2 अक्टूबर विशेष : जलियां-वाला बाग हत्याकांड, बना गांधीजी के लिए स्वतंत्रता आंदोलन की प्रेरणा

By: Ankur Sun, 30 Sept 2018 11:07:41

2 अक्टूबर विशेष : जलियां-वाला बाग हत्याकांड, बना गांधीजी के लिए स्वतंत्रता आंदोलन की प्रेरणा

राष्ट्रपिता अर्थात महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात राज्य के पोरबन्दर में हुआ था। अहिंसा की अलख जगाने और अहिंसक आन्दोलनों के लिए जाने जाते थे। गांधी जी कई लोगों के लिए प्रेरणा बने और स्वतंत्रता आंदोलन के लिए उनकी प्रेरणा बना जलियां-वाला बाग हत्याकांड। इस घटना ने गांधीजी को झकझोर कर रख दिया था और गांधीजी खुलम-खुल्ला संघर्ष में कूद पड़े।

दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद भारतवासियों को उनके अधिकार दिलाने के लिए गांधी जी नेशनल इण्डियन कांग्रेस की स्थापना की। पहली बार सत्याग्रह के शस्त्र का प्रयोग किया और विजय भी पाई। इस प्रकार सन् 1914-15 में गांधी जब दक्षिण अफ्रीका से वापिस भारत लौटे, तब तक इन विचारों और जीवन-व्यवहारों में आमूल-चूल परिवर्तन आ चुका था।

भारत लौटकर कुछ दिन गांधी जी देश का भ्रमण कर वास्तविक स्थिति का जायजा लेते रहे। फिर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस जैसी संस्था को पूर्ण स्वतंत्रता का लक्ष्य देकर संघर्ष में कूद पड़े। क्योंकि प्रथम विश्वयुद्ध में वचन देकर भी अंग्रेज सरकार ने भारतीयों के प्रति अपने रवैये में कोई परिवर्तन नहीं किया था, इससे गांधी जी और भी चिढ़ गए और अंग्रेजी कानूनों का बहिष्कार और सत्याग्रह का बिगुल बजा दिया।

भारतवासियों के मानवाधिकारों का हनन करने वाले रोलट एक्ट का स्थान-स्थान पर विरोध-बहिष्कार होने लगा। सन् 1919 में जलियां-वाला बाग में हो रही विरोध-सभा पर हुए अत्याचार ने गांधी जी की अंतरात्मा को हिलाकर रख दिया। सो अब ये समूचे स्वतंत्रता आंदोलन की बागडोर संभाल खुलम-खुल्ला संघर्ष में कूद पड़े।

jallianwala bagh massacre,mahatma gandhi,gandhi jayanti ,गांधी जयंती,जलियां-वाला बाग हत्याकांड, महात्मा गांधी

बिहार की नील सत्याग्रह, डाण्डी यात्रा या नमक सत्याग्रह, खेड़ा का किसान सत्याग्रह आदि गांधी जी के जीवन के प्रमुख सत्याग्रह हैं। इन्हें कई बार महीने-महीने भर का उपवास भी करना पड़ा। अपने विचारों के प्रचार-प्रसार के लिए इन्होंने नवजीवन और यंग इण्डिया जैसे पत्र भी प्रकाशित किए।

विदेशी-बहिष्कार और विदेशी माल का दाह, मद्य निषेध के लिए धरने का आयोजन, अछूतोद्धार, स्वदेशी प्रचार के लिए चर्खे और खादी को महत्व देना, सर्वधर्म-समन्वय और विशेषकर हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए प्रचार इनके द्वारा आरंभ किए गए अन्य प्रमुख सामाजिक सुधारात्मक कार्य माने गए हैं। इस प्रकार के स्वतंत्रता दिलाने वाले प्रयासों के लिए अक्सर बीच-बीच में इन्हें जेलयात्रा भी करनी पड़तीं।

सन् 1931 में इग्लैंड में संपन्न गोलमेज कान्फ्रेस में भाग लेने के लिए गांधी जी वहां गए, पर जब इनकी इच्छा के विरुद्ध हरिजनों को निर्वाचन का विशेषाधिकार हिन्दुओं से अलग करके दे दिया, तो भारत लौटकर गांधी जी ने पुनः आंदोलन आरंभ कर दिया। बंदी बनाए जाने पर जब ये अनशन करने लगे, तो सारा देश क्षुब्ध हो उठा। फलतः ब्रिटिश सरकार को गांधी जी के मतानुसार हरिजनों का पृथक निर्वाचनाधिकार का हठ छोड़ना पड़ा।

सन् 1942 में बंबई कांग्रेस के अवसर पर इनके द्वारा अंग्रेजों को दी गई चेतावनी 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' और भारतवासियों को 'करो या मरो' की दी गई ललकार का जो भीषण परिणाम निकला, उसे निहार अंग्रेज न केवल घबरा गए, बल्कि बोरिया बिस्तर बांधकर इस देश से चले जाने के लिए बाध्य हो गए। फलतः 15 अगस्त 1947 के दिन भारत को स्वतंत्र कर अंग्रेज इंग्लैंड लौट गए।

हम WhatsApp पर हैं। नवीनतम समाचार अपडेट पाने के लिए हमारे चैनल से जुड़ें... https://whatsapp.com/channel/0029Va4Cm0aEquiJSIeUiN2i
पढ़ें Hindi News ऑनलाइन lifeberrys हिंदी की वेबसाइट पर। जानिए देश-विदेश और अपने प्रदेश से जुड़ीNews in Hindi

Home | About | Contact | Disclaimer| Privacy Policy

| | |

Copyright © 2024 lifeberrys.com