नागरिकता संशोधन बिल: शिवसेना का मोदी सरकार पर हमला - हिंदू-मुस्लिम के बीच विभाजन की कोशिश की जा रही है
By: Pinki Mon, 09 Dec 2019 12:25:18
नरेंद्र मोदी सरकार नागरिकता कानून को बदलने के लिए तैयार है। आज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लोकसभा में नागरिकता संशोधन कानून बिल को पेश करेंगे। सड़क से संसद तक इस बिल का विरोध हो रहा है लेकिन मोदी सरकार ने इसपर आगे बढ़ने की ठानी है। कांग्रेस, टीएमसी समेत कई अहम विपक्षी पार्टियों ने इसका विरोध करने की बात कही है।
नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर शिवसेना ने केंद्र की मोदी सरकार पर बड़ा हमला बोला है। पार्टी ने आरोप लगाया है कि इसके पीछे वोट बैंक की राजनीति है। साथ ही हिंदू-मुस्लिम के बीच विभाजन की कोशिश की जा रही है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा है कि देश के ज्यादातर राजनैतिक दलों ने नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध किया है।
Illegal Intruders should be thrown out . immigrant Hindus must be given citizenship,but @AmitShah let's give rest to allegations of creating vote bank & not give them voting rights,what say ? And yes what about pandits,have they gone back to kashmir after article 370 was removed
— Sanjay Raut (@rautsanjay61) December 9, 2019
सामना के संपादकीय में पार्टी ने लिखा कि हमारे शासक पड़ोसी चार-पांच देशों के नागरिकों को हिंदुस्तान की नागरिकता देने का निर्णय ले रहे हैं। इसमें राष्ट्रहित कितना है और वोट बैंक की राजनीति कितनी, इस पर बहस शुरू है। नागरिकता सुधार विधेयक लाकर ऐसा कानून बनाया जा रहा है। इसके जरिए हिंदू और मुसलमान ऐसा विभाजन सरकार ने कर दिया है। हर घुसपैठिए को बाहर निकालेंगे, ऐसी गृहमंत्री अमित शाह की भूमिका चुनाव के पहले से ही रही है तथा यह राष्ट्रहित में ही है। अमित शाह दिल्ली आने से पहले बांग्लादेशी ही क्यों, हर घुसपैठिए को खदेड़ो, ऐसी भूमिका हमने व्यक्त की है।
संपादकीय में कहा गया है कि पाकिस्तान की तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अन्य पड़ोसी देशों को भी कड़ा सबक सिखाना चाहिए जो हिंदू, सिख, ईसाई, पारसी और जैन समुदायों पर अत्याचार करते हैं। प्रधानमंत्री ने पहले ही दिखाया है कि कुछ चीजें मुमकिन हैं।
कश्मीरी पंडितों का जिक्र करते हुए सामना में कहा गया है कि अब चार-पांच देशों के हिंदू निर्वासितों का मुद्दा निकला ही है इसलिए कहते हैं कि हमें वास्तविक चिंता है कश्मीर के निर्वासित हिंदू पंडितों की। उनकी घरवापसी को लेकर अब तक कहीं कुछ तय नहीं हो रहा है तथा 370 हटाने के बाद भी घाटी में पंडितों को पांव रखने को नहीं मिल रहा है। इसका क्या करें? कश्मीर घाटी में इन सभी बाहर के लोगों मतलब चार-पांच देशों से यहां आए लोगों को गंभीरता से बसाया जा सकता है क्या? क्योंकि कश्मीर घाटी को अब हिंदुस्तान का ही हिस्सा बना दिया गया है।
शिवसेना ने आगे लिखा कि असम में बीजेपी का शासन नहीं होता तो वर्तमान मुख्यमंत्री सोनोवाल भी असम की संस्कृति की रक्षा के लिए सड़क पर उतरे ही होते। हमने खुद इस बारे में कई बार चिंता व्यक्त की। घुसपैठियों को खदेड़ना ही चाहिए लेकिन इसके बदले अन्य धर्मों के लोग उनमें हिंदू बंधु हैं, उन्हें स्वीकार करने की राजनीति देश में धर्मयुद्ध की नई चिंगारी तो नहीं भड़काएगी न? हिंदुओं के लिए दुनिया के कोने पर हिंदुस्तान के अलावा अन्य कोई देश नहीं है, यह स्वीकार है। लेकिन नागरिकता संशोधन विधेयक के माध्यम से वोट बैंक की नई राजनीति इसमें से कोई करने की सोच रहा होगा तो यह देशहित में नहीं होगा।
शिवसेना नेता संजय राउत ने सोमवार को ट्वीट किया कि अवैध नागरिकों को बाहर करना चाहिए, हिंदुओं को भारत की नागरिकता देनी चाहिए। लेकिन उन्हें कुछ समय के लिए वोटिंग का अधिकार नहीं देना चाहिए। क्या कहते हो अमित शाह? और कश्मीरि पंडितों का क्या हुआ, क्या 370 हटने के बाद वो वापस जम्मू-कश्मीर में पहुंच गए?