24 घंटे में दूसरी बार दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटके, तीव्रता 3.7 मापी गई

By: Priyanka Maheshwari Mon, 10 Sept 2018 09:04:00

24 घंटे में दूसरी बार दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटके, तीव्रता 3.7 मापी गई

रविवार के बाद एक बार फिर सोमवार सुबह दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। भूकंप के झटके सुबह 6 बजकर 28 मिनट पर पश्चिम उत्तर प्रदेश में आने वाले मेरठ के खरखौदा में महसूस किए गए। अमेरिका के जियोलॉजिकल सर्वे ने भी इसकी पुष्टि की। भूकंप की तीव्रता 3.7 मापी गई है। एनसीआर में पिछले 24 घंटे में दूसरी बार भूकंप के झटके आए हैं। हालांकि कहीं से जान-माल के नुकसान की खबर नहीं है। इससे पहले रविवार( नौ सितंबर) को शाम चार बजकर 37 मिनट पर हरियाणा के झज्जर जिले में झटके महसूस किए गए थे, जिसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 3.8 आंकी गई थी। दिल्ली भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील माना जाता है। कई बार एनसीआर में झटके लग चुके हैं, मगर भूकंप से बचाव के लिए सरकारी स्तर से न जनजागरूकता अभियान धरातल पर दिख रहे हैं और न आपदा प्रबंधन से अन्य जानकारियां।

भूकंप आए तो बरतें सावधानी

- भूकंप आने के बाद बरती गईं सावधानियां आपकी जान बचा सकतीं हैं। यदि आप घर से बाहर हैं तो ऊंची इमारतों, बिजली के खंभों आदि से दूर रहें। जब तक झटके खत्म न हों, बाहर ही रहें।
- चलती गाड़ी में होने पर जल्द गाड़ी रोक लें और गाड़ी में ही बैठे रहें। ऐसे पुल या सड़क पर जाने से बचें, जिन्हें भूकंप से नुकसान पहुंचा हो।
- भूकंप आने के वक्त यदि आप घर में हैं तो फर्श पर बैठ जाएं। मज़बूत टेबल या किसी फर्नीचर के नीचे पनाह लें। टेबल न होने पर हाथ से चेहरे और सिर को ढक लें। घर के किसी कोने में चले जाएं और कांच, खिड़कियों, दरवाज़ों और दीवारों से दूर रहें। बिस्तर पर हैं तो लेटे रहें, तकिये से सिर ढक लें। आसपास भारी फर्नीचर हो तो उससे दूर रहें।
- लिफ्ट का इस्तेमाल करने से बचें, पेंडुलम की तरह हिलकर दीवार से टकरा सकती है लिफ्ट और बिजली जाने से भी रुक सकती है लिफ्ट।
- कमज़ोर सीढ़ियों का इस्तेमाल न करें, आमतौर पर इमारतों में बनी सीढ़ियां मज़बूत नहीं होतीं। झटके आने तक घर के अंदर ही रहें और झटके रुकने के बाद ही बाहर निकलें।
- अगर आप भूकंप के दौरान मलबे के नीचे दब जाएं तो माचिस हरगिज़ न जलाएं क्‍योंकि इस दौरान गैस लीक होने का खतरा हो सकता है। हिलें नहीं, और धूल न उड़ाएं। किसी रूमाल या कपड़े से चेहरा ज़रूर ढक लें। किसी पाइप या दीवार को ठकठकाते रहें, ताकि बचाव दल आपको तलाश सके। यदि कोई सीटी उपलब्ध हो तो बजाते रहें। यदि कोई और जरिया न हो, तो चिल्लाते रहें, हालांकि चिल्लाने से धूल मुंह के भीतर जाने का खतरा रहता है, सो, सावधान रहें।

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