महाराष्ट्र में कुर्सी का दंगल पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, NCP-कांग्रेस ने शिवसेना के सामने रखी ये शर्तें

By: Pinki Wed, 13 Nov 2019 08:41:31

महाराष्ट्र में कुर्सी का दंगल पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, NCP-कांग्रेस ने शिवसेना के सामने रखी ये शर्तें

महाराष्ट्र में सत्ता की कुर्सी की जंग सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच सरकार बनाने के लिए जो चर्चा शुरू हुई थी, वह सफल हो पाती उससे पहले ही राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया है। राज्यपाल की सिफारिश को मंगलवार शाम को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दी। अब इसी के खिलाफ शिवसेना सुप्रीम कोर्ट पहुंची है, जिसपर आज सुनवाई होनी है।

दरअसल, बीजेपी की न करने के बाद शिवसेना को राज्यपाल की ओर से न्योता मिला तो उन्होंने समर्थन पत्र साबित करने के लिए 48 घंटे का वक्त माना, लेकिन राज्यपाल की ओर से सिर्फ 24 घंटे ही दिए गए। इसके अलावा जब राज्यपाल ने NCP को बुलाया तो उनके साथ भी ऐसा ही हुआ। मंगलवार को जब मुंबई में कांग्रेस-एनसीपी नेताओं की बैठक हुई, तो दोनों पार्टियों ने कहा कि उन्हें अभी कुछ वक्त चाहिए लेकिन राज्यपाल ने वक़्त देने से मना कर दिया। इसके बाद राज्यपाल की सिफारिश और मोदी कैबिनेट की अनुशंसा के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्य में राष्ट्रपति शासन को मंजूरी दे दी। इस तरह पिछले कई दिनों से चल रहे सत्ता संघर्ष का आज पटापेक्ष हो गया।

NCP-कांग्रेस की शर्तें

कल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, मल्लिकार्जुन खड़गे और केसी वेणुगोपाल पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी का संदेश लेकर एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मिलने महाराष्ट्र गए थे। बातचीत के दौरान कांग्रेस ने सरकार गठन के लिए अपनी कुछ शर्तें एनसीपी के समक्ष रखी हैं। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस का न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर जोर है। लेकिन एनसीपी चाहती है कि कांग्रेस सरकार का हिस्सा हो ताकि राज्य को मजबूत और स्थायी सरकार दिया जा सके। इसके साथ ही एनसीपी चाहती है कि ढाई साल महाराष्ट्र की सत्ता शिवसेना का मुख्यमंत्री चलाए और बाकी के ढाई साल एनसीपी का। इसके साथ ही एनसीपी कांग्रेस को पांच साल डिप्टी सीएम का पद भी देना चाहती है।

बता दे, चुनावों के बाद राज्य में बीजेपी को कुल 105 सीटों पर जीत मिली थी और वह सबसे बड़े दल के रूप में सामने आई थी। 56 सीटों पर जीत के साथ शिवसेना राज्य की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थी। यानी बीजेपी-शिवसेना महायुति के पास कुल 161 सीटें थी जो बहुमत के आंकड़े से काफी ज्यादा थीं। इसके बाद 54 सीटों के साथ एनसीपी जबकि चौथे नंबर कांग्रेस थी जिसे 44 सीटों पर जीत मिली थी।

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