देश के सबसे अनोखे 5 म्यूजियम, अजीबोगरीब सामान के लिए प्रसिद्द
By: Ankur Wed, 06 Feb 2019 7:47 PM
हमारे देश में घूमने के लिए कई ऐसे स्थान है जो अपनी विशेषता के लिए जाने जाते हैं और छुट्टियों के दिन सभी अपने परिवार के साथ जाना पसदं करते है। इनमे से एक है देश के म्यूजियम अर्थात संग्राहलय जहाँ कई नायाब चीजों को संग्रहित किया जाता हैं। लेकिन देश में कई म्यूजियम ऐसे भी है जो अपनी अजीबोगरीब चीजों के संग्रह के लिए जाने जाते हैं। जी हाँ, आज हम आपको जिन संग्राहलयों के बारे में बताने जा रहे हैं उनके बारे में जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे और यहाँ जाना पसंद करेंगे। तो आइये जानते है इन अनोखे म्यूजियम के बारे में।
* द प्रिंस ऑफ वेल्स म्यूजियम
मुंबई में स्थित द प्रिंस ऑफ वेल्स म्यूजियम को छत्रपति शिवाजी महाराज वस्तु संग्रहालय के नाम से भी जाना जाता है। इस संग्रहालय का निर्माण प्रिंस ऑफ वेल्स के भारत आने के समय पर उनकी स्मृति के रूप में करवाया गया था। द प्रिंस ऑफ वेल्स ने 11 नवंबर 1905 में इस संग्रहालय की नींव रखी थी। इसका इनॉग्रेशन मुम्बई के वायसराय लॉयड जॉर्ज की पत्नी लेडी लॉयड ने 10 जनवरी, 1922 को किया था। म्यूजियम के चारों और बेहद ख़ूबसूरत बगीचा है। इसके अंदर एेतिहासिक कलाकृतियों के साथ-साथ दुर्लभ जीव-जन्तुओं के बारे में जानकारी मिलती है।
* शंकर इंटरनेशनल डॉल म्यूजियम
नई दिल्ली में स्थित शंकर इंटरनेशनल डॉल म्यूजियम की स्थापना मशहूर कार्टूनिस्ट के। शंकर पिल्लई की थी। यहां विभिन्न परिधानों में सजी गुडिय़ों का संग्रह वल्र्ड के सबसे बड़े संग्रहों में से एक है। दिल्ली में जब चिल्ड्रन्स बुक ट्रस्ट के भवन का निर्माण हुआ, तो उसके एक हिस्से में गुडिय़ों के लिए घर बनाया गया। इस तरह दुनियाभर की गुडिय़ों को रहने के लिए एक अनोखा घर मिल गया। गुडिय़ा घर का प्रारम्भ 1000 गुडिय़ों से हुआ था। वर्तमान समय में यहां 85 देशों की करीब 6,500 गुडिय़ों का संग्रह देखा जा सकता है।
* भारतीय संग्रहालय, कोलकाता
कोलकाता का 'भारतीय संग्रहालय' न सिर्फ भारत का, एशिया का सबसे पुराना और बड़ा म्यूजियम है। इस म्यूजियम के छह हिस्से है। प्रतिएक हिस्से की एक अलग खासियत है। यहाँ ऐतिहासिक दस्तावेजों के आलावा आर्कियोलॉजी, आर्ट, जियोलॉजी, जूलॉजी, बोटनी आदि अनेक विभागों में अलग-अलग वस्तुएं रखी गई है। इसे एक दिन में नहीं घुमा जा सकता है। अच्छे से घूमने के लिए आपको कम से कम तीन दिन लगेंगे।
* एचएएल हैरिटेज सेंटर एंड एयरोस्पेस म्यूजियम, बेंगलुरु
ये भारत में अपनी तरह का पहला म्यूजियम है। इसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने बनवाया है इसीलिए इसे एचएएल हैरिटेज सेंटर एंड एयरोस्पेस म्यूजियम कहा जाता है। बंगलुरू शहर के रेलवे स्टेशन से लगभग 10 किलोमीट दूर ये म्यूजियम 4 एकड़ के क्षेत्रफल में हरे भरे इलाके में बनाया गया है। म्यूजियम के दो मुख्य भवन हैं जिनमें से एक में कई तस्वीरों के जरिए 1940 से लेकर अब तक एवियेशन के क्षेत्र में हर दशक में हुए विकास को दृशाया गया है। जबकि दूसरा हाल मोटर क्रॉस सेक्शन कहलाता है, इसमें एयरो इंजन के मॉडल रखे हैं जो इंजन के विभिन्न कार्यों को हाईलाइट करते हैं।
* नेपियर म्यूजियम, तिरुअनंतपुरम
नेपियर म्यूजियम केरल की राजधानी तिरुअनंतपुरम में है। इसका भवन भारतीय सीरियन वास्तुशैली में बना है। 1855 में बना ये भवन भारत के सबसे पुराने संग्रहालयों में से एक है। इसका नाम मद्रास के गवर्नर लॉर्ड चार्ल्स नेपियर के नाम पर रखा गया है। संग्रहालय में कई ऐतिहासिक मूर्तियां, आभूषण, हाथी दांत की कलात्मक वस्तुयें और 250 वर्ष पुरानी नक़्क़ाशी से बनी हुई चीजें रखी गई हैं।
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