तीन तलाक बिल को पास कराने की कोशिश में सरकार, शाह ने बनाई रणनीति, सोनिया बोलीं- उनकी पार्टी का रुख बिल्कुल साफ
By: Priyanka Maheshwari Fri, 10 Aug 2018 12:35:41
संसद के मॉनसून सत्र के आखिरी दिन भी सरकार और विपक्ष आमने-सामने है। शुक्रवार को राफेल डील पर राज्यसभा में जोरदार हंगामा हुआ, जिसके चलते सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी। अब 2.30 बजे संशोधित तीन तलाक बिल को पेश किए जाने की संभावना है। बता दें कि संसद का मॉनसून सत्र शुक्रवार को ख़त्म हो रहा है। अगर इस सत्र में सरकार इस बिल को राज्यसभा में पारित नहीं करा पाती है, तो सरकार ने अध्यादेश लाकर इसे लागू कराने का विकल्प खुला रखा है।
बता दे, मोदी कैबिनेट की मंज़ूरी के बाद तीन तलाक बिल को तीन संशोधनों के साथ आज राज्यसभा में पेश किया जाएगा। अब ये तय किया गया है कि संशोधित बिल में दोषी को ज़मानत देने का अधिकार मेजिस्ट्रेट के पास होगा और कोर्ट की इजाज़त से समझौते का प्रावधान भी होगा।
मगर अब सूत्रों से जानकारी मिल रही है कि केंद्र सरकार ट्रिपल तलाक बिल को संसद के दोनों सदनों से पारित करवाने के लिए मॉनसून सत्र एक दिन के लिए बढ़ा भी सकती है। यानी बिल पास न होने की स्थिति में एक दिन के लिए संसद का सत्र बढ़ सकता है। इससे यह स्पष्ट हो रहा है कि केंद्र सरकार किसी तरह इस बिल को पारित कराना चाहती है। ट्रिपल तलाक बिल पारित न होने की स्थिति में केंद्र सरकार के पास प्लान बी भी है। इसके मुताबिक, केंद्र सरकार ट्रिपल तलाक पर अध्यादेश ला सकती है या फिर आपातकालीन कार्यकारी आदेश लाएगी।
यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी ने तीन तलाक बिल पर रणनीति बनाने के लिए बैठक किया। तीन तलाक बिल पर बैठक में संसद भवन में अमित शाह, रविशंकर प्रसाद, अनंत कुमार, राजनाथ सिंह, मुख्तार अब्बास नकवी आदि शामिल हुए। सूत्रों से के मुताबिक, कांग्रेस सेलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग कर सकती है।
बता दें कि सरकार जहां तत्काल तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाने से संबंधित संशोधित बिल को पारित कराने की कोशिश में जुटी है, वहीं कांग्रेस ने संकेत दे दिया है वह इस मुद्दे पर इस बार भी सरकार का रास्ता रोकेगी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि तीन तलाक पर उनकी पार्टी का रुख बिल्कुल साफ है।
गौरतलब है कि गुरुवार को कैबिनेट ने तीन तलाक बिल पर राजनीतिक गतिरोध खत्म करने को लेकर बिल में अहम संशोधनों को मंज़ूरी दे दी। अब संशोधित बिल में पीड़िता या उसके खून के रिश्ते का कोई शख्स को एफआईआर दर्ज कराने का अधिकार होगा। साथ ही मजिस्ट्रेट को ज़मानत देने का अधिकार होगा। और कोर्ट की इजाज़त से समझौते का प्रावधान होगा।