बार फिर पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है। वहीं मायावती के भतीजे आकाश आनंद को राष्ट्रीय समन्वयक की जिम्मेदारी दी गई है। इस बार पार्टी में दो नेशनल कॉर्डिनेटर बनाए गए हैं। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रामजी गौतम को भी नेशनल कॉर्डिनेटर बनाया गया है। दानिश अली को लोकसभा में बीएसपी का नेता बनाया गया है। जानकारी के मुताबिक इस बैठक में देश भर से संगठन के क़रीब पांच सौ से ज़्यादा पदाधिकारी मौजूद थे। इनमें विधानसभा से लेकर मंडल प्रभारी तक शामिल थे। बैठक में जाने से पहले सभी के मोबाइल, पेन और चाभी जमा करवा लिए गए थे।

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समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन बड़ी भूल

साथ ही इस बैठक में उन्होंने समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव पर जमकर हमला बोला। मायावती ने कहा समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करना हमारी बड़ी भूल थी। मायावती ने जब ये बात कही तो बैठक में मौजूद कई नेता हैरान रह गए। लखनऊ में बीएसपी नेताओं की मीटिंग में मायावती ने मुलायम सिंह से लेकर अखिलेश यादव पर कई गंभीर आरोप लगाए। समाजवादी पार्टी से गठबंधन क्यों तोड़ा, इसके बारे में उन्होंने विस्तार से बताया। मायावती ने अखिलेश यादव की राजनीतिक समझ पर सवाल उठाए। उन्होंने ये कह कर सनसनी फैला दी कि अखिलेश ने मुसलमानों को टिकट देने का विरोध किया था। मायावती ने बताया कि एक दिन अखिलेश उनसे मिलने उनके घर आए और कहा कि मुस्लिमों को टिकट देने से साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण हो सकता है। इससे गठबंधन को नुकसान होगा। लेकिन मैंने उनकी बात नहीं मानी।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, इस बैठक में मायावती करीब 25 मिनट तक बोलीं। उन्होंने कहा कि एसपी के लोग ये कह रहे हैं कि उनकी बदौलत बीएसपी 10 सीटें जीती है तो वो लोग अपने गिरेबां में झांके। सच्चाई ये है कि एसपी अगर 5 सीटें भी जीत पाई तो सिर्फ इसलिए कि बीएसपी ने उसका साथ दिया। उपचुनाव में हमें ये दिखाना है कि ये जीत हमारी अकेले की जीत है जिसका क्रेडिट एसपी के लोग ले रहे हैं।

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सपा ने दिया धोखा, अखिलेश ने कुछ नहीं किया

मायवती ने कहा कि एसपी के लोगों ने चुनाव में धोखा दिया कई जगहों पर बीएसपी को एसपी के नेताओं ने हराने का काम किया। धार्मिक ध्रुवीकरण को लेकर समाजवादी पार्टी काफी डरी हुई थी इसलिए वो खुलकर मुद्दों को उठाने से कतराती रही। मायावती ने पार्टी के वरिष्ठ नेता सतीश चंद्र मिश्र की तारीफ की और कहा कि जो लोग इनकी शिकायत कर रहे हैं वो जान लें कि सतीश चंद्र मिश्रा मुश्किल वक्त में पार्टी और मेरे साथ खड़े रहे। मायावती ने पुराने वक्त को भी याद किया और कहा कि मेरे ऊपर दर्ज केसों में समाजवादी पार्टी के नेताओं का बड़ा हाथ रहा है।

इसके अलावा मायावती ने लोकसभा चुनाव में एसपी पर बीएसपी के खिलाफ प्रचार करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अखिलेश से कई बार शिकायत की मगर भितरघात होता रहा। अखिलेश ने अपने लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं की। नतीजे आने के बाद भी संपर्क किया मगर अखिलेश ने कोई बात नहीं की। मुझे उन्हें बताना चाहिए था कि आप के लोगों ने कहां-कहां सहयोग नहीं किया।

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अखिलेश ने फोन तक नहीं किया- मायावती

मायावती बोलीं कि रिजल्ट आने के बाद अखिलेश ने मुझे कभी फोन नहीं किया। सतीश चंद्र मिश्रा ने उनसे कहा कि वे मुझे फोन कर लें, लेकिन फिर भी उन्होंने फोन नहीं किया। मैंने बड़े होने का फर्ज निभाया और काउंटिग के दिन 23 तारीख को उन्हें फोन कर उनके परिवार के हारने पर अफसोस जताया। लोकसभा चुनाव में अखिलेश की पत्नी डिंपल कन्नौज से चुनाव लड़ रही थीं। वे चुनाव हार गईं। अखिलेश के दो चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव और अक्षय यादव भी चुनाव हार गए। मायावती बोलीं कि मुलायम और अखिलेश के शासन में दलितों पर जो अत्याचार हुआ था वही हार का कारण बना।

बैठक में आगे बोलते हुए मायवती ने कहा कि मैंने बड़े होने का फर्ज निभाया और काउंटिंग के दिन उन्हें फोन कर परिवार के हारने पर अफसोस भी जताया। 3 जून को जब दिल्ली की मीटिंग में गठबंधन तोड़ने की बात हुई तब भी उन्होंने मिश्रा जी को फोन किया लेकिन मुझसे कोई बात नहीं की। उन्होंने मुझे मैसेज भिजवाया कि मैं मुसलमानों को ज्यादा टिकट न दूं, इससे धार्मिक ध्रुविकरण होगा, लेकिन मैंने उनकी बात नहीं मानी।

मायावती ने कहा कि अखिलेश के राज में गैर-यादव पिछड़ों के साथ नाइंसाफी हुई, इसलिए उन्होंने गठबंधन को वोट नहीं दिया। समाजवादी पार्टी ने दलितों के प्रमोशन का विरोध किया था इसलिए उन्होंने हमारा विरोध किया। बीएसपी के प्रदेश अध्यक्ष को एसपी के बड़े नेता ने हरवाया उन्होंने अपना वोट बीएसपी के बजाए बीजेपी को ट्रांसफर करवाया। अभी बीएसपी किसी मुद्दे पर कोई धरना-प्रदर्शन नहीं करेगी।

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