दुनिया के सामने बड़ी चिंता, धरती सुरक्षा कवच के हो सकते हैं दो टुकड़े, बढ़ रही दरार

By: Ankur Wed, 19 Aug 2020 1:29:55

दुनिया के सामने बड़ी चिंता, धरती सुरक्षा कवच के हो सकते हैं दो टुकड़े, बढ़ रही दरार

हमारी धरती पर सुरक्षा का एक आवरण हैं जो कि सूर्य की घातक किरणों से बचाने का काम करता हैं। लेकिन जब यह आवरण नहीं रहेगा तो इससे होने वाले विनाश की कल्पना तक नहीं की जा सकती हैं। ऐसे में दुनिया के सामने इस सुरक्षा आवरण को लेकर बड़ी चिंता आई हैं क्योंकि अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा पुष्टि की गई हैं कि सूर्य की घातक किरणों से बचाने वाले हमारी धरती के सुरक्षा कवच में दरार दिनोंदिन बढ़ रही है। नासा के मुताबिक, यह कवच लगातार कमजोर हो रहा है। अगर हम वक्त रहते नहीं चेते तो वह दिन दूर नहीं, जब इस दरार के चलते धरती का सुरक्षा कवच (चुंबकीय क्षेत्र) दो टुकड़ों में टूट सकता है। यह कवच दक्षिण अमेरिका और दक्षिणी अटलांटिक समुद्र के बीच में कमजोर हो रहा है। खगोलविदों ने कवच में दरार बनने की इस प्रक्रिया को दक्षिण अटलांटिक विसंगति का नाम दिया है।

खगोलविदों के मुताबिक, यह दरार हर सेकंड बढ़ती जा रही है और यह दो टुकड़ों में बंट सकती है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह दरार धरती के भीतर बन रही है, मगर इसका असर धरती की सतह पर हो रहा है। इसके चलते धरती के वातावरण में कमजोर चुंबकीय क्षेत्र बन रहा है जो सूरज से निकलने वाले घातक विकिरणों को धरती की सतह जाने से रोक पाने में सक्षम नहीं हो पा रहा है।

200 बरसों में बनी दरार

वैज्ञानिकों के मुताबिक, चुंबकीय क्षेत्र के चलते कवच में दरार तो बन ही रही है। धरती के उत्तरी हिस्से से यह कमजोर चुंबकीय क्षेत्र पूरे आर्कटिक की ओर फैल गया है। मई में यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने रिपोर्ट दी थी कि बीते 200 बरसों में चुंबकीय क्षेत्र ने औसतन अपनी 9 फीसदी क्षमता गंवा दी थी। 1970 से ही कवच में क्षति की प्रक्रिया में तेजी आई और यह 8 फीसदी कमजोर हुआ है। हालांकि, कवच के दो टुकड़ों में बंटने को साबित नहीं किया जा सकता है।

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सैटेलाइट मिशनों के घर पर खतरा, प्रोटॉन कणों की बौछार से खराब होने की आशंका

वैज्ञानिकों के मुताबिक धरती के भीतर पैदा हो रही इस गड़बड़ी का असर धरती की सतह तक हो रहा है। खासकर धरती के नजदीकी वातावरण पर इसका गहरा कुप्रभाव पड़ेगा, जो सैटेलाइट मिशनों के लिए घर है। बताया जा रहा है कि अगर ऐसा हुआ तो दुनिया भर के सैटेलाइट मिशनों को एक और बड़ी चुनौती का सामना करना होगा।

दरअसल, जब भी कोई सैटेलाइट इन प्रभावित इलाकों से होकर गुजरेगा तो उसे सूरज से निकलने वाली उच्च ऊर्जा वाले प्रोटॉन कणों की बौछार का सामना करना पड़ सकता है। वह भी उस वक्त, जब उस इलाके का चुंबकीय क्षेत्र अपनी ताकत का पूरा इस्तेमाल नहीं कर पाता है। ऐसे में सैटेलाइट के कंप्यूटर खराब हो सकते हैं या फिर पूरी तरह से खराब हो सकते हैं।

खास जुगाड़ से सैटेलाइट को बचाएंगी अंतरिक्ष एजेंसियां

नासा के मुताबिक, अपने सैटेलाइट को बचाने के लिए ज्यादातर अंतरिक्ष एजेंसियां खास जुगाड़ का इस्तेमाल कर रही हैं। जब कमजोर चुंबकीय क्षेत्र वाले इलाकों से सैटेलाइट गुजरते हैं तो वे अपने सैटेलाइट की पावर को कम कर देते हैं। ऐसा करके सूरज की खतरनाक विकिरणों से वे अपने सैटेलाइट को खराब होने से बचा सकते हैं।

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