जाने क्या है BJP-Facebook विवाद जिसपर गर्मा गई है देश की सियासत

By: Pinki Mon, 17 Aug 2020 1:30:36

जाने क्या है BJP-Facebook विवाद जिसपर गर्मा गई है देश की सियासत

अमेरिकी अख़बार वॉल स्ट्रीट जर्नल के ख़ुलासे के बाद भारतीय राजनीतिक गलियारे और सोशल मीडिया की दुनिया में जंग छिड़ गई है। कांग्रेस ने वॉल स्ट्रीट जर्नल की ख़बर को लेकर संयुक्त संसदीय समिति (Joint Parliamentary Committee-JPC) जांच की मांग की है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने वॉल स्ट्रीट जर्नल के ख़ुलासे के बाद दावा किया है कि भारत में फेसबुक-वॉट्सएप पर बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का कब्ज़ा है। वे इसके जरिये नफरत फैलाते हैं। वहीं बीजेपी नेता एवं संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पलटवार किया। विवाद इतना बढ़ गया कि फेसबुक को सफाई देनी पड़ी। फेसबुक और वॉट्सएप अमेरिका की कंपनी है।

कांग्रेस-बीजेपी में वॉर

अमेरिकी अखबार की रिपोर्ट के बाद भारत में राजनीति गर्मा गई। सोशल मीडिया के मंचों पर बहस छिड़ गई। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन मुताबिक़, जेपीसी इस बात की जांच करे कि किस प्रकार से फेसबुक और वॉट्सएप चुनाव में बीजेपी की मदद करने के लिए और घृणा का माहौल पैदा करने के लिए काम कर रही हैं। इसके साथ इस बात की भी जांच हो कि फेसबुक और वॉट्सएप के बड़े पदों पर बैठे कितने कर्मचारी हैं, जिनके पुराने संबंध बीजेपी और उनके नेताओं से हैं। वॉल स्ट्रीट जर्नल के हवाले से कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि भारत में फेसबुक की प्रमुख आंखी दास ने बीजेपी नेताओं के नफरत फैलाने वाले भाषण और पोस्ट पर कार्रवाई में रुकावट डाली। कांग्रेस ने कहा कि आंखी दास ने दलील दी कि बीजेपी नेताओं पर कार्रवाई करने से फेसबुक के व्यापारिक हित प्रभावित होंगे।

कांग्रेस ने यह भी दावा किया कि आंखी दास की नज़दीकी रिश्तेदार रश्मि दास जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में एबीवीपी की अध्यक्ष रह चुकी हैं। कांग्रेस ने ये आरोप भी लगाया कि वॉट्ससएप के एक बड़े अधिकारी शिवनाथ ठुकराल बीजेपी के लिए चुनाव प्रचार कर चुके हैं। अजय माकन ने कहा कि दुनिया भर में फेसबुक का इस्तेमाल करने वाले सबसे ज्यादा लोग भारत मे रहते हैं, जिनकी संख्या 28 करोड़ है। कांग्रेस सोशल मीडिया विभाग के प्रमुख रोहन गुप्ता और डाटा विभाग के प्रमुख प्रवीण चक्रवर्ती ने दावा किया कि इस तरह के मामले को उन्होंने व्यक्तिगत मुलाकात और ई-मेल के जरिए फेसबुक के सामने उठाने की कोशिश की गई लेकिन फेसबुक द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया। प्रवीण चक्रवर्ती ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले फेसबुक ने कांग्रेस को राफेल पर विज्ञापन जारी करने की अनुमति नहीं दी।

कांग्रेस के आरोपों के बाद केन्द्रीय मंत्री और बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'जो लूजर स्वयं अपनी पार्टी में भी लोगों को प्रभावित नहीं कर सकते वे इस बात का हवाला देते रहते हैं कि पूरी दुनिया को बीजेपी-आरएसएस नियंत्रित करती है।' राहुल गांधी को निशाने पर लेते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा कि वो कहते रहते हैं कि पूरी दुनिया बीजेपी, आरएसएस से नियंत्रित है। चुनाव से पहले डेटा को हथियार बनाते हुए आप रंगे हाथ पकड़े गए थे। कैंब्रिज एनालिटिका, फेसबुक से आपका गठजोड़ पकड़ा गया। ऐसे लोग आज बेशर्मी से सवाल खड़े करते हैं।

रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'तथ्य यह है कि आज सूचना और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। यह अब आपके परिवार द्वारा नियंत्रित नहीं किया जाता है और इसीलिए आपको दुख होता है। खैर आपने बेंगलुरु हिंसा की निंदा नहीं की। आपकी हिम्मत कहां चली गई।'

कांग्रेस का पलटवार

रविशंकर प्रसाद के ट्वीट पर कांग्रेस ने पलटवार किया। कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, 'ऐसा लगता है कि झूठे ट्वीट और झूठा एजेंडा ही एकमात्र रास्ता बन गया है। कांग्रेस ने कभी कैम्ब्रिज एनेलिटिका की सेवाएं नहीं लीं।' सुरजेवाला ने दावा किया कि बीजेपी कैम्ब्रिज एनेलिटिका की क्लाइंट रही है। कानून मंत्री यह क्यों नहीं बताते।

भारत में सिर्फ कांग्रेस-बीजेपी में सियासी वॉर ही नहीं जारी है बल्कि राजनीतिक दलों के नेताओं ने फेसबुक की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े कर दिए। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने अपने ट्वीट में कहा, 'मार्क जकरबर्ग कृपया इस पर बात करें। प्रधानमंत्री मोदी के समर्थक अंखी दास को फेसबुक में नियुक्त किया गया जो खुशी-खुशी मुस्लिम विरोधी पोस्ट को सोशल मीडिया पर अप्रूव करता है। आपने साबित कर दिया कि आप जो उपदेश देते हैं उसका पालन नहीं करते।'

वहीं एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने फेसबुक पर सवाल उठाए। उन्होंने ट्वीट किया। 'अलग-अलग लोकतंत्र में फेसबुक के अलग-अलग मानक क्यों हैं? यह किस तरह का निष्पक्ष मंच है? यह रिपोर्ट बीजेपी के लिए नुकसानदेह है- बीजेपी के फेसबुक के साथ संबंधों का खुलासा हो गया है और फेसबुक कर्मचारी पर बीजेपी के नियंत्रण की भी प्रकृति सामने आई है।'

फेसबुक की सफाई

भारत में उठ रहे सवालों के बीच फेसबुक ने रविवार को कहा, 'हम हेट स्पीच और ऐसी सामग्री पर बंदिश लगाते हैं जो हिंसा को भड़काता है। हम ये नीति वैश्विक स्तर पर लागू करते हैं। हम किसी की राजनीतिक स्थिति या जिस भी पार्टी से नेता संबंध रख रहा, नहीं देखते हैं।'

फेसबुक के प्रवक्ता ने आगे कहा, 'हम जानते हैं कि इस क्षेत्र में (हेट स्पीच और भड़काऊ कंटेंट को रोकने) और ज्यादा काम करने की जरूरत है। हम आगे बढ़ रहे हैं। निष्पक्षता और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए हम अपनी प्रक्रिया का नियमित ऑडिट करते हैं।'

वहीं, सोमवार को फेसबुक के प्रवक्ता ने कहा कि पूरे विश्व में हमारी नीतियां एक जैसी हैं। हम किसी की भी राजनीतिक हैसियत/पार्टी की संबद्धता के बिना हम घृणा फैलाने वाले भाषण और कंटेंट को बैन करते हैं। हम निष्पक्षता और सटीकता के लिए लगातार काम कर रहे हैं। इसके लिए नियमित ऑडिट करते हैं। फेसबुक प्रवक्ता ने कहा, 'हम हिंसा को उकसाने वाली हेट स्पीच और कंटेंट को प्रतिबंधित करते हैं। हम यह देखे बिना इन नीतियों को दुनियाभर में लागू करते हैं कि किसी की क्या राजनीतिक हैसियत है या वो किस दल से जुड़ा है। हम निष्पक्षता और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए नियमों को और धारदार बना रहे हैं।'

रिपोर्ट में क्या है, जिससे हुआ विवाद

अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जनरल में 'फेसबुक हेट-स्पीच रूल्स कोलाइड विद इंडियन पॉलिटिक्स' हेडिंग से प्रकाशित रिपोर्ट से पूरा विवाद खड़ा हुआ है। रिपोर्ट में दावा किया गया कि फेसबुक भारत में सत्तारूढ़ बीजेपी नेताओं के भड़काऊ भाषा के मामले में नियम कायदों में ढील बरतता है। फेसबुक कर्मचारियों का कहना था कि भारत में ऐसे कई लोग हैं जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर नफरत फैलाते हैं। कर्मचारियों का कहना है कि वर्चुअल दुनिया में नफरत वाली पोस्ट करने से असली दुनिया में हिंसा और तनाव बढ़ता है।

इसमें तेलंगाना से बीजेपी सांसद टी राजा सिंह की एक पोस्‍ट का जिक्र है। पोस्ट में मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा की वकालत की गई है। रिपोर्ट को फेसबुक के कर्मचारियों से बातचीत के हवाले से लिखी गई है। फेसबुक कर्मचारियों का कहना है कि उन्होंने टी राजा सिंह की पोस्‍ट का विरोध किया था और इसे कंपनी के नियमों के खिलाफ माना था, लेकिन कंपनी के भारत में टॉप लेवल पर बैठे अधिकारियों ने इस पर कोई एक्शन नहीं लिया था।

बता दें कि यह पहला मामला नहीं है जब फेसबुक को लेकर सवाल खड़े हुए हैं। अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने उन पांच बातों के उल्लेख के साथ एक रिपोर्ट में बताया कि फेसबुक के नेटवर्क और डेटा का इस्तेमाल डोनाल्ड ट्रंप के चुनावी मुहिम को बढ़ावा देने के लिए किया गया था।

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