GST काउंसिल की अहम बैठक आज, होटल इंडस्ट्री को मिल सकती है राहत, सुस्त पड़े ऑटो सेक्टर को लगेगा और झटका
By: Pinki Fri, 20 Sept 2019 08:32:43
गोवा में वस्तु एवं सेवा कर (GST) काउंसिल की 37वीं बैठक आज होने जा रही है। इस बैठक से सुस्त पड़े ऑटो सेक्टर उम्मीद लगाए बैठा है कि जीएसटी काउंसिल टैक्स में कटौती कर सकती है। हालांकि बिहार के वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी इशारा कर चुके हैं कि काउंसिल का ऐसा कोई इरादा नहीं है। बुधवार को रांची में 'हिन्दुस्तान पूर्वोदय सम्मेलन' में सुशील मोदी ने कहा था, 'एक दर्जन राज्यों के वित्त मंत्रियों से बात हुई है। आम सहमति ये है कि ऑटो सेक्टर में किसी प्रकार की रियायत नहीं दी जाएगी। 50 से 60 हज़ार करोड़ राजस्व का नुकसान है। इसकी भरपाई कौन करेगा?' जीएसटी काउंसिल की फिटमेंट कमेटी का मानना है कि ऑटो सेक्टर में रेट कटौती से GST कलेक्शन पर असर पड़ेगा। क्योंकि इस सेक्टर से सालाना 50 से 60 हजार करोड़ रुपये का जीएसटी कलेक्शन होता है।
इस जीएसटी काउंसिल की बैठक में ऑटोमोबाइल, बिस्किट, माचिस, आउटडोर कैटरिंग सेगमेंट के GST रेट में बदलाव की बात एजेंडे में रखी गई है। लेकिन कहा जा रहा है कि केवल होटल इंडस्ट्री को इस बैठक में राहत मिल सकती है। जबकि ऑटो इंडस्ट्री कारों पर लगने वाले 28 फीसदी जीएसटी को घटाकर 18 फीसदी करने की मांग कर रही है, इंडस्ट्री की इस मांग पर कई राज्य सरकारें ही सहमत नहीं दिख रही हैं। इसके अलावा तरह माचिस उद्योग को भी दो तरह की जीएसटी दरों से मुश्किलें हो रही हैं और काउंसिल राहत की उम्मीद है।
जीएसटी परिषद की समायोजन समिति राजस्व की कड़ी स्थिति का हवाला देते हुए बिस्कुट से लेकर कार उद्योग की जीएसटी में कटौती की मांग खारिज कर दी है।
होटल इंडस्ट्री को मिल सकती है राहत
हालांकि, टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए पीएम मोदी के आह्वान को देखते हुए होटल इंडस्ट्री को जीएसटी में राहत मिल सकती है। दरहसल, अभी 7500 रुपये प्रति नाइट स्टे से ज्यादा चार्ज करने वाले लग्जरी होटल पर 28 फीसदी का जीएसटी लगता है। वही अब उम्मीद है कि आज की बैठक में इसको घटाकर 18 फीसदी किया जा सकता है। इसी तरह आउटडोर कैटरर्स पर अभी 18 फीसदी टैक्स लगता है जिसको घटाकर 5 फीसदी लाने की मांग है।
उम्मीद से कम रहा GST कलेक्शन
फिटमेंट समिति के मुताबिक अगस्त, 2019 में ग्रॉस जीएसटी कलेक्शन 98,202 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल इसी महीने में 93,960 करोड़ की तुलना में 4.51 प्रतिशत अधिक था। यह जीएसटी संग्रह स्तर हालांकि साल-दर-साल आधार पर अधिक था, फिर भी सरकार की उम्मीद के मुताबिक एक लाख करोड़ रुपये से कम था।