जानें कैसी थी लंका में स्थित अशोक वाटिका

By: Anuj Tue, 28 Apr 2020 4:25:22

जानें कैसी थी लंका में स्थित अशोक वाटिका

5 हजार साल से ज्यादा साल हो गए। श्रीलंका में रामायण काल के ऐतिहासिक अवशेष आज पूरी दुनिया में चर्चा के केंद्र में हैं। भारत सहित पूरे विश्व से पर्यटक यहां पहुंचते हैं और श्रीलंका पहुंचकर एक अलग ही अनुभूति का अहसास करते हैं। रावण ने माता सीता का हरण करने के पश्चात उन्हें बहुत ही सुंदर अशोक वाटिका में रखा गया था। यह अशोक वाटिका रावण ने बनवाई थी। इस वाटिका में एक गुफा भी है। यह वाटिका आज भी श्रीलंका के एक पर्वत पर स्थित है। देश में चल रहे लॉकडाउन की वजह से रामानंद सागर की रामायण को दूरदर्शन पर दोबारा टेलीकास्‍ट किया जा रहा है। ऐसे में लोगों के अंदर यह जानने का क्रेज बढ़ गया है कि क्‍या सच में रावण की कोई अशोक वाटिका थी। अगर थी तो वह कैसी दिखती थी? अब वह कहां है? तो चलिए हम आज आपको रावण की अशोक वाटिका के बारे में बताते है।

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अशोक वाटिका का दर्शनीय स्वरूप

दरअसल, यह स्थान है भी ऐसा। अशोक वाटिका के मुख्य द्वार से प्रवेश करते ही एक अजीब अनुभूति का एहसास होता है। इस जगह से भारतवासियों की विशेष जुड़ाव है। यही वजह है कि जो भी हिंदुस्तानी यहां पहुंचता है तो खुद को भाग्यशाली समझता है। श्रीलंका सरकार ने अशोक वाटिका को अब नया दर्शनीय स्वरूप दे दिया है।बीते कुछ सालों में सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च कर पूरे क्षेत्र का आधुनिकीकरण कर दिया है। मंदिर से लेकर पूरे परिसर को संगमरमर से सुसज्जित कर दिया गया है। सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम हैं और वहां रोजाना हजारों विदेशी पर्यटक सीता माता के दर्शन करने पहुंचते हैं। वाटिका में प्रवेश निशुल्क है। श्रद्वालुओं से किसी भी तरह का कोई चार्ज नहीं वसूला जाता।

मिलते हैं हनुमान जी के पैरों के निशान

रामायण में इस बात का वरण मिलता है कि जब राम को इस बात का पता चला कि सीता का हरण रावण ने किया है तो उन्‍होंने अपनी वानरों की एक सेना बनाई और हनुमान जी को आदेश दिया कि वह सीता को लंका से वापिस ले आएं। भगवान राम के आदेश पर हनुमान जी लंका पहुंच गए। अशोक वाटिका में जिस वृक्ष के नीचे सीता माता बैठती थी उस पर चढ़ कर उन्‍होंने सीता माता को भगवान राम की अंगूठी फेंकी, जिससे सीता माता को अंदाजा हुआ कि हनुमान जी को भगवान राम ने ही भेजा है।श्री लंका में आज भी वह स्‍थान मौजूद है जहां पर हनुमान जी के पैरों के निशान हैं। हनुमान जी के पैरों के निशान जिस जिस चट्टान पर पड़ें वहां पैर के आकार के गड्ढे बन गए है। यह निशान आज भी देखे जा सकते हैं।

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सीता एलिया

अशोक वाटिका लंका में स्थित है, जहां रावण ने सीता को हरण करने के पश्चात बंधक बनाकर रखा था। ऐसा माना जाता है कि एलिया पर्वतीय क्षेत्र की एक गुफा में सीता माता को रखा गया था जिसे 'सीता एलिया' नाम से जाना जाता है। यहां सीता माता के नाम पर एक मंदिर भी है।वेरांगटोक, जो महियांगना से 10 किलोमीटर दूर है वहीं पर रावण ने सीता का हरण कर पुष्पक विमान को उतारा था। महियांगना मध्य श्रीलंका स्थित नुवारा एलिया का एक पर्वतीय क्षेत्र है। इसके बाद सीता माता को जहां ले जाया गया था उस स्थान का नाम गुरुलपोटा है जिसे अब 'सीतोकोटुवा' नाम से जाना जाता है। यह स्थान भी महियांगना के पास है।

मिलती हैं हिमालय की दुर्लभ जड़ीबूटियां

रावण और राम के युद्ध में एक समय ऐसा भी आया था जब भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्‍मण बेहोश हो गए थे। वह केवल संजीवनी बूटियों से ही जीवित हो सकते थे। यह बूटियां केवल हिमालय में मिलती हैं और हनुमान जी इसे लेने के लिए वहंा गए थे और संजीवनी बूटी का पूरा पहाड़ा उठा लाए थे। यह पहाड़ आज भी श्रीलंका में उपस्थित है और इस‍में आज भी हिमालय की दुर्लभ जड़ी-बूटियों के अंश मिलते हैं। दावा है कि इन जड़ी-बूटियों का श्रीलंका में पाया जाना रामायण काल की वास्‍तविकता को प्रमाणित करता है।

कैसे पहुंचे सीता वाटिका

नुवराएलिया स्थित सीता वाटिका अब श्रीलंका का हिल स्टेशन माना जाता है। वाटिका की कुछ दूरी पर एक बड़ी सी झील है जिसका पानी गहरा नीला है। यह स्थान बौद्व की प्रसिद्व स्थली कैंडी से सत्तर-अस्सी किलोमीटर दूर है और वहां जाने के लिए सरकार ने विशेष पब्लिक यातायात साधन मुहैया करा रखे हैं। सामान्य किराए पर बसें और कारें 24 घंटे उपलब्ध रहती हैं। कैंडी से जैसे ही आप सीता वाटिका के लिए चलोगे तो आपको पूरे रास्ते में हरे-भरे चाय के बागान दिखाई देंगे। चारो तरफ बहता नीला पानी और बड़े-बड़े पर्वत मन मोह लेंगे। अशोक वाटिका में राम-सीता का भव्य मंदिर है, जहां श्रद्वालु श्रद्वा से अपना सिर झुकाकर मन्नत मांगते हैं। सुबह-शाम आरती होती है और भक्तों को प्रसाद वितरित किया जाता है।

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