बंगाल में डॉक्टर्स की हड़ताल, अबतक 150 से अधिक डॉक्टरों ने दिया इस्तीफा, मरीजों की हालत खराब

By: Pinki Fri, 14 June 2019 5:42:22

बंगाल में डॉक्टर्स की हड़ताल, अबतक 150 से अधिक डॉक्टरों ने दिया इस्तीफा, मरीजों की हालत खराब

पिछले चार दिनों से पश्चिम बंगाल में चल रही जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल को आज पूरे देशभर के डॉक्टर्स का साथ मिला है। यहां एक जूनियर डॉक्टर के साथ हुई मारपीट की घटना से मेडिकल एसोसिएशन में गुस्सा है, डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं तो वहीं राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी डॉक्टरों पर ही हमलावर हैं। ममता सरकार से खफा डॉक्टरों ने इस्तीफों की झड़ी लगा दी है अभी तक राज्य में 150 से अधिक डॉक्टर अपना पद छोड़ चुके हैं। अभी तक दार्जिलिंग में 27, उत्तर 24 परगना में 18 और NRS कॉलेज में 100 से अधिक डॉक्टर इस्तीफा दे चुके हैं तो वहीं कोलकाता में 80 से अधिक डॉक्टरों ने इस्तीफे की धमकी दी है।

दूसरी तरफ डाक्टर्स के प्रदर्शन और हड़ताल के कारण दिल्ली के एम्स, सफदरजंग समेत देश के कई हिस्सों में अस्पतालों में मरीज परेशान दिखे। AIIMS के रेजिडेंट डॉक्टर्स ने एक दिन का सांकेतिक हड़ताल का ऐलान किया। इसी वजह से आज रेजिडेंट डॉक्टरों ने ओपीडी और रूटीन सेवा ठप कर दी। इसके अलावा सर पर पटी बांध कर AIIMS अस्पताल में विरोध प्रदर्शन किया।

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इस बीच कलकत्ता हाई कोर्ट ने डॉक्टरों की हड़ताल से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए बंगाल सरकार को सात दिन का समय दिया है। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि गतिरोध खत्म करने के लिए क्या कदम उठाए गए। कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य को इस पर विराम लगाना होगा और इसका हल ढूंढना होगा।

पश्चिम बंगाल में डॉक्टर्स की हड़ताल के समर्थन में भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने आज ‘अखिल भारतीय विरोध दिवस’ घोषित किया है। इसका असर देशभर में देखा गया। दिल्ली में डॉक्टर्स ने कहीं हेलमेट पहनकर तो कहीं काली पट्टी बांधकर मरीजों के इलाज किए। कुछ डॉक्टर्स ने एक जगह इकट्ठे होकर नारेबाजी की। बिहार की राजधानी पटना और कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में डॉक्टर्स का समूह सड़कों पर उतरा और इंसाफ की मांग की।

केरल के तिरुवनंतपुरम में 'डॉक्टर के खिलाफ हिंसा बंद हो' की तख्ती लिए डॉक्टर्स ने प्रदर्शन किए। जयपुर में जयपुरिया अस्पताल में डॉक्टर्स ने बांह में काली पट्टी लगाकर मरीजों के इलाज किए। छत्तीसगढ़ के रायपुर में भी इसी तरह का नजारा दिखा। नागपुर में भी जूनियर डॉक्टर्स सड़कों पर दिखे और व्हील चेयर पर बैठकर खुद को असहाय दिखाया। इन डॉक्टर्स ने सिर पर घाव की पट्टी भी बांधी।

प्रदर्शन के बीच हर्षवर्धन से मुलाकात

दिल्ली में स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने जूनियर डॉक्टर्स के एसोसिएशन के प्रतिधिमंडल से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि मैं डॉक्टर्स से अपील करता हूं कि वे सांकेतिक प्रदर्शन करें और काम करते रहें। साथ ही हर्षवर्धन ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से कहा कि वे हड़ताल के मुद्दे को प्रतिष्ठा का मुद्दा नहीं बनाएं। उन्होंने डॉक्टर्स को अल्टीमेटम दिया जिससे डॉक्टर्स में गुस्सा बढ़ा और वे हड़ताल पर गए।

राज्य सरकार करेगी बड़ी कार्रवाई!

पश्चिम बंगाल सरकार हड़ताली जूनियर डॉक्टरों पर कड़ी कार्रवाई करने की तैयारी में है। पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष निर्मल माजी ने गुरुवार को कहा कि हड़ताली डॉक्टर अगर काम पर नहीं लौटे तो उनका पंजीयन रद्द हो सकता है और उनका इंटर्नशिप पूरा होने का पत्र रोक दिया जाएगा।

उन्होंने विपक्षी दलों पर हड़ताली जूनियर डॉक्टरों को भड़काने का आरोप लगाया और कहा कि विपक्षी दल ममता बनर्जी सरकार की मुफ्त चिकित्सा सेवा योजना को बंद कराना चाहते हैं।

ममता पहुंची अस्पताल

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी गुरुवार को दोपहर में सरकारी एसएसकेएम अस्पताल पहुंची तो डॉक्टरों ने ‘हमें इंसाफ चाहिए’ के नारे लगाए। उन्होंने कहा, ‘‘मैं आंदोलन की निंदा करती हूं। कनिष्ठ चिकित्सकों का आंदोलन सीपीएम और बीजेपी का षड्यंत्र है।’’ बनर्जी के पास स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का भी प्रभार है।

उन्होंने चिकित्सकों को चार घंटे के भीतर काम पर लौटने को कहा था लेकिन बाद में समय-सीमा में संशोधन करके इसे अपराह्न दो बजे कर दिया। उन्होंने ऐसा नहीं करने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी और कहा कि उन्हें छात्रावास खाली करने होंगे। बनर्जी की समय सीमा के बावजूद डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल जारी रखी।

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डॉक्टरों को आई चोट दुर्भाग्यपूर्ण

ममता बनर्जी ने एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में दो जूनियर डॉक्टरों को आई चोटों को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। बनर्जी ने कहा कि इस बाबत पांच लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और इलाज में लापरवाही की शिकायत पर भी जांच के आदेश दे दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि कैंसर व गुर्दे के मरीज तथा दुर्घटना पीड़ित और दूर दराज से आए बच्चे इलाज नहीं मिलने की वजह से सबसे ज्यादा भुगत रहे हैं।

क्यों भड़का माहौल?

दरअसल, ये घटना 10 जून करीब साढ़े पांच बजे की है। जब नील रत्न सरकार (NRS) मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान एक 75 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई। गुस्साए परिजनों ने मौके पर मौजूद डॉक्टरों को गालियां दीं। इसके बाद डॉक्टरों ने कहा- जब तक परिजन हमसे माफी नहीं मांगते हम प्रमाण पत्र नहीं देंगे।

इस मामले में फिर हिंसा भड़क गई, कुछ देर बाद हथियारों के साथ भीड़ ने हॉस्टल में हमला कर दिया। इसमें दो जूनियर डॉक्टर गंभीर रूप से घायल हुए जबकि कई और को भी चोटें आईं। और उसके बाद जब ममता बनर्जी ने हड़ताल वाले डॉक्टरों की निंदा की तो मामला तूल पकड़ता गया। NRS कॉलेज के प्रिंसिपल और वाइस प्रिंसिपल अभी तक इस मामले में अपना इस्तीफा सौंप चुके हैं।

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