भारत की ही इन 5 जगहों पर नहीं है भारतीयों की Entry, जानें आखिर क्यों

By: Ankur Mon, 30 Mar 2020 6:18:04

भारत की ही इन 5 जगहों पर नहीं है भारतीयों की Entry, जानें आखिर क्यों

भारत एक लोकतान्त्रिक देश हैं जहां कोई भी भारतीय अपनी इच्छानुसार घूमने के लिए जा सकता हैं। भारत में घूमने के लिए कई जगहें हैं जो देश की शोभा बढाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में ही कुछ जगहें ऐसी हैं जहां भारतीयों की Entry ही नहीं हैं। जी हां, देश के अंदर कई स्थान ऐसे हैं जहां पर भारत के निवासियों का प्रवेश बिल्कुल निषेध है। तो आइये जानते हैं उन जगहों के बारे में।

रेड लॉलीपॉप हॉस्टल, चेन्नई

चेन्नई स्थित रेड लॉलीपॉप हॉस्टल भी अपने सेवाओं के चलते नस्लवाद के आरोपों से घिरा हुआ है। हॉस्टल में एंट्री के लिए किसी भी व्यक्ति को पासपोर्ट को जरूरत होती है। ऐसे में भारत के आम नागरिकों के लिए यह हॉस्टल अपनी सेवाएं उपलब्ध नहीं कराता है। होटल का दावा है कि वह पहली बार भारत आने वाले पर्यटकों को सेवा प्रदान करता है।

नो इंडियन बीच, गोवा

गोवा अपने खूबसूरत समुद्री बीचों के लिए दुनिया भर में मशहूर है। भारतीयों के लिए भी गोवा देश के सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थल में से एक है। यूं तो गोवा के बीच पर दुनिया भर से पर्यटक आते हैं, लेकिन फिर भी गोवा के कुछ बीच ऐसे भी हैं जहां भारतीयों का प्रवेश निषेध है। गोवा के इन बीच पर भारतीयों का प्रवेश पर लगी रोक आधिकारिक नहीं है, लेकिन स्थानीय निवासियों की मानें तो देशी पर्यटक विदेश से आए हुए पर्यटकों के लिए परेशानी खड़ी करने के साथ ही अनुचित व्यवहार भी करते हैं। ऐसे में स्थानीय लोगों ने कई बीच पर भारतीय पर्यटकों का प्रवेश वर्जित कर रखा है। गोवा में अंजुना बीच ऐसी ही जगह है जहां आपको बामुश्किल ही कोई भारतीय पर्यटक आसपास घूमता हुआ दिखाई देगा।

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नॉर्थ सेंटिनल आइलैंड

अंडमान-निकोबार द्वीप समूह का एक द्वीप नॉर्थ सेंटिनल आइलैंड भी है, जहां सिर्फ आदिवासी निवास करते हैं। यह द्वीप बाहरी दुनिया से संपर्क नहीं रखता है। साल 2018 में एक अमेरिकी ईसाई धर्म प्रचारक की मौत के बाद यह द्वीप चर्चा में आया था। इस तरह के कबीलों में रह रहे आदिवासियों की रक्षा के लिए वहां आम लोगों का प्रवेश पूरी तरह वर्जित रखा गया है, इसके लिए बाकायदा कानून की भी व्यवस्था की गई है। नॉर्थ सेंटिनल द्वीप 23 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यहां पर रह रहे आदिवासियों की संख्या महज 100 के करीब है। इस द्वीप पर बाहर से आए हुए किसी भी व्यक्ति का जाना वर्जित है।

फ्री कसोल कैफे, हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश के कसोल में स्थित फ्री कसोल कैफे में भारतियों का प्रवेश वर्जित है। इस कैफे का संचालन इजराइली मूल के लोग करते हैं। साल 2015 में कैफे ने एक भारतीय महिला को सर्व करने से साफ मना कर दिया था। कैफे का कहना था कि वह सिर्फ अपने मेंबर्स को ही सर्व करते हैं। इस घटना के बाद कैफे की काफी आलोचना भी हुई थी और इस पर नस्लवाद के आरोप भी लगे थे। आपको बता दें कि कैफे के आसपास अंकित सभी साइन बोर्ड भी हिब्रू भाषा में हैं।

यूनो-इन होटल, बंगलुरु

बंगलुरु स्थित यूनो-इन होटल सिर्फ जापानी लोगों को ही सेवा प्रदान करता था। साल 2012 में स्थापित इस होटल पर नस्लवाद के गंभीर आरोप लगे थे और साल 2014 में ग्रेटर बैंगलोर सिटी कॉर्पोरेशन द्वारा होटल को बंद करवा दिया गया था। होटल के प्रबंधन का कहना था कि उन्होंने जापान की कई कंपनियों के साथ अनुबंध कर रखा है, जिसके चलते वह सिर्फ जापानी पर्यटकों को ही अपनी सेवाएं देते हैं।

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