चुनाव के दौरान लिए गए फैसलों पर लवासा और CEC आमने-सामने, सुनील अरोड़ा ने जारी किया बयान
By: Pinki Sat, 18 May 2019 3:36:47
लोकसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता उल्लंघन के आरोपों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट देने सहित कई तमाम फैसलों को लेकर चुनाव आयोग में भी मतभेद खुलकर सामने आने लगे हैं। आयोग के आचार संहिता तोड़ने संबंधी कई फैसलों पर असहमति जताने वाले चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा को पत्र लिखकर मांग की है कि आयोग के फैसलों में आयुक्तों के बीच मतभेद को भी आधिकारिक रिकॉर्ड पर शामिल किया जाए।
अशोक लवासा देश के अगले मुख्य चुनाव आयुक्त बनने की कतार में हैं और सूत्रों के मुताबिक लवासा आचार संहिता उल्लंघन की शिकायतों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को सीधे-सीधे लगातार क्लीन चिट और विरोधी दलों के नेताओं को नोटिस थमाए जाने के खिलाफ रहे हैं।
चुनाव आयुक्त अशोक लवासा को लेकर चल रही खबरों के बीच मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने सफाई दी है। सुनील अरोड़ा ने कहा है कि जरूरी नहीं सभी मुद्दों पर सभी सदस्यों की राय एक हो। बेवजह इस मुद्दे को तूल दिया जा रहा है। सुनील अरोड़ा ने कहा, 'चुनाव आयोग में 3 सदस्य होते हैं और तीनों एक-दूसरे के क्लोन नहीं हो सकते। मैं किसी भी तरह के बहस से नहीं भागता। हर चीज का वक्त होता है।' सुनील अरोड़ा ने आगे कहा, 'आज मीडिया में चुनाव आयोग की आंतरिक कार्यप्रणाली को लेकर रिपोर्टिंग की गई। इस विवाद को टाला भी जा सकता था।'
दूसरी ओर, सुप्रीम कोर्ट भी चुनाव आयोग को अपने अधिकारों का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं किए जाने पर डांट चुका है। आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन से संबंधित कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की ओर से आयोग में दाखिल शिकायतों का जल्द निपटारा नहीं किए जाने की आलोचना भी की। चुनाव आयोग नरेंद्र मोदी और अमित शाह को कई मामलों में क्लीन चिट दे चुका है। जबकि इन दोनों नेताओं के खिलाफ अपने चुनावी भाषणों में सेना की सर्जिकल स्ट्राइक का राजनीतिक जिक्र और विरोधियों के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल जैसे गंभीर आरोप लगाए गए थे।
कांग्रेस ने बोला मोदी सरकार पर हमला
दूसरी ओर, इस विवाद पर कांग्रेस का कहना है कि चुनाव आयोग मोदी का पिट्ठू बना चुना है, अशोक लवासा की चिट्ठी से साफ है कि सीईसी और उनके सहयोगी लवासा के बीच नरेंद्र मोदी और अमित शाह को लेकर जो अलग मत है, उसे रिकॉर्ड करने को तैयार नहीं हैं।
इससे पहले सूत्रों के मुताबिक चुनाव आयोग की बैठक में अपने अलग मत की वजह से सुर्खियों में रहे अशोक लवासा ने मुख्य चुनाव आयुक्त को लिखी चिट्ठी में कहा है कि 3 सदस्यीय आयोग में एक सदस्य का भी विचार भिन्न हो तो उसे आदेश में बाकायदा लिखा जाए। लवासा चुनाव आयोग में सुप्रीम कोर्ट जैसी व्यवस्था चाहते हैं। जिस तरह से कोर्ट की खंडपीठ या विशेष पीठ में किसी केस की सुनवाई के बाद फैसला सुनाते वक्त अगर किसी जज का फैसला सहमति से लिए गए फैसले के उलट रहता है तो भी उसका फैसला रिकॉर्ड किया जाता है। कांग्रेस ने कहा है कि इस सरकार में संस्थाओं की गरिमा धूमिल हुई है। वहीं कांग्रेस ने चुनाव आयोग पर तंज कसते हुए कहा है कि ये चुनाव आयोग है या चूक आयोग।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक खबर शेयर करते हुए ट्वीट किया है, ‘’चुनाव आयोग है या चूक आयोग। लोकतंत्र के लिए एक और काला दिन। चुनाव आयोग के सदस्य ने बैठकों में शामिल होने से इनकार किया। जब चुनाव मोदी-शाह जोड़ी को क्लीनचिट देने में व्यस्त था तब लवासा ने कई मौकों पर असहमति जताई।’’
उन्होंने दावा किया, ‘’संस्थागत गरिमा धूमिल करना मोदी सरकार की विशेषता है। सुप्रीम कोर्ट के जज सार्वजनिक तौर पर बयान देते हैं, रिजर्व बैंक के गवर्नर इस्तीफा देते हैं, सीबीआई निदेशक को हटा दिया जाता है। सीवीसी खोखली रिपोर्ट देता है। अब चुनाव आयोग बंट रहा है।’’ सुरजेवाला ने सवाल किया, ‘’क्या चुनाव आयोग लवासा की असहमति को रिकॉर्ड करके शर्मिंदगी से बचेगा?’’
इस फैसले के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया कि चुनाव आयोग मोदी और शाह के इशारे पर काम कर रहा है तो दूसरी ओर बीजेपी भी ऐसे ही आरोप लगाती रही है।
CEC Sunil Arora: But the same largely remained within confines of ECI after demission of office unless appearing much later in a book written by the concerned ECs/CECs. I personally never shied away from a public debate whenever required but there is time for everything. (2/3) https://t.co/5OtXtxNPDz
— ANI (@ANI) May 18, 2019
Randeep Surjewala on purported letter by EC Ashok Lavasa to CEC: Chunav Aayog Modi ji ka pitthu ban chuka hai, Ashok Lavasa ji ki chitthi se saaf hai CEC aur un ke sahyogi Lavasa ji ka jo bhinn opinion hai Modi ji aur Amit Shah ko lekar usko bhi record karne ko taiyar nahi hain. pic.twitter.com/ukWozQBAl7
— ANI (@ANI) May 18, 2019
फैसला होने तक बैठक में नहीं
सूत्रों ने यह भी बताया कि अशोक लवासा ने मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा को लिखे पत्र में यह बात भी कही है कि उनकी मांग के अनुरूप व्यवस्था नहीं बनने तक वह बैठक में ही शामिल नहीं होंगे।
हालांकि, चुनाव आयोग की नियमावली के मुताबिक तीनों आयुक्तों के अधिकार क्षेत्र और शक्तियां बराबर हैं। किसी भी मुद्दे पर विचार में मतभेद होने पर बहुमत का फैसला ही मान्य होगा। फिर चाहे मुख्य निर्वाचन आयुक्त ही अल्पमत में क्यों ना हों।
रिकॉर्ड रखने का आदेश
मोदी-शाह क्लीन चिट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आयोग के आदेशों को रिकॉर्ड पर रखने को कहा है। इस आदेश के बाद आयोग को अंदेशा है कि अगली सुनवाई में कोर्ट आयोग में होने वाली मीटिंग की प्रक्रिया और फैसले के आधार को लेकर तीखे और सीधे सवाल करेगा।
जारी लोकसभा चुनाव में चुनाव आयोग की भूमिका पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। विपक्ष खुलकर आयोग पर आरोप लगा रहा है कि वह निष्पक्ष रूप से फैसले नहीं ले रहा। बंगाल में अमित शाह के रोड शो में हुई हिंसा के बाद बुधवार को चुनाव आयोग के तय समय से 20 घंटे पहले ही चुनाव प्रचार को रोक दिए जाने की भी तीखी आलोचना हुई थी।