कठुआ गैंगरेप के 6 गुनहगार, कर दी थी दरिंदगी की सारी हदें पार, 18 महीने बाद आज मिलेगा न्याय

By: Pinki Mon, 10 June 2019 1:47:04

कठुआ गैंगरेप के 6 गुनहगार, कर दी थी दरिंदगी की सारी हदें पार, 18 महीने बाद आज मिलेगा न्याय

कठुआ गैंगरेप मामले में पठानकोट की अदालत ने अहम फैसला सुनाया है। पठानकोट कोर्ट की विशेष अदालत ने कुल 7 आरोपियों में से 6 को दोषी करार दिया है। जबकि एक आरोपी को बरी कर दिया गया है। इस मामले में एक ग्राम प्रधान समेत आठ आरोपी थे, जबकि किशोर आरोपी के खिलाफ मुकदमा अभी शुरू नहीं हुआ है और उसकी उम्र संबंधी याचिका पर जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट सुनवाई करेगा। पिछले साल 10 जनवरी को अगवा की गई आठ साल की बच्ची का रेप करके उसकी हत्या कर दी गई थी। पठानकोट की अदालत ने पूरे देश को हिलाकर रख देने वाले इस सामूहिक बलात्कार के मामले में मास्टर माइंड सांजी राम, आनंद दत्ता, प्रवेश कुमार, तिलक राज, दीपक, सुरेंद्र को दोषी करार दिया गया है। जबकि एक आरोपी विशाल को बरी कर दिया गया है।

चार दिन तक बेहोश रखकर की गई थी बच्ची की हत्या

कठुआ जिले के एक छोटे से गांव के मंदिर में कथित तौर पर बंधक बनाकर 8 साल की बच्ची के साथ एक पुलिसकर्मी सहित 8 लोगों ने रेप किया। इतना ही नहीं उसे 4 दिन तक बेहोश रखा गया। फोरेंसिक लैब की रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरान पीड़ित बच्ची को भांग और नशीली दवाओं का ओवरडोज देकर अचेत रखा गया था। बाद में उसकी हत्या कर दी गई। क्राइम ब्रांच ने इस मामले में ग्राम प्रधान सांजी राम, उसके बेटे विशाल, किशोर भतीजे और उसके दोस्त आनंद दत्ता को गिरफ्तार किया था। इस मामले में दो विशेष पुलिस अधिकारियों दीपक खजुरिया और सुरेंद्र वर्मा को भी गिरफ्तार किया गया था।

बताते चलें कि चार्जशीट के मुताबिक, पीड़िता की 13 जनवरी को गला घोंटकर हत्या कर दी गई थी। 16 जनवरी को पीड़िता का शव इलाके में ही फेंक दिया गया था। पुलिस के मुताबिक, सात दिनों तक लगातार अत्याचार सहने के बावजूद पीड़िता इसलिए मदद के लिए चीख पुकार नहीं मचा सकी, क्योंकि किडनैप किए जाने के थोड़ी ही देर बाद आरोपियों ने बच्ची को भांग खिला दी थी।

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पुलिस के मुताबिक बच्ची को किडनैप करने वाले मुख्य आरोपी 15 वर्षीय नाबालिग ने बच्ची के मुंह में जबरन भांग ठूंस दी थी, इस दौरान दूसरे आरोपी ने बच्ची के पैरों को दबाए रखा। आरोपियों ने बच्ची को कई दिनों तक मंदिर के अंदर बंधक बनाकर रखा और लगातार उसे नशीली दवाएं खिलाते रहे, जिससे कि पीड़िता अपने साथ हो रहे अत्याचार का विरोध नहीं कर सकी।

रिपोर्टस के मुताबिक घटना की जांच कर रही क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी के हवाले से कहा गया था कि पीड़िता को एपीट्रिल 0.5 एमजी की कई गोलियां खिलाई गईं। डॉक्टरों ने पुलिस को बताया कि किसी को दिनभर में एपिट्रिल 0.5 एमजी की एक गोली से अधिक के सेवन का परामर्श नहीं दिया जाता। लेकिन आरोपियों ने पीड़िता को एक दिन में आठ गोलियां तक खिला डालीं थीं।

जांच अधिकारी ने बताया था कि 10 जनवरी, 2018 को बच्ची लापता हुई और बच्ची के माता-पिता उसे खोजते हुए अगले दिन मंदिर के पास तक गए भी। लेकिन आरोपियों ने बड़ी ही चालाकी से पीड़िता के माता-पिता को मंदिर के बाहर से ही गुमराह कर टहला दिया था।

पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने किडनैपिंग के तीसरे दिन 13 जनवरी को पीड़िता की हत्या कर दी थी, लेकिन मौसम बेहद सर्द होने के चलते शव के सड़ने की कोई चिंता नहीं थी। हत्या के 3 दिन बाद 16 जनवरी तक आरोपी बच्ची के शव को मंदिर के अंदर ही रखे रहे थे। करीब एक हफ्ते बाद 17 जनवरी को जंगल में उस बच्ची की लाश मिली थी। मेडिकल रिपोर्ट में पता चला था कि बच्ची के साथ कई बार कई दिनों तक सामूहिक बलात्कार हुआ है और पत्थरों से मारकर उसकी हत्या की गई है।

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इस पूरी घटना का मास्टर माइंड सांजी राम

इस पूरी घटना का मास्टर माइंड राजस्व विभाग का रिटायर्ड अधिकारी 62 वर्षीय सांजी राम है। जिसे मुख्य आरोपी बनाया गया है। उसी ने यह पूरी साजिश रची थी। रासना गांव में मंदिर के सेवादार सांझी राम ने बकरवाल समुदाय को इलाके से हटाने के लिए मासूम से गैंगरेप की साजिश रची थी। इस घटना के मास्टरमाइंड सांझी राम समेत कुल आठ लोग गिरफ्तार किए गए हैं।

घटना के बाद खड़ा हुआ था राजनीतिक तूफान

किशोर आरोपी के खिलाफ मुकदमा अभी शुरू नहीं हुआ है और उसकी उम्र संबंधी याचिका पर जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट सुनवाई करेगा। इस मामले ने बड़ा राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया था और इसमें बीजेपी के दो मंत्रियों (चौधरी लाल सिंह, पूर्व वन मंत्री और चंद्र प्रकाश गंगा, पूर्व उद्योग मंत्री) को अपना मंत्री पद गवाना पड़ा था। मामले की सुनवाई पठानकोट की जिला और सत्र अदालत में चल रही है।

आरोपियों को सुनाई जा सकती हैं उम्रकैद और मौत की सजा

सुप्रीम कोर्ट ने मामले को जम्मू कश्मीर से बाहर स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था। इससे पहले कठुआ के वकीलों ने क्राइम ब्रांच के अधिकारियों को मामले में चार्जशीट दाखिल करने से रोका था। इस मामले ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया था। अगर आरोपियों को दोषी करार दिया जाता है तो कम से कम उम्रकैद और अधिकतम मौत की सजा सुनाई जा सकती है।

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