इस बार 29 अप्रैल को खुले केदारनाथ के पट, कोरोना की वजह से बदला रहा माहौल

By: Anuj Tue, 05 May 2020 1:28:37

इस बार 29 अप्रैल को खुले केदारनाथ के पट, कोरोना की वजह से बदला रहा माहौल

लॉकडाउन के बीच उत्तराखंड में स्थित केदारनाथ मंदिर के कपाट 29 अप्रैल को खोल दिए गए हैं , जिसके बाद श्रद्धालु भगवान के दर्शन कर सकते हैं। इसी बीत 27 अप्रैल को 5 श्रद्धालुओं ने मिलकर वार्षिक पंचमुखी डोली यात्रा भी निकाली। हालांकि लॉकडाउन के कारण यात्रा में ज्यादा तीर्थयात्री शामिल नहीं हुए।केदारनाथ धाम हर तरफ से पहाड़ों से घिरा हुआ है। एक तरफ है करीब 22 हजार फुट ऊंचा केदारनाथ, दूसरी तरफ है 21 हजार 600 फुट ऊंचा खर्चकुंड और तीसरी तरफ है 22 हजार 700 फुट ऊंचा भरतकुंड। इतना ही नहीं बहुत कुछ ऐसा केदारनाथ के बारे में जो आपको जानना चाहिए।

कैसे जाएं केदारनाथ

केदारनाथ के लिये निकटतम हवाईअड्डा 239 किमी की दूरी पर देहरादून का जॉली ग्रान्ट हवाईअड्डा है। जो यात्री रेल द्वारा आना चाहें वे अपना टिकट 227 किमी की दूरी पर स्थित ऋषिकेश रेलवे स्टेशन के लिये बुक कर सकते हैं।

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गौरीकुंड से केदारनाथ पैदल यात्रा कब शुरू करें

सुबह 8 बजे तक गौरीकुंड से चढ़ाई करना शुरू कर दें। शाम तक केदारनाथ पहुंचे दर्शन करें और रात में केदारनाथ में रुकें। एक बात और गौरीकुंड से केदारनाथ के रास्ते में 11 बजे के बाद मौसम ख़राब हो जाता है जो करीब 2 से 3 बजे तक ख़राब ही रहता है और ये कोई एक या दो दिन नहीं बल्कि हर दिन होता है। गौरकुंड से केदारनाथ का रास्ता पैदल का है। यहाँ से पैदल, पालकी या घोड़े पर जा सकते हैं।

केदारनाथ क्यों जाएं?

केदारनाथ जाने की कई वजहें हो सकती हैं जिनमें पहली वजह धार्मिक ही है। केदारनाथ एक पवित्र तीर्थ स्थल है जहां भगवान शंकर का ग्यारहवां ज्योतिर्लिंग स्थापित है। यदि आप धार्मिक वजह से न भी आएं तो प्राकृतिक नजारों को देखने के लिए यहां आ सकते हैं, पर मौज मस्ती के उद्देश्य से यहां कभी नहीं आएं।

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केदारनाथ कब जाएं?

केदारनाथ जाने के लिये मई से अक्टूबर के मध्य का समय आदर्श माना जाता है क्योंकि इस दौरान मौसम काफी सुखद रहता है। भारी बर्फबारी के कारण केदारनाथ के मूल निवासी भी सर्दियों में पलायन कर जाते हैं। वैसे भी ये मंदिर केवल गर्मियों में ही खुलता है। हर साल मंदिर खुलने में और बंद होने में कुछ दिनों को फर्क होता है क्योंकि इसके लिए मुर्हूत निकाला जाता है हिंदी पंचांग के अनुसार होता है। कपाट खुलने की तिथि अक्षय तृतीया और बंद होने की तिथि दीवाली के आसपास की होती है। बरसात के मौसम में जाना यहां ठीक नहीं होता क्योकि इस दौरान लैंड स्लाइडिंग का खतरा बढ़ जाता है और सड़के बंद हो जाती है। यात्री यहां वहां फंस जाते हैं।

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केदारनाथ के आस पास के पर्यटक स्थल

केदारनाथ आने वाले यात्रियों को मन्दिर के निकट स्थित आदि गुरू शंकराचार्य की समाधि पर अवश्य जाना चाहिये। शंकराचार्य प्रसिद्ध हिन्दू सन्त थे जिन्हें अद्वैत वेदान्त के प्रति जागरूकता फैलाने के लिये जाना जाता है। चारों धामों की खोज के उपरान्त 32 वर्ष की आयु में उन्होनें इसी स्थान पर समाधि ली थी। सोनप्रयाग केदारनाथ से 19 किमी की दूरी पर और 1829 मी की ऊँचाई पर स्थित है। यह मुख्यतः बासुकी और मन्दाकिनी नदियों को संगम स्थल है। यह स्थान यहाँ के पानी की जादुई शक्तियों के कारण लोकप्रिय है। लोककथाओं के अनुसार लोगों को इस जल को छूने मात्र से बैकुण्ठ धाम की प्राप्ति होती है। वासुकी ताल केदारनाथ से 8 किमी की दूरी पर और समुद्रतल से 4135 मी की ऊँचाई पर स्थित एक और प्रमुख स्थान है।

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