कर्नाटक में तीसरी बार येदियुरप्पा सरकार, बहुमत साबित करने के हैं ये तीन फोर्मुले
By: Priyanka Maheshwari Thu, 17 May 2018 12:24:00
कर्नाटक के राज्यपाल वजूभाई वाला ने भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री के पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। येदियुरप्पा तीसरी बार मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल रहे हैं। वे कर्नाटक के 25वें मुख्यमंत्री बन गए हैं। येदियुरप्पा सरकार को 15 दिनों के अंदर विधानसभा में विश्वास मत हासिल करना होगा। आज सिर्फ येदियुरप्पा ने ही शपथ ली है। हलाकि अभी बीजेपी के पास बहुमत साबित करने के लिए विधायकों की पर्याप्त संख्या नहीं है, लेकिन आंकड़ों को पक्ष में करने के लिए खास योजना है। बीजेपी को विपक्षी दलों के उन लिंगायत विधायकों से उम्मीद है जो कांग्रेस-जेडीएस के पोस्ट पोल गठबंधन से नाराज बताए जा रहे हैं क्योंकि इसका मुखिया वोकलिंगा समुदाय के कुमारस्वामी को बनाया गया है ।
येदियुरप्पा के पास कर्नाटक में बहुमत साबित करने के हैं ये तीन फोर्मुले
पहला फॉर्मूला 'ऑपरेशन कमल'
- अब येदियुरप्पा को विधानसभा में बहुमत साबित करना होगा। हालांकि येदियुरप्पा ने 2008 के विधानसभा चुनाव के बाद कुछ ऐसी ही विपरीत परिस्थियों में बहुमत साबित कर दिखाया था।
- कर्नाटक में 2008 के विधानसभा चुनावों के बाद जब जनता ने एक बंटा हुआ जनादेश दिया था तब बीजेपी ने 'ऑपरेशन कमल' के जरिये विधानसभा में बहुमत साबित किया था।
- वह फिर से वही फॉर्मूला दोहरा सकती है। 'ऑपरेशन कमल' बीजेपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा की एक कुख्यात रणनीति थी।
- 'ऑपरेशन कमल' के तहत येदियुरप्पा ने विपक्षी पार्टी के विधायकों को पैसे और ताकत के बल पर खरीद लिया था।
- बीजेपी ने जेडी(एस) और कांग्रेस के 20 विधायकों को तोड़ लिया था, जिसके बाद उन्होंने अपनी विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था और फिर 2008 और 2013 के बीच उपचुनाव में दोबारा चुनाव लड़ा।
2018 की विधानसभा में बीजेपी को सिर्फ 104 सीटें मिली हैं। बीजेपी को तकनीकी रूप से यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि कम से कम 5-6 विधायक इस्तीफा दे दें, जिससे बहुमत का जादुई आंकड़ा 106-108 हो जाए और यह सुनिश्चित कर दे कि बीजेपी उम्मीदवार उपचुनाव जीत जाएं।
दूसरा फॉर्मूला
- बीजेपी एक अन्य रणनीति भी अपना सकती है। जिसके तहत वह कांग्रेस और जेडी(एस) के कुछ विधायकों को सदन में गैर-मौजूद रहने को कहें। इस रणनीति की अभी ज्यादा संभावना नजर आ रही है। हालांकि यह आसान नहीं होगा क्योंकि कांग्रेस और जेडी(एस) अपने सदस्यों को व्हिप जारी कर सकती है। इससे एक संवैधानिक संकट पैदा हो सकता है और यह फिर ये मुद्दा अदालत जाएगा, जिससे बीजेपी को नई रणनीति तैयार करने के लिए कुछ राहत और समय मिल जाएगा।
तीसरा फॉर्मूला - 12 लिंगायत विधायक जा सकते हैं येदियुरप्पा के साथ
- बताया जा रहा है कांग्रेस और जेडीएस के करीब दर्जन भर लिंगायत विधायक अपने समुदाय से आने वाले सबसे बड़े नेता येदियुरप्पा के नाम के पीछे जा सकते हैं। कांग्रेस की तरफ से अल्पसंख्यक समुदाय का कार्ड चलने के बावजूद लिंगायत समुदाय ने चुनावों में बड़े पैमाने पर बीजेपी का साथ दिया। कर्नाटक में वोकलिंगा और लिंगायत समुदाय के तबसे अदावत चली आ रही है जब 2007 में बीजेपी के साथ कार्यकाल बंटवारे के गठबंधन के बावजूद सीएम की कुर्सी छोड़ने से इनकार कर दिया था।
निर्णायक सीट
राजराजेश्वरी (आरआर) नगर में 28 मई को मतदान की तारीख तय की गई है। जबकि जयनगर में चुनाव स्थगित कर दिए गए हैं। बीजेपी इन दोनों सीटों पर बहुत ज्यादा उम्मीदें होंगी ताकि विधानसभा में उनकी संख्या बढ़ जाए।
वही येदियुरप्पा के स्वागत के लिए राजभवन के बाहर भव्य तैयारियां की गई थी। ढोल-नगाड़ों से पूरा माहौल संगीतमय हो गया था। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले येदियुरप्पा ने मंदिर में पूजा-अर्चना की। भाजपा कार्यकर्ताओं ने राजभवन के बाहर वंदे मातरम और मोदी-मोदी के नारे लगाए।