अंधेरे में भी दुश्मनों को मार गिराएगा ‘थर्मल इमेजिंग', 6,900 करोड़ रुपये से अधिक के रक्षा खरीद प्रस्तावों को मंजूरी

By: Priyanka Maheshwari Tue, 29 May 2018 08:22:01

अंधेरे में भी दुश्मनों को मार गिराएगा ‘थर्मल इमेजिंग', 6,900 करोड़ रुपये से अधिक के रक्षा खरीद प्रस्तावों को मंजूरी

रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में सोमवार को रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की बैठक हुई। जिसमे सेना के लिए रात में लंबी दूरी तक दुश्मन पर नजर रखकर उन पर सटीक निशाना लगाने में मदद करने वाले उपकरण ‘थर्मल इमेजिंग’ नाइट साइट उपकरण की खरीद के लिए मंजूरी दे दी गई। रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) ने 6,900 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के उपकरणों की खरीद को सोमवार को मंजूरी दी।

स्वदेशीकरण को भारी प्रोत्साहन देते हुए और भारत की बढ़ती तकनीकी शक्ति को स्वीकार करते हुए रॉकेट लांचर के लिए थर्मल इमेजिंग (टीआई) नाइटसाइट्स की खरीद ‘बाय (इंडियन) आईडीडीएण श्रेणी के अंतर्गत स्थापित भारतीय वेंडरों के माध्यम से की जाएगी। इसका इस्तेमाल सेना और वायुसेना द्वारा किया जाता है। 84एमएम रॉकेट लॉन्चर के लिए टीआइ साइट का इस्तेमाल टुकड़ियों द्वारा दुश्मन के सक्रिय और स्थिर लक्षों पर सटीक निशाना साधने और पूरी तरह अंधकार के दौरान दुश्मन के बंकरों का विध्वंश करने में किया जाता है।

यह साइट अपनी टुकड़ियों को शत्रुओं के टैंकों की खोज करने और पहचानने तथा रात के समय सैनिकों की गतिविधियों में सहायक होगा। यह छद्म रूप से छिपने और पनाह लेने में कमी लाएगा, क्योंकि रॉकेट लांचर के डिटैचमेंट शत्रु के छिपे हुए स्थान का पता लगाने में सक्षम होंगे।

आईआरएसटी खरीद के लिए स्वीकृति दी

डीएसी ने ‘मेक II’ उपश्रेणी के अंतर्गत एसयू-30 एमकेआई विमान के लिए लंबी दूरी की डुअल बैंड इंफ्रारेड इमेजिंग सर्च एंड ट्रैक सिस्टम (आईआरएसटी) के डिजाइन और विकास की भी स्वीकृति दी और बाद में ‘बाय (इंडियन) आईडीडीएण श्रेणी के अंतर्गत 100 आईआरएसटी खरीद के लिए स्वीकृति दी।

यह प्रणाली दिन और रात दोनों समय कार्य करेगी

यह प्रणाली दिन और रात दोनों समय कार्य करेगी और विमानों की क्षमता में वृद्धि करेगी। इन स्वीकृतियों के साथ अकेले पिछले आठ महीनों में डीएसी ने पूरे उत्साह के साथ सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण के काम को आगे बढ़ाया है और स्वदेशीकरण पर बल दिया है। लगभग 43,844 करोड़ रुपये मूल्य के उपकरण खरीद को मंजूरी दी गई है, जिसमें से 32,253 करोड़ रुपये के उपकरण भारत में बनाए जाएंगे।

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