15000 करोड़ के हथियार निर्माण प्रोजेक्ट को सेना ने दी मंजूरी, अब नहीं होगी गोला-बारूद की किल्लत
By: Priyanka Maheshwari Mon, 14 May 2018 08:01:10
सालों के विचार-विमर्श के बाद आखिरकार थल सेना ने रविवार को अपने हथियारों और टैंकों के गोला-बारूद का घरेलू स्तर पर उत्पादन करने के लिए 15,000 करोड़ रुपये की एक बड़ी परियोजना को आखिरकार अंतिम रूप दे दिया है। इस प्रोजेक्ट के तहत देश में ही महत्वपूर्ण तकनीक वाले हथियार और टैंक बनाए जाएंगे। इस प्रोजेक्ट का सबसे बड़ा मकसद यह है कि हथियारों के आयात या विदेशों पर निर्भरता को खत्म किया जा सके। इस प्रोजेक्ट से 30 दिन तक लगातार चलने वाले युद्ध में भी हथियारों का जखीरा कम नहीं पड़ेगा।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, सेना के इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में 11 निजी कंपनियों को शामिल किया जाएगा। इसकी निगरानी रक्षा मंत्रालय और सेना के शीर्ष अधिकारी करेंगे। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 15 हजार करोड़ रुपये है। इस प्रोजेक्ट को 10 साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। हालांकि उन्होंने प्रोजेक्ट के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी।
सूत्रों के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट के तहत रॉकेट्स और ग्रेनेड लॉन्चर, एयर डिफेंस सिस्टम, आर्टिलरी गन और इंफैंट्री जंग वाहन बनाए जाने हैं। प्रोजेक्ट के पहले चरण के बाद निर्माण लक्ष्य की समीक्षा की जाएगी।
दरअसल, महत्वपूर्ण गोला-बारूद का भंडार तेजी से घटने को लेकर रक्षा बल पिछले कई बरसों से चिंता जता रहे थे। सरकार का यह कदम इस समस्या का हल करने की दिशा में पहले गंभीर प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। इसके साथ ही, चीन के तेजी से अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाने के मुद्दे पर भी विभिन्न सरकारों ने चर्चा की थी।
जुलाई 2017 में कैग ने अपनी रिपोर्ट में चेताया था कि सेना के पास बेहद कम गोला-बारूद बचा है। अगर सेना को जंग करनी पड़ जाए तो इस्तेमाल किए जाने वाले असलहों (हथियार और दूसरे सामान) में से 40 फीसदी तो 10 दिन भी नहीं चल पाएंगे। 70 फीसदी टैंक और तोपों के 44 फीसदी गोलों का भंडार भी 10 दिन ही चल पाएगा। नियमानुसार जंग के लिए तैयार रहने की खातिर सेना के पास 40 दिन तक का गोला-बारूद का भंडार होना चाहिए।