CWC की मीटिंग शुरू, सोनिया-राहुल और प्रियंका समेत कई नेता मौजूद
By: Pinki Sat, 25 May 2019 12:31:50
लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Election) में बीजेपी की शानदार जीत और कांग्रेस की करारी हार के बाद अपना वजूद तलाश रही पार्टी ने आज हार पर मंथन करने के लिए कांग्रेस कार्य समिति (CWC) की बैठक बुलाई है। इस बैठक में सोनिया-राहुल गांधी, मनमोहन सिंह, मोतीलाल वोरा, गुलाम नबी आजाद और प्रियंका गांधी वाड्रा समेत कई नेता मौजूद हैं। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस कार्य समिति (CWC) के दौरान अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Election 2019) में हार की पूरी जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे की पेशकश कर सकते हैं। हालांकि, बैठक में किस एजेंडे पर चर्चा होनी है, इसकी अधिकारिक जानकारी नहीं दी गई। सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया जाएगा और पार्टी उनके नेतृत्व में काम करने का भरोसा जताएगी।
वही पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष राजबब्बर ने इस्तीफे की पेशकश की है। इतना ही नहीं कर्नाटक में सरकार होने के बावजूद बुरा प्रदर्शन करने के चलते कर्नाटक कांग्रेस अभियान समिति के अध्यक्ष एचके पाटिल ने इस्तीफा दे दिया है। इसके साथ ही कांग्रेस की ओडिशा इकाई के अध्यक्ष निरंजन पटनायक ने भी इस्तीफे की पेशकश की है। साथ ही पटनायक ने कहा कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता नरसिंह मिश्र की अगुवाई में एक समिति का गठन किया गया है जो प्रदेश में पार्टी की इस जबरदस्त हार के कारणों का पता लगाएगी। कांग्रेस की परंपरागत सीट अमेठी में मिली हार के बाद जिला इकाई के अध्यक्ष योगेंद्र मिश्रा ने भी हार का नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने गुरुवार को हार का पूरा जिम्मा लेते हुए अपने इस्तीफे की भी पेशकश की थी, जबकि सोनिया गांधी ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया।
Delhi: More visuals from Congress Working Committee(CWC) meeting at party office pic.twitter.com/0yiA3eOx1i
— ANI (@ANI) May 25, 2019
इस्तीफे की पेशकश से राहुल यह संदेश देना चाहते हैं कि पार्टी के 2014 जैसे बुरे प्रदर्शन के लिए वे भी जिम्मेदार हैं। 2014 में कांग्रेस ने 44 सीटें जीती थीं, इस बार पार्टी को आठ सीटों का फायदा हुआ। माना जा रहा कि बैठक में पार्टी लोकसभा चुनाव में मिली हार पर चर्चा हो सकती है। खासकर मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में, जहां पार्टी ने पांच महीने पहले ही विधानसभा चुनाव जीते थे। इसके अलावा कर्नाटक विधानसभा चुनाव में हुई हार पर भी मंथन हो सकता है। यहां कांग्रेस सत्ता में थी, लेकिन इस बार भाजपा ने 28 में से 25 सीटों पर जीत दर्ज की है। कांग्रेस को सिर्फ एक सीट पर संतोष करना पड़ा।
उठने लगे है पार्टी में अंदरूनी कलह
वहीं अब कांग्रेस की अंदरूनी कलह भी बाहर निकलने लगी है। पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता अब कांग्रेस अध्यक्ष की रणनीति पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि राहुल की ओर से किए गए निजी हमले जब काम नहीं कर रहे थे तो उन्होंने उन्हें जारी क्यों रखा। ऐसा ही कुछ आडवाणी के साथ भी हुआ था जब 2009 में कमजोर प्रधानमंत्री कहते हुए उन्होंने मनमोहन सिंह पर निजी हमला किया था। लेकिन जितना उन्होंने उन पर हमला किया उतना ही उनका खुद का नुकसान होता गया। बाद में हालात यह रहे कि जनता ने इस बात को नकार दिया और सिंह एक बार फिर किंग बने। निजी हमले न उस समय काम किए थे और न ही आज काम कर सके। जितना विपक्ष ने उन पर हमले किए, यहां तक की चोर शब्द का भी इस्तेमाल किया उतना ही लोगों का उन्हें सपोर्ट मिलता रहा।