जैन मुनि तरुण सागर जी महाराज का 51 साल की उम्र में निधन, शनिवार सुबह 3:18 मिनट पर अंतिम सांस ली

By: Priyanka Maheshwari Sat, 01 Sept 2018 08:26:28

जैन मुनि तरुण सागर जी महाराज का 51 साल की उम्र में निधन, शनिवार सुबह 3:18 मिनट पर अंतिम सांस ली

मुनि श्री तरुण सागर जी महाराज Jain Muni Tarun Sagar का आज तड़के निधन हो गया है। वह 51 साल के थे और पिछले 20 दिनों से पीलिया से पीड़ित थे, जिसके कारण वह बहुत कमजोर हो गए थे। उनके प्रवास स्थल पर उनके दर्शन के लिए देशभर से श्रद्धालु जुटने लगे हैं। जैन मुनि का एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था और उन्होंने दिल्ली के शाहदरा के कृष्णानगर में शनिवार सुबह 3:18 बजे अंतिम सांस ली। बताया जा रहा है उन पर दवाओं का असर होना बंद हो गया था। कहा यह भी जा रहा है कि जैन मुनि ने इलाज से इनकार कर दिया था, जिससे बीमारी बढ़ गई। यात्रा सुबह 7 बजे राधेपुरी दिल्ली से प्रारंभ होकर 28 किलोमीटर दूर तरुणसागरम पर पहुंचेगी।

बता दे, गुरुवार को भी उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई थी। दिन में उन्हें स्वास्थ्य जांच के लिए अस्पताल ले जाया गया था, जहां शाम तक उनकी सेहत में थोड़ा सुधार हुआ था। इससे पहले उनकी हालत गंभीर बताई जा रही थी। उन्हें डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया था। जगह-जगह उनके स्वास्थ्य लाभ के लिए प्रार्थनाएं की जा रही थीं। जिस कमरे में उन्हें रखा गया था, वहां पर सिर्फ जैन मुनियों और शिष्यों को ही जाने की इजाजत थी। इसके अलावा किसी को भी अंदर आने की इजाजत नहीं दी गई थी।

दिगंबर जैन महासभा के अध्यक्ष निर्मल सेठी ने बताया कि मुनिश्री को देखने पांच जैन संत दिल्ली में पहुंच रहे हैं। इनमें सौभाग्य सागर महाराज शामिल हैं। मुनिश्री की तबीयत खराब होने के संबंध में उनके गुरु पुष्पदंत सागर महाराज ने वीडियो मैसेज जारी किया था। इसमें उन्होंने महाराज का समाधि महोत्सव मनाने की अपील की थी।

आपको बता दें कि गुरुवार शाम कुछ अन्य जैन संत भी उनसे मुलाकात करने पहुंचे थे। 20 दिन पहले मुनिश्री को पीलिया हुआ था लेकिन औषधियां देने के बाद भी उनकी सेहत में सुधार नहीं हो रहा था। उन्होंने इलाज भी बंद करा दिया था और चातुर्मास स्थल पर जाने का निर्णय लिया था।

आपको बता दें कि जैन मुनि तरुण सागर अपने कड़वे प्रवचनों को लेकर अक्सर चर्चा में रहते थे। जैन मुनि (Jain Muni Tarun Sagar) का जन्‍म मध्य प्रदेश के दमोह में 26 जून, 1967 को हुआ था। पिता का नाम प्रताप चंद्र और मां का नाम शांतिबाई था। जैन मुनि तरुण सागर ने आठ मार्च, 1981 को घर छोड़ दिया और छत्तीसगढ़ में दीक्षा ली थी। गौरतलब है कि संगीतकार विशाल डडलानी ने कुछ दिनों पहले जैन मुनि के हरियाणा विधानसभा में एक कार्यक्रम पर अपना गुस्सा जाहिर किया था और जैन मुनि पर अभद्र टिप्पणी की थी। बाद में विशाल डडलानी ने चंडीगढ़ पहुंचकर जैन मुनि तरुण सागर से मुलाकात की और माफी मांग ली थी।

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