लॉकडाउन के बीच सुबह 4:30 बजे खुले भगवान बद्रीनाथ धाम के कपाट
By: Pinki Fri, 15 May 2020 08:57:28
उत्तराखंड में बद्रीनाथ धाम के कपाट एक लंबे शीतावकाश के बाद शुक्रवार तड़के 4:30 बजे खोल दिए गए। कपाट खोलने की विधियां रात 3 बजे से ही शुरू हो गई थीं। इससे पहले बद्रीनाथ मंदिर को फूलों से भव्य तरीके से सजाया गया। लॉकडाउन के चलते इस मौके पर बद्रीनाथ में कोई मौजूद नहीं है। रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी द्वारा विशेष पूजा-अर्चना की गई। इस दौरान गुरु शंकराचार्यजी की गद्दी, उद्धवजी, कुबेरजी की पूजा की गई। कपाट खुलने के बाद लक्ष्मी माता को परिसर स्थित मंदिर में स्थापित किया। भगवान बद्रीनाथ का तिल के तेल अभिषेक किया गया। बद्रीनाथ में आज होने वाला विष्णु सहस्त्रनाम पाठ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम की होगी। देश को कोरोना से मुक्ति की कामना की जाएगी।
मंदिर खुलने के बाद पहली पूजा सुबह 9 बजे से शुरू होगी। पूजा में देश के कल्याण आरोग्यता के लिए प्रार्थना की गई। ऑन लाइन बुक हो चुकी पूजाएं भक्तों के नाम से की जाएगी। प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, पर्यटन धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज ने श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने पर शुभकामनाएं दी हैं।
28 लोग ही थे उपस्थित
हर साल हजारों भक्तों के सामने यहां कपाट खोले जाते हैं, लेकिन इस साल लॉकडाउन की वजह से कपाट खुलते समय लगभग 28 लोग ही उपस्थित थे। कपाट खुलने के समय मुख्य पुजारी रावल, धर्माधिकारी भूवन चन्द्र उनियाल, राजगुरु शामिल थे। इस दौरान मास्क के साथ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया। इससे पूर्व पूरे मंदिर परिसर को सैनिटाइज किया गया। कोरोना महामारी के चलते इस बार जहां बद्रीनाथ जी के सिंह द्वार पर होने वाला संस्कृत विद्यालय के छात्रों का मंत्रोच्चार और स्वस्तिवाचन भी नहीं हुआ, वहीं भारतीय सेना गढ़वाल स्कॉउट के बैंड बाजों की मधुर ध्वनि और भक्तों के जय बद्रीनाथ विशाल के जयकारे भी पूरे बद्रीनाथ धाम से गायब रहे।
महामारी दूर करने के लिए विशेष पूजा
कपाट खुलने के बाद बद्रीनाथ के साथ ही भगवान धनवंतरि की भी विशेष पूजा की गई। धनवंतरि आयुर्वेद के देवता हैं। दुनियाभर से इस महामारी को खत्म करने के ये पूजा रावल नंबूदरी द्वारा की गई। बद्रीनाथ का तिल के तेल से अभिषेक होता है और ये तेल यहां टिहरी राज परिवार से आता है। टिहरी राज परिवार के आराध्य बद्रीनाथ हैं। रावल राज परिवार के प्रतिनिधि के रूप में भगवान की पूजा करते हैं। यहां परशुराम की परंपरा के अनुसार पूजा की जाती है।
अखंड ज्योति देखने का महत्त्व
आपको बता दे, भगवान बद्रीनाथ के शुक्रवार के दर्शनों में मुख्यत: अखंड ज्योति और भगवान बद्रीनाथ के निर्वाण दर्शन होते हैं। इसे देखने का आज का मुख्य महत्व होता है। शुक्रवार को पूरे दिन मंदिर खुला रहेगा लेकिन लॉकडाउन की वजह से श्रद्धालुओं का आना मना है। सुबह सबसे पहले कपाट खुलते ही भगवान बद्री विशाल की मूर्ति से घृत कंबल को हटाया गया। कपाट बंद होते समय मूर्ति पर घी का लेप और माणा गांव की कुंवारी कन्याओं के द्वारा बनाई गई कंबल से भगवान को ढका जाता है और कपाट खुलने पर हटाया जाता है। इसके बाद मां लक्ष्मी बद्रीनाथ मंदिर के गर्भ गृह से बहार आईं जिसके बाद भगवान बद्रीनाथ जी के बड़े भाई उद्धव जी और कुबेर जी का बद्रीनाथ मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश हुआ। इसी के साथ भगवान बद्रीनाथ के दर्शन शुरू हो गए। कपाट बंद की अवधि में छह माह से जल रही अखंड ज्योति के दर्शन किए जाते हैं। हमेशा से पहले दिन अखंड ज्योति के दर्शनों के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु धाम पहुंचते हैं। हालांकि इस बार लॉकडाउन के चलते श्रद्धालु नहीं पहुंच पाए मगर अखंड ज्योति 6 माह कपाट बंद के बाद यहां पर जलती रही। कपाट खुलने पर ज्योति को अखंड रखा जाता है। कपाट बंद होने के बाद भी यह जलती रहती है और कपाट खुलने पर सबसे पहले श्रद्धालुओं को यही दर्शन करने को मिलता है।