लॉकडाउन / नालियों में बह रही है लाखों लीटर फ्रेश बियर

By: Pinki Wed, 22 Apr 2020 10:07:38

लॉकडाउन / नालियों में बह रही है लाखों लीटर फ्रेश बियर

कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए देश में 3 मई तक लॉकडाउन है। लॉकडाउन (Coronavirus Lockdown in India) की वजह से होटल-रेस्टोरेंट बार सभी बंद है जिसके वजह से बियर प्लांट्स को हजारों लीटर फ्रेश बियर नालियों में बहानी पड़ रही है। दिल्ली-एनसीआर की माइक्रोब्रुअरीज हजारों लीटर ताजा बियर को नालियों में बहाने के लिए मजबूर हैं। एनसीआर में अब तक करीब 1 लाख लीटर तक फ्रेश बियर गलियों में बहा दी गई है।

दरअसल, फ्रेश बियर प्लांट में पड़ी हुई थी और बोतलों में नहीं रखे गए थे। इसे खराब होने से बचाने में इसकी कीमत से कहीं ज्यादा लागत आ रही है, इसलिए बियर प्लांट ने इसे नालियों में बहाने का फैसला किया।

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लॉकडाउन में होम डिलिवरी की मांग

ब्रुअरी कंसल्टेंट ईशान ग्रोवर ने बताया कि बियर को फ्रेश रखने के लिए प्लांटों को उसे एक निश्चित तापमान पर रखना पड़ता है और हर रोज उसकी मॉनिटरिंग भी जरूरी होती है। सामान्य दिनों में इस तरह का स्टॉक जमा ही नहीं होता था। ग्रोवर ने बताया कि उन्हें उम्मीद थी कि राज्य सरकार फ्रेश बियर की ग्लास, जग या जार जैसी चीजों में पैकिंग के बाद होम डिलिवरी की इजाजत देंगी, जैसा विदेश में हो रहा है। उन्होंने कहा, 'हर कोई रेस्ट्रॉन्ट से होम डिलिवरी की बात कर रहा है लेकिन ब्रुअरी ओनर्स को बहुत ज्यादा नुकसान हो रहा है। यहां तक कि एक्साइज डिपार्टमेंट भी सिर्फ शराब की दुकानों को खोलने की बात कर रहा है जबकि उनके प्रॉडक्ट्स लंबे समय तक खराब नहीं होते।'

ब्रुअर्स का कहना है कि मुसीबत सिर्फ लॉकडाउन तक ही नहीं है। लॉकडाउन के बाद भी कस्टमर वायरस के डर और सोशल डिस्टेंसिंग की चिंताओं की वजह से पहले जैसे ही बियर की दुकानों पर लौटेंगे, इसकी संभावना कम है। उनका कहना है कि 4 हफ्ते पहले जब लॉकडाउन का ऐलान हुआ था तब ज्यादातर बियर प्लांट अपनी पूरी क्षमता पर भरे हुए थे। तब से ही वे अपने स्टॉक का रखरखाव कर रहे हैं। ब्रुअर्स को न सिर्फ प्रॉडक्शन कॉस्ट का नुकसान होने जा रहा है बल्कि लाइसेंस फी और ड्यूटी का भी नुकसान हुआ है, जिसका उन्होंने अडवांस में भुगतान कर दिया है।

स्ट्राइकर ऐंड सोइ 7 के ललित अहलावत ने अपने गुरुग्राम के साइबर-हब आउटलेट से 5,000 लीटर बियर नाली में बहाया। उन्होंने इसकी वजह बताई अतिरिक्त बिजली की जरूरत और मैनपावर कॉस्ट। अहलावत कहते हैं, 'हमें अपने बियर को बहाने या इसे मेंटेन रखने के लिए पैसे बहाने में से किसी एक का चुनाव करना था। लॉकडाउन के चौथे दिन ही हमने इन्हें बहा दिया।' इसी तरह प्रैंकस्टर के प्रमोटर को 3 हजार लीटर बियर फेंकनी पड़ी।

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लाइसेंस फी और ड्यूटी का भी नुकसान

नैशनल रेस्ट्रॉन्ट असोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) की गुरुग्राम यूनिट के हेड बंगा ने स्टेट एक्साइज डिपार्टमेंट को लिखा है कि अप्रैल में लाइसेंसों के रीन्यूअल की फी न ली जाए। उन्होंने बताया कि माइक्रोब्रुअरी लाइसेंस पर ही हर महीने लाखों का खर्च आता है। बंगा ने कहा, 'हमारा ऑपरेशन पूरी तरह बंद है लेकिन अगर लाइसेंस फी, ड्यूटीज और टैक्सेज को 6 महीने तक के लिए न लगाया जाए तो हम शायद अपने स्टाफ को सैलरी देने की स्थिति में होंगे।' उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के बाद भी वे राज्य सरकारों से सालाना पेमेंट लेने के बजाय तिमाही फीस लेने की गुजारिश करेंगे क्योंकि ज्यादातर आउटलेट्स को उबरने में लंबा वक्त लगेगा।

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