बाबा रामदेव की 'कोरोनिल' पर उठे सवाल, आयुर्वेद विभाग ने कहा - हमसे तो कफ और बुखार की दवा का लाइसेंस मांगा था

By: Pinki Wed, 24 June 2020 3:46:39

बाबा रामदेव की 'कोरोनिल' पर उठे सवाल, आयुर्वेद विभाग ने  कहा - हमसे तो कफ और बुखार की दवा का लाइसेंस मांगा था

बाबा रामदेव के कोरोना की दवा कोरोनिल लॉन्च होते ही विवादों में घिर गई है। उत्तराखंड की आयुर्वेद ड्रग्स लाइसेंस अथॉरिटी ने बाबा की दवा पर सवाल उठाया है। अथॉरिटी के उपनिदेशक यतेंद्र सिंह रावत ने बताया कि बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि को कोरोना की दवा के लिए नहीं बल्कि इम्युनिटी बूस्टर और खांसी-जुकाम की दवा के लिए लाइसेंस जारी किया गया था। रावत ने बताया कि उन्हें मीडिया के माध्यम से ही पता चला कि बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि द्वारा कोरोना की किसी दवा का दावा किया जा रहा है जबकि उन्हें इम्युनिटी बढ़ाने वाली और खांसी-जुकाम की दवा के लिए लाइसेंस जारी किया गया था। रावत ने कहा कि भारत सरकार का निर्देश है कि कोई भी कोरोना के नाम पर दवा बनाकर उसका प्रचार-प्रसार नहीं कर सकता। आयुष मंत्रालय से वैधता मिलने के बाद ही ऐसा करने की अनुमति होगी। उन्होंने कहा कि फिलहाल, विभाग की ओर से पतंजलि को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया गया है।

उत्तराखंड की आयुर्वेद ड्रग्स लाइसेंस अथॉरिटी ने दिव्य योग फॉर्मेसी को भेजे नोटिस में पूछा है कि आप कोरोना की जो दवा बनाने का दावा कर रही है उसका आधार क्या है? फार्मेसी ने कोरोना किट बनाने की परमिशन कहां से ली? दूसरा प्रचार-प्रसार के लिए फार्मेसी ने परमिशन क्यों नहीं ली? कहा गया है कि फार्मेसी ने ड्रग एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट-1940 की धारा-170 का उल्लंघन कर भ्रामक प्रचार किया है। नोटिस में कहा गया है कि कोई भी इस तरह का मैजिकल ट्रीटमेंट का दावा नहीं कर सकता फिर बाबा रामदेव किस आधार पर शत प्रतिशत ठीक होने का दावा कर रहे हैं? फार्मेसी ने इसमें भी ड्रग एंड मैजिक एक्ट-1954 का उल्लंघन किया है। आयुष विभाग के स्टेट ड्रग कंट्रोलर यतेंद्र सिंह रावत का कहना है कि यदि फार्मेसी ने नोटिस का संतोषजनक जवाब नहीं दिया तो विभाग द्वारा जो उसे लाइसेंस इम्यूनिटी बूस्टर दवाओं के लिए जारी किया गया है। उसे निरस्त भी किया जा सकता है।

बता दें कि मंगलवार शाम बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने देश के तमाम मीडिया संस्थानों के सामने एक बड़े कार्यक्रम में कोरोना की दवाई बनाने का दावा किया था, जिसमें रामदेव ने बताया कि उनकी दवाई की क्लीनिकल जांच की गई है। बाबा ने दावा किया था कि क्लिनिकल टेस्ट में दवा से 100 फीसदी सफल परिणाम सामने आया है। हालांकि, लॉन्च होने के बाद से ही पतंजलि की यह दवा कोरोनिल विवादों में है। यह भी हैरान करने वाली बात है कि कंपनी को सर्दी-जुकाम और खांसी की दवा बनाने का लाइसेंस मिला है और उसने इस लाइसेंस के जरिए बनी दवा को कोरोना के नाम पर लॉन्च कर दिया।

बाबा रामदेव के खिलाफ केस दर्ज कराएगी राजस्थान सरकार

उधर, राजस्थान सरकार ने भी बाबा रामदेव की कोरोना दवा को फ्रॉड करार दिया है। राजस्थान सरकार के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा का कहना है कि महामारी के समय बाबा रामदेव ने इस तरह से कोरोना की दवा बेचने की कोशिश की है, जो अच्छी बात नहीं है। स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि आयुष मंत्रालय के गजट नोटिफिकेशन के अनुसार बाबा रामदेव को ICMR और राजस्थान सरकार से किसी भी कोरोना की आयुर्वेद दवा की ट्रायल के लिए परमिशन लेनी चाहिए थी, मगर बिना परमिशन के और बिना किसी मापदंड के ट्रायल का दावा किया गया है, जो कि गलत है। रघु शर्मा ने कहा कि हम कानूनी कार्रवाई करेंगे और हमारे एक डॉक्टर ने मुकदमा दर्ज कराया है उस मुकदमे के तहत भी करवाई करवाएंगे। उधर नेम्स विश्वविद्यालय में गुना कैंट को लेकर जाने वाले जयपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी का कहना है कि मैं वहां पर इंचार्ज था और वहां पर किसी तरह की कोई दवा की ट्रायल के लिए हमसे इजाजत नहीं ली गई। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि हमने कोई ट्रायल होते हुए भी नहीं देखा है। वहां पर जितने मरीज हमने भर्ती कराए थे, वह बिना लक्षण वाले थे। किसी में बुखार, खांसी या गले की खराश नहीं था। ऐसे सभी मरीज 7 से 10 दिन में ठीक हुए हैं और दूसरी जगह पर ऐसे बिना लक्षण वाले मरीजों को रखा था, वहां भी इतने ही दिन में ठीक हुए हैं।

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